पुरुष भी होते हैं पत्नियों की प्रताडऩा का शिकार

Edited By Priyanka rana,Updated: 19 Nov, 2018 11:20 AM

molestration

विवाहित पुरुषों को दहेज प्रताडऩा के माध्यम से ब्लैकमेल किया जा रहा है।

चंडीगढ़(रश्मि) : विवाहित पुरुषों को दहेज प्रताडऩा के माध्यम से ब्लैकमेल किया जा रहा है। सारे कानून महिलाओं के लिए ही बने हैं, उनकी समस्या सही है या नहीं यह जाने बिना एक शिकायत के आधार पर पति व अन्य परिवार को सलाखों के पीछे धकेल दिया जाता है। अधिकांश मामलों में जांच के बाद पति पक्ष बेकसूर पाया जाता है या भरी-भरकम रकम लेकर कोर्ट के फैसले होते हैं।

5 किलो का केक काटा :
सेव इंडियन फैमिली ने रविवार को केक काटकर पुरुष दिवस मनाया। इस मौके पर तकरीबन 250 से 300 लोगों ने भाग लिया जिसमें पुरुषों के साथ-साथ महिलाएं भी शामिल थीं। इस फैमिली के ट्रस्टी मनिंदर सिंह रूपयाल ने बताया कि इस दौरान 5 किलो का केक काटा गया था जिन्हें बुजुर्ग महिलाएं ने काटा।

महिलाओं के लिए 50 कानून व इतने ही संगठन, पुरुषों के लिए एक भी नहीं :
12 वर्ष पहले चंडीगढ़ के पुरी परिवार ने सेव इंडिया संस्था बनाई थी। इसके साथ आज हजारों वह परिवार जुड़े हुए हैं, जो बहू पक्ष के सताए हुए हैं। 18 नवम्बर का दिन सेव इंडियन फैमिली संस्था द्वारा पुरुष दिवस के रूप में मनाया जाता है। कई वर्ष से महिला आयोग की तर्ज पर पुरुष आयोग बनाने की मांग उठाई जा रही है। रविवार को सैक्टर-17 में सेव इंडियन फैमिली की ओर से एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें झांकियों के माध्यम से जेल में बंद सास का दर्द दिखाने का प्रयास किया गया। 

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वर्तमान में विवाहित पुरुष की हालत को दर्शाने के लिए एक जेल बनाई गई, जिसमें बुजुर्ग मां-बाप को बिठाया गया था। झांकी में दर्शाया था कि देश में जहां 50 से अधिक कानून महिलाओं के पक्ष में बने हैं, जहां 10 हजार से अधिक स्वयंसेवी संगठन (एन.जी.ओ.) महिलाओं की सुरक्षा के लिए काम कर रही हैं, वहीं महिलाओं के कल्याण के लिए एक अलग मंत्रालय है। उस देश में पुरुषों के लिए कुछ भी नहीं है। इसके चलते महिलाएं शादी के बाद ससुराल पक्ष पर दहेज उत्पीडऩ का मामला दर्ज करा कैसे पूरे परिवार को जेल की सलाखों के पीछे धकेल देती हैं। 

ससुराल के सताए पतियों के लिए हैल्पलाइन :
सेव इंडिया फैमिली के ट्रस्टी रोहित ने कहा कि हमारी सरकार से बस एक ही मांग कि जिस तरह महिलाओं के लिए अलग से आयोग और मंत्रालय बनाए गए हैं, उसी तरह पुरुषों के लिए आयोग बनाया जाए। किसी के साथ अगर कोई नाइंसाफी हो तो वह आयोग की सहायता ले सके। 

पूरे देश में वैवाहिक संबंध, घरेलू हिंसा और पारिवारिक विवाद की वजह से मानसिक एवं शारीरिक रूप से प्रताडि़त हो रहे पुरुषों की संख्या निरंतर बढ़ रही है। महिलाओं को सुरक्षा प्रदान करने तथा उनके अधिकारों के संरक्षण हेतु बनाए गए कठोर कानूनों के दुरुपयोग ने पुरुषों और उनके परिजनों का जीवन नारकीय बना दिया है। पत्नी पीड़ित पुरुषों के लिए फ्री राष्ट्रीय हैल्पलाइन नं. 8882 498 498 भी संस्था ने शुरू किया है।

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