मोरनी में 40 हजार किसान नोतोड़ जमीन के मालिकाना हक से वंचित, हाईकोर्ट में रिव्यू पटीशन दाखिल

Edited By Priyanka rana,Updated: 26 Jul, 2019 01:22 PM

morni farmers

हरियाणा के एकमात्र पहाड़ी क्षेत्र मोरनी में 40 हजार किसान, देश की आजादी के बाद से अपनी नोतोड़ जमीन के मालिकाना हक से वंचित है।

चंडीगढ़(हांडा) : हरियाणा के एकमात्र पहाड़ी क्षेत्र मोरनी में 40 हजार किसान, देश की आजादी के बाद से अपनी नोतोड़ जमीन के मालिकाना हक से वंचित है। हरियाणा किसान कांग्रेस के प्रदेश वरिष्ठ उपाध्यक्ष एडवोकेट विजय बंसल ने पुन: रिव्यू याचिका दायर की है जिस पर हरियाणा सरकार को 19 अगस्त को जवाब देने के आदेश दिए गए हैं। 

इससे पूर्व दायर जनहित याचिका में हरियाणा सरकार ने समस्या के समाधान संबंधी शपथ पत्र दायर किया था परंतु याचिकाकर्ता विजय बंसल का कहना है कि वह झूठा था और सरकार ने नोतोड़ मामले के संदर्भ में कोई कदम नहीं उठाया। याचिका में कहा गया कि भू-माफिया, वन विभाग की जमीन पर अवैध कब्जा कर रहा है। किसानों को नौतोड़ का मालिकाना हक व हक हकूक नहीं मिल रहे।

झूठा शपथ पत्र दायर करने वालों के खिलाफ हो कार्रवाई :
बंसल ने रिव्यू याचिका दायर कर कहा कि वन विभाग ने 2018 में झूठा शपथपत्र देकर बयान दिया था कि समस्या के समाधान के लिए एम.पी. शर्मा रिटायर्ड आई.एफ.एस. को 2 वर्ष की अवधि के लिए फॉरैस्ट सैटलमैंट अफसर नियुक्त किया है। उनकी नियुक्ति 1 अगस्त, 2018 से मानी जाएगी और दफ्तर समेत सारा संबंधित समान उपलब्ध करवा दिया है। 

साथ ही एफ.एस.ओ. ने कार्य को भी शुरू कर दिया है जबकि बंसल ने कहा कि वन विभाग ने अभी तक वन बंदोबस्त अधिकारी को न पर्याप्त समान उपलब्ध करवाया, न ही अनुदान दिया और न ही समस्या को हल करने के लिए कोई कार्य किया। बंसल ने मांग की है कि झूठा शपथ पत्र दायर करने वाले अधिकारियों विरुद्ध उच्चस्तरीय जांच करवाकर कार्रवाई की जाए व मोरनी के किसानों की नौतोड़ समस्या को हल करवाने के सख्त आदेश दिए जाए।

सरकार की नाकामी की वजह से नहीं हो पाया कार्य :
इससे पहले राजबीर सिंह बड़वाल को बंदोबस्त अधिकारी का कार्यभार सौंपा था जिस पर 24 अक्तूबर, 2017 को उन्होंने अतिरिक्त मुख्य सचिव हरियाणा सरकार को सूचित करते हुए कहा था कि पदासीन हुए 8 माह हो चुके हैं और आवश्यक साधन सरकार व विभाग ने उपलब्ध नहीं करवाए। जबकि 24 अक्तूबर, 2017 के बाद कार्यकाल लगभग 3 माह का रह जाता है। सरकार शुरू करती तब भी कार्य पूरा नहीं किया जा सकता। 

उन्होंने पत्र में कहा कि अब कार्य करने का कोई औचित्य नहीं बनता, क्योंकि पूरा नहीं कर पाएंगे। उन्हें सरकार व विभाग ने न रिकार्ड उपलब्ध करवाया, न ही कार्यालय व स्टाफ जबकि सब नियुक्ति पर उपलब्ध होना था। इसलिए पहले भी सरकार की नाकामी की वजह से कार्य नहीं हो पाया। 

हरियाणा वन विभाग ने समस्या के समाधान के लिए 1987, 2000, 2010 में भी कमीशन नियुक्त किए थे परंतु अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। इससे पूर्व वन विभाग ने कर्मचारियों को 1 करोड़ 64 लाख अदा किए परंतु काम शून्य रहा।

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