PGI में जरूरत न होने पर भी खरीदी गई करोड़ों की मशीन

Edited By Punjab Kesari,Updated: 22 Jun, 2018 11:30 AM

mri machine

पी.जी.आई. की तरफ से एम.आर.आई. मशीन के लिए दो साल पहले रिकमंडेशन दी थी।

चंडीगढ़(पाल) : पी.जी.आई. की तरफ से एम.आर.आई. मशीन के लिए दो साल पहले रिकमंडेशन दी थी। इस मशीन की एडवांस ट्रॉमा सैंटर में जरूरत थी। इसके साथ ही एक एक्सट्रा मशीन भी खरीदी गई थी, हालांकि इसकी जरूरत भी नहीं थी। 

इस कारण पी.जी.आई को 3 करोड़ 57 लाख रुपए खर्च करने पड़े। इस मशीन की मदद से अब तक महज 15 मरीजों को ही इलाज मिल सका है। इनका भी तब इलाज किया गया था जब मशीन का ट्रायल हो रहा था। इसके अलावा एडवांस ट्रॉमा सैंटर में लगी इस मशीन में इलाज के दौरान इस्तेमाल होने वाली कोई भी किट नहीं खरीदी गई है। 

हालांकि मरीजों की बढ़ती तादाद का हवाला देकर पी.जी.आई. रेडियोडायग्नोसि विभाग ने एडवांस ट्रॉमा सैंटर में यह एम.आर.आई. मशीन खरीदी गई थी। पी.जी.आई. ऑडिट रिर्पोट-2017 में भी इसकी खरीद पर सवाल उठाए गए थे। ऑडिट रिपोर्ट के आधार पर कैग ने रेडियोडाग्रोसिस विभाग से जवाब मांगा है पर अभी तक जवाब नहीं दिया गया। 

गर्भाशय फाइबरोएड के इलाज में इस्तेमाल होती थी मशीन :
पी.जी.आई. ट्रॉमा सैंटर में मरीजों की तादाद के मद्देनजर सी.टी. स्कैन, एम.आर.आई., एक्स-रे की काफी मांग रहती है। ऐसे में विभाग द्वारा 3.0 टैस्ला एम.आर.आई. मशीन की मांग की गई थी। 

इसके साथ ही विभाग ने एम.आर.आई. गाइडेड फोकस अल्ट्रासाऊंड, हाई इंटेसिटी फोकस्ड अल्ट्रासाऊंड मशीन भी परचेज की। यह गर्भाशय फाइबरोएड (सैल ग्रोथ) के इलाज में इस्तेमाल होती थी। वहीं पी.जी.आई. में इस बीमारी के मरीज काफी कम आते हैं। ऐसे में मशीन की जरूरत न होते हुए भी इसे एडिशनल परचेज के साथ खरीदा गया। अब यह मशीन बेकार ही ट्रॉमा सैंटर में पड़ी है। 


 

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