वैंडरों के सर्वे में लाखों का गोलमाल

Edited By Priyanka rana,Updated: 22 May, 2019 01:13 PM

municipal corporation

नगर निगम ने वर्ष 2016 में शहर में मौजूद वैंडरों का सर्वे किया। इसके लिए 84 लाख रुपए की भारी-भरकम राशि एक एजैंसी को सर्वे के लिए दी गई लेकिन जब वैंडरों के रजिस्ट्रेशन की बारी आई तो एकदम से कई हजार वैंडर घट गए।

चंडीगढ़(साजन) : नगर निगम ने वर्ष 2016 में शहर में मौजूद वैंडरों का सर्वे किया। इसके लिए 84 लाख रुपए की भारी-भरकम राशि एक एजैंसी को सर्वे के लिए दी गई लेकिन जब वैंडरों के रजिस्ट्रेशन की बारी आई तो एकदम से कई हजार वैंडर घट गए। 

इस प्रकरण में इतना बड़ा घोटाला हो गया कि खुद प्रशासन हैरान है। आऊटसोर्सिंग एजैंसी ने तो इतनी बड़ी राशि सर्वे के लिए ली लेकिन जब वैंडरों की रजिस्ट्रेशन सामने आई तो थोड़े से ही वैंडर शहर में रह गए। आशंका जताई जा रही है कि इस सर्वे के खेल में लाखों रुपए खुद-बुर्द किए गए हैं। शहर की बहुत सी संस्थाएं इस सारे मामले की विजीलैंस जांच की मांग कर रही हैं।

निगम ने एजैंसी को दिए थे 84 लाख :
वर्ष 2016 में निगम के एक वरिष्ठ अधिकारी की ओर से एक एजैंसी को शहर के वैंडरों का सर्वे करने के लिए दिया गया था। इस एजैंसी ने चंडीगढ़ में 21 हजार से ज्यादा वैंडरों की एनरोलमैंट दिखाई। जब इन वैंडरों की वैरीफिकेशन शुरू हुई तो पता चला कि 13 हजार ही वैंडर शहर में रह गए हैं। 

इसके बाद इन वैंडरों की रजिस्ट्रेशन के लिए आधार नंबर की वैरीफिकेशन के साथ प्रक्रिया शुरू हुई तो पता चला कि शहर में महज 6 हजार ही वैंडर हैं। इसके बाद भी जब इन वैंडरों को तय नियमों के अनुसार निगम के पास पैसा जमा कराने को कहा गया तो इसमें से भी कई वैंडर गायब हो गए। एजैंसी को निगम ने प्रति वैंडर के हिसाब से भुगतान किया। यानि कुल मिलाकर इस सर्वे के लिए कंपनी को 84 लाख रुपए दिए गए। 

आर.टी.आई. में नहीं दी जानकारी :
विजीलैंस को भेजी गई शिकायत में कहा गया है कि इस बात की तह में भी जाने की जरूरत है कि एजैंसी ने वैंडरों के सर्वे के लिए कितने पैसे की मांग की थी। इस सर्वे के दौरान फर्जी लोगों को वैंडरों के तौर पर दिखाया गया ताकि सर्वे करने वाली एजैंसी को प्रति वैंडर के हिसाब से मोटी रकम दी जा सके। 

महत्वपूर्ण बात यह है कि जिस एजैंसी को सर्वे का यह काम आऊटसोर्सिंग पर दिया गया, उसके सर्वे करने के बाद डिटेल पब्लिक डोमेन में भी नहीं डाली गई कि कौन सी एजैंसी ने यह सर्वे किया था। आर.टी.आई. में जब निगम से इसकी डिटेल मांगी गई तो कह दिया गया कि आर.टी.आई. एक्टीविस्ट आर.के. गर्ग तीसरी पार्टी की इनफर्मेशन मांग रहे हैं जो किसी भी तरह से जायज नहीं है, लिहाजा बिलकुल भी नहीं दी जा सकती। जब हवाला दिया गया कि थर्ड पार्टी इनफर्मेशन में उस पार्टी से संबंधित पर्सनल डिटेल्स नहीं मांगी गई बल्कि ऐसी डिटेल्स मांगी गई हैं जो आम आदमी से जुड़ी हुई हैं। 

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