सरकारी अधिकारियों ने लेन पर जमाए कब्जे, प्रशासन व निगम खामोश

Edited By Priyanka rana,Updated: 26 Aug, 2018 10:59 AM

municipal corporation

प्रशासन और निगम को ऐसी कई शिकायतें मिलती हैं जिसमें यह जिक्र होता है कि सरकारी अधिकारियों ने घरों के पीछे सरकारी लेन में कब्जा कर रखा है।

चंडीगढ़(राय) : प्रशासन और निगम को ऐसी कई शिकायतें मिलती हैं जिसमें यह जिक्र होता है कि सरकारी अधिकारियों ने घरों के पीछे सरकारी लेन में कब्जा कर रखा है। हालांकि न प्रशासन और न ही निगम इन शिकायतों को गंभीरता से लेता है। ऐसे कुछ मामले अदालत में भी लंबित हैं। 

सैक्टर-19ए के मकान नंबर-143 के निवासी सुधीर कुमार ने भी प्रशासक, सलाहकार व प्रशासन तथा निगम के वरिष्ठ अधिकारियों को शिकायत दी है कि सैक्टर-19ए में सरकारी मकान नंबर-144 से 147 तक के निवासियों ने पिछली तरफ की सर्विस लेन को अपने घर में दीवार बनाकर शामिल कर लिया है। 

यहीं के रहने वाले अधिवक्ता प्रकाश गोयल ने इसे लेकर हाईकोर्ट में भी याचिका दायर की थी। सुधार कुमार का कहना है कि इन तीनों मकानों में प्रशासन व निगम के वरिष्ठ अधिकारी रहते हैं और उनके हाऊस अलॉटमैंट कमेटी में भी अच्छी पैठ है। 

उनका कहना है कि सभी जगह शिकायत करने के बावजूद भी इन पर कार्रवाई नहीं हो रही। उन्होंने जब निगमायुक्त को इस संबंधी शिकायत की तो उन्हें बागवानी संबंधी ऐप्प डाऊनलोड करने तथा संबंधित अधिकारी से बागवानी संबंधी शिकायतें करने का मैसेज भेजा गया। 

139 घरों में लोग अनाधिकृत रूप से रह रहे हैं : 
प्रशासन के संबंधित अधिकारी का कहना था कि सर्वे पूरा होने के बाद अनाधिकृत रूप से जिन घरों पर कब्जे किए हैं उन्हें खाली करवाया जाएगा। उधर चंडीगढ़ प्रशासन के 139 घरों में न केवल लोग अनाधिकृत रूप से रह रहे हैं अपितु कुछ ऐसी शिकायतों पर भी गौर नहीं किया जा रहा जहां प्रभावशाली अधिकारियों ने सॢवस लेन भी अपने सरकारी घर में शामिल की है। प्रशासन के संबंधित विभाग ने हाल ही में प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक में रिपोर्ट पेश की थी। 

इसमें कहा गया था कि करीब 139 लोग अनाधिकृत रूप से सरकारी घरों पर कब्जा जमाए हुए हैं। इस सूची में पंजाब और हरियाणा सरकारों, पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय, चंडीगढ़ प्रशासन, चंडीगढ़ नगर निगम और कुछ केंद्र सरकार के विभागों से सेवारत और सेवानिवृत्त अधिकारी शामिल हैं। यह रिपोर्ट प्रशासन ने न्यायालय में एक मामले की सुनवाई में भी पेश की है। रिपोर्ट से पता चला कि इनमें से कुछ घरों का आबंटन दशक पहले रद्द कर दिया था लेकिन उन्हें खाली नहीं करवाया गया। 

आबंटन रद्द फिर भी आवास खाली नहीं :
अदालत में पेश की गई सूची के अनुसार पूर्व निदेशक, मत्स्य पालन, हरियाणा के मकान का आबंटन 1 अगस्त, 2008 को रद्द कर दिया गया था, लेकिन अभी तक आवास खाली नहीं हुआ है। हरियाणा रोडवेज के जनरल मैनेजर को दो आबंटित किए गए। 7 नवम्बर, 2014 को घरों में से एक का आबंटन रद्द कर दिया था, फिर भी उसने घर खाली नहीं किया है। कुछ मामलों में आबंटन रद्द हो चुके हैं व अलॉटी का देहांत भी हो चुका है पर घर खाली नहीं हुए। 

नियम : 4 माह में खाली करना होता है घर :
प्रशासन ने हाल ही में सरकारी घरों का सर्वे करने का निर्णय लिया था। अभियान के दौरान, आधार कार्ड, पते और जन्मतिथि आदि जैसे विवरण लिए जाने थे। बताया जाता है कि सर्वे चल रहा है। नियमानुसार सेवानिवृत्ति, बर्खास्त और सेवा से हटाए गए कर्मचारी को 4 माह में घर खाली करना होता है। चंडीगढ़ के बाहर और भारत के बाहर स्थानांतरण के मामले में, इसे 6 माह में खाली किया जाना है। भारत के बाहर प्रतिनियुक्ति के मामले में अवधि एक वर्ष है।


 

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