Edited By bhavita joshi,Updated: 27 Sep, 2018 09:50 AM
26 वर्ष पहले पंजाब पुलिस ने ब्यास क्षेत्र में एक नाबालिग को मुठभेड़ बताकर मार दिया था।
मोहाली(कुलदीप): 26 वर्ष पहले पंजाब पुलिस ने ब्यास क्षेत्र में एक नाबालिग को मुठभेड़ बताकर मार दिया था। बुधवार को इस मामले में सी.बी.आई. की अदालत ने उस समय के ब्यास पुलिस स्टेशन के एस.एच.ओ. और एक हैड कांस्टेबल को उम्रकैद की सजा सुनाई है। सी.बी.आई. जज एन.एस. गिल की अदालत ने तीन आरोपियों को बरी भी किया, जबकि तीन की पहले मौत हो चुकी है। शिकायतकर्ता बलविन्द्र कौर निवासी गांव पल्ला (अमृतसर) की ओर से वकील सतनाम सिंह बैंस ने बताया कि 14 सितम्बर, 1992 को हरपाल सिंह (15) निवासी गांव पल्ला (अमृतसर) को ब्यास पुलिस ने घर से उठा लिया था। 17 और 18 सितम्बर की मध्य रात्रि को उसे निज्जर गांव में हुई पुलिस मुठभेड़ में मारा हुआ दिखा दिया। पुलिस ने उसकी लाश तक परिजनों को नहीं दी और उसे अज्ञात लाश घोषित कर संस्कार कर दिया।
अपने इकलौते बेटे की तलाश में भटकती हुई उसकी विधवा मां बलविन्द्र कौर ने पता लगाना शुरू किया। उन दिनों में बड़ी संख्या में लाशें पुलिस ने अज्ञात घोषित कर संस्कार कर दिए थे। यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक गया तो सुप्रीम कोर्ट ने 1996 में केस की जांच सी.बी.आई. को सौंप दी थी। सी.बी.आई. ने इस संबंध में आई.पी.सी. की धारा 302, 364, 218, 34 तथा 120बी के तहत केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी थी। केस में कुल आठ लोगों को आरोपी बनाया गया था व केस में कुल 21 लोगों को गवाह बनाया गया था। पुलिस ने स्टोरी बनाई थी कि 17 तथा 18 सितम्बर, 1992 की रात को पुलिस पार्टी गश्त पर थी। गांव निज्जर के नजदीक एक मोटरसाइकिल पर दो युवक आ रहे थे जिन्होंने पुलिस को देखते ही फायरिंग शुरू कर दी थी। पुलिस की जवाबी फायरिंग में एक की मौत हो गई थी, जबकि दूसरा फरार हो गया था।लेकिन पुलिस अदालत में चली कार्रवाई के दौरान पुलिस उस समय मुकाबले के दौरान चले हुए कारतूस आदि का रिकार्ड पेश नहीं कर सकी।
इन्हें सुनाई गई है सजा
अदालत ने सितम्बर 1992 में उस समय ब्यास पुलिस स्टेशन के एस.एच.ओ. रघुबीर सिंह निवासी गढ़शंकर (होशियारपुर) तथा हैड कांस्टेबल दारा सिंह को धारा 302 में उम्रकैद, धारा 364 में 10 वर्ष कैद तथा धारा 218 में दो वर्ष कैद की सजा सुनाई है। आरोपियों की ओर से वकील कुंदन सिंह नागरा व एडवोकेट दीपक सूद ने बताया कि अदालत ने इस केस के जिन तीन आरोपियों को बरी किया है उनमें जसवीर सिंह, निर्मलजीत सिंह और परमजीत सिंह शामिल हैं। इस केस के तीन आरोपियों सब-इंस्पैक्टर राम लुभाया, हैड कांस्टेबल हीरा सिंह और कांस्टेबल सविन्द्रपाल सिंह की पहले ही मौत हो चुकी है।