मल्टी ड्रग थैरेपी ट्रीटमैंट कुष्ठ रोग के बहुत से मरीजों में नहीं है कारगर

Edited By bhavita joshi,Updated: 29 Jan, 2019 10:03 AM

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मल्टी ड्रग थैरेपी से बीमारी पर काबू पाया जा सकता है।

चंडीगढ़(साजन) : मल्टी ड्रग थैरेपी से बीमारी पर काबू पाया जा सकता है। हाल ही में पी.जी.आई. के डिपार्टमैंट ऑफ डर्मेटोलॉजी की अमरीकन जर्नल ऑफ ट्रॉपीकल मैडिसन एंड हाइजीन में रिसर्च छपी है, जिसमें दावा किया गया है कि बीते 6 साल के दौरान संस्थान में कुष्ठ रोग के लेप्रोसी क्लीनिक में 556 नए केस आए, जिनमें से 35 मरीजों (6.3 प्रतिशत)ने मल्टी ड्रग थैरेपी ट्रीटमैंट को रिस्पांड नहीं किया। इन मरीजों पर बैक्टीरिया की जबरदस्त मार थी। ऐसे मरीजों से दूसरे मरीजों को भी कुष्ठ रोग होने का खतरा रहता है। कुष्ठ रोगी के कांटैक्ट में अगर कोई लगातार दो साल तक रहे तो उसके भी बीमारी के चपेट में आने की पूरी संभावना रहती है।

जो इस थैरेपी को रिस्पांड नहीं करते उनमें यह बहुत ही कारगर
 पी.जी.आई. के डर्मेटोलॉजी डिपार्टमैंट के डा. तरुण नारंग और प्रो. सुनील डोगरा के नेतृत्व में टीम ने यह रिसर्च की है। उन्होंने मल्टी ड्रग रैजिस्टैंस केसों से जूझ रहे मरीजों का नए ट्रीटमैंट से इलाज किया। इनमें ओ-फ्लोक्सासीन, क्लेरिथोमाइसिन एवं मिनोसाइकलिन शामिल हैं। इसके साथ एम.आई.पी. वैक्सीन की इम्यूनोथैरेपी दी जाती है। डा.तरुण नारंग एवं प्रो. सुनील डोगरा के मुताबिक इस ट्रीटमैंट से मरीजों को राहत भी मिली है। रिसर्च जर्नल में कुष्ठ रोग के जटिल मामलों को ठीक करने का यह बेहतरीन ट्रीटमैंट अप्रोच है, जिसे मान्यता मिल रही है। मल्टी ड्रग थैरेपी के स्टैंडर्ड ट्रीटमैंट को जो मरीज रिस्पांड नहीं करते, उनमें यह ट्रीटमैंट बहुत ही कारगर है। कुष्ठ रोग का अगर जल्दी पता चल जाए तो इसके फैलाव पर रोक लगाई जा सकती है। इस शोध में बताया गया है कि स्लिट स्कीन स्मीयर टैस्ट से इसका पता लगाया जा सकता है। इसे पेरीफरल हैल्थ सैंटरों में भी शुरू किया जा सकता है क्योंकि टैस्ट न केवल सस्ता है, बल्कि आसान और सटीक जानकारी देने वाला है।

लेप्रोसी केस डिटैक्शन कैंपेन की शुरूआत 
डा. सुनील डोगरा ने बताया कि एन.एल.ई.पी. और केंद्र सरकार ने कुष्ठ रोग में कमी लाने के उद्देश्य से लेप्रोसी केस डिटैक्शन कैंपेन की शुरुआत की है। इसका मकसद बीमारी का जल्द पता लगाना है। कुष्ठ रोग अगर आगे बढ़ जाए तो इससे शारीरिक विकलांगता व शरीर में टेढ़ापन भी हो सकता है। अगर सही समय पर इलाज शुरू हो जाए तो बीमारी की गति को धीमा किया जा सकता है और विकलांगता से बचा जा सकता है। 

सरकार ने शुरू की है पायलट स्टडी
केंद्र सरकार ने एक पायलट स्टडी भी शुरू कराई है जिसके जरिए जाना जा रहा है कि एम.आई.पी. वैक्सीन का कुष्ठ रोग से जूझ रहे मरीजों के संपर्क में आने वालों पर इसका प्रभाव रोकने में कितना रोल रहेगा। प्रो. सुनील डोगरा ने कहा कि कुष्ठ रोग के खिलाफ जंग जारी है और उम्मीद है कि आगे इस बीमारी को देश से पूरी तरह समाप्त किया जा सकेगा। उन्होंने ये भी संदेश दिया कि कुष्ठ रोग का मल्टी ड्रग थैरेपी से इलाज हो सकता है। अगर शरीर में डेढ़ापन या कोई और डीफोर्मिटी आए तो सर्जरी करने की जरूरत पड़ती है। सरकारी अस्पतालों में इसकी दवा मुफ्त में उपलब्ध है। 

मल्टी ड्रग थैरेपी का पूरा कोर्स कर ही बचा जा सकता है बीमारी से
मल्टी ड्रग थैरेपी का पूरा कोर्स कर ही बीमारी से बचा जा सकता है। दवा बीच में नहीं छोडऩी चाहिए। यह बीमारी पेरैंट्स से बच्चों में नहीं फैलती यानि यह अनुवांशिक बीमारी नहीं है। यह बीमारी हाथ लगाने, हाथ मिलाने, साथ खेलने या साथ काम करने से भी नहीं फैलती। यह बीमारी कोई अभिशाप नहीं है बल्कि इसमें बैक्टीरिया स्किन व नव्र्स पर आक्रमण करता है। कुष्ठ रोग से पीड़ित मरीज को भी आजीविका कमाने व सम्मान से जिंदगी जीने का पूरा अधिकार है। सरकार ने कुष्ठ रोगियों की फेवर में बहुत से कानून बनाए हैं, जिनके चलते इनसे किसी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जा सकता। 

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