निगम के स्टोरों में लाखों का सामान हो रहा खराब

Edited By Punjab Kesari,Updated: 26 May, 2018 01:01 PM

municipal corporation

खराब वित्तीय स्थिति से जूझ रहे नगर निगम अपने स्टोरों में पड़े लाखों के कबाड़ की नीलामी करने मेंं नाकाम साबित हुआ है

चंडीगढ़(राय) : खराब वित्तीय स्थिति से जूझ रहे नगर निगम अपने स्टोरों में पड़े लाखों के कबाड़ की नीलामी करने मेंं नाकाम साबित हुआ है, जबकि यहां से करोड़ों का राजस्व अर्जित किया जा सकता है। 

बता दें कि निगम के जनस्वास्थ्य विभाग के स्टोरों में पड़े कबाड़ की नीलामी के लिए निगम वर्ष 2014 से प्रयास कर रहा है लेकिन आज तक उसे नीलाम नहीं कर पाया। इस कबाड़ में कुछ तो उस समय का सामान है जब निगम का गठन हुआ था। 2014 में निगम सदन में एजैंडा पारित कर इसे नीलाम करने की योजना बनाई गई थी। उससे पहले यहां रखे सामान की इनवैंटरी बनाने के लिए विशेष कमेटी भी बनी थी। लेकिन सामान आज भी वहीं भरा है। 

निगम के जनस्वास्थ्य विभाग के 9 स्टोरों तथा इन्फोर्समैंट के औद्योगिक क्षेत्र में स्थित स्टोर में दशकों से पुराना सामान पड़ा हैं। वर्ष 1996 से निगम के जनस्वास्थ्य विभाग के 9 स्टोरों में कबाड़ स्टोरों के भीतर ही नहीं, उनके बाहर भी बिखरा है। ऐसे में नया सामान रखने के लिए निगम ने शहर की अनेक ग्रीन बेल्टों/पार्कों के किनारों में स्टोर बना दिए। कुछ मैंटेनेंस व वाटर सप्लाई बूथों पर पड़ा बेकार का कबाड़ भी धीरे-धीरे इन्हीं स्टोरों में शिफ्ट होता रहा है। कंडम वाहन भी इन स्टोरों में डम्प किए गए हैं। 

निगम सूत्रों के अनुसार 1996 में निगम के गठन के समय यह स्टोर निगम के हवाले किए गए थे। 2014 में जब यह मामला निगम सदन में आया तो तत्कालीन अतिरिक्त आयुक्त (1) की अध्यक्षता में कमेटी बनी थी। कमेटी में सभी इकाईयों के अधिशासी अभियंताओं, कार्यकारी अभियंताओं मैकेनिकल विंग के एस.डी.ई. तथा कांग्रेस पार्षद सुभाष चावला व भाजपा पार्षद अरुण सूद को शामिल किया गया था। 

स्टोरों की इंस्पैक्शन के बाद अतिरिक्त आयुक्त का कहना था कि जितना भी कबाड़ है वह वर्ष 1996 से पहले का है। इन स्टोरों के बाहर सैनेटरी के टूटे सामान के टुकड़े बिखरे हैं। अब यह टूटे टुकड़े लैंड फिलिंग के लिए चुने गए स्थानों पर भी फैंकने पर विचार किया जा रहा है। 

कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि इन स्टोरों में जो फायर हाईडरेंटस, पुराने गेट, स्लूज वाल्वस, पानी के मीटर आदि पड़े हैं वो पुराने डिजाईन के हैं। जो अब प्रयोग में नहीं लाए जा सकते। इसके अलावा अन्य सामान भी इतना पुराना है कि उसका कहीं प्रयोग नहीं किया जा सकता। 

औद्योगिक क्षेत्र में स्थित इंफोर्समैंट के स्टोर में जब्त किया गया छोटा-मोटा सामान तो है। यहां दशकों से ट्रक, स्कूटर, साईकिल आदि के अतिरिक्त लोहा व लोहे का सामान, कॉपर का सामान आदि जैसे कीमती सामान भी पड़ा है। दशकों से पड़े इस सामान को भी नीलाम करने पर विचार नहीं किया गया। 

स्टोर में जगह नहीं, खुले में रखना पड़ता है जब्त सामान :
निगम के इन्फोर्समैंट स्टाफ का कहना था कि स्टोर की हालत यह है कि जब्त किए गए सामान को खुले में रखना पड़ता है। क्योंकि स्टोर में जगह ही नहीं है। वह लोग अनेक बार अधिकारियों से अनुरोध कर चुके हैं कि स्टोर को खाली करवाया जाए ताकि वह जब्त किए गए सामान को सुरक्षित रख सकें पर कहीं कोई सुनवाई नहीं होती। 

उक्त कमेटी के सदस्य एवं मनोनीत पार्षद सुरिंद्र बाहगा ने तो सुझाव दिया था कि निगम अगर कहीं और इस सामान का प्रयोग नहीं कर सकता था तो निगम भवन की अतिरिक्त मंजिलों के निमार्ण के समय इस सामान की इंस्पैक्शन कर जो सामान प्रयोग हो सकता था। इसके अलावा निगम के संबंधित अधिकारी का कहना था कि वहां पड़ा सारा सामान बेकार व पुराना है, जिसे प्रयोग नहीं किया जा सकता। 

स्टोरों में पड़ा सामान                     मार्कीट रेट (लगभग)
234 टन कास्ट आयरन पाईपें         1.50 करोड़
25 टन तारें                                 1650 वाटर हाईड्रेंट
 

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