नगर निगम बैठक : पेड पार्किंग के बढ़े रेट्स से कोई राहत नहीं

Edited By Punjab Kesari,Updated: 25 May, 2018 09:44 AM

municipal corporation no relief from increased parking rates

नगर निगम की वीरवार को हुई मीटिंग में पार्किंग स्थलों का संचालन कर रही कंपनी से किया करार रद्द करने और पार्किंग की बढ़ी दरें घटाने को लेकर बात नहीं बन सकी।

चंडीगढ़ (राय): नगर निगम की वीरवार को हुई मीटिंग में पार्किंग स्थलों का संचालन कर रही कंपनी से किया करार रद्द करने और पार्किंग की बढ़ी दरें घटाने को लेकर बात नहीं बन सकी। लोगों को पेड पार्किंग के बढ़े रेट्स ही देने पड़ेंगे। शहर में पार्किंग स्थलों का संचालन कर रही कंपनी आर्य इंफ्रा टोल प्लाजा से किया करार रद्द करने का एजैंडा तो आया लेकिन नए निगमायुक्त के अनुरोध पर उसे डैफर कर दिया गया। 

 

लोगों तथा पार्षदों को प्रतीक्षा थी कि सदन में बढ़ी पार्किंग दरें वापस लेने व वर्तमान कंपनी से किया करार रद्द करने का प्रस्ताव पारित होगा। सप्लीमैंटरी एजैंडे के रूप में लाए गए प्रस्ताव पर शुरू हुई बहस नए आयुक्त के.के. यादव ने यह कहकर ब्रेक लगा दी कि उन्होंने अभी कल ही पदभार संभाला है। इसे समझने के लिए उन्हें थोड़ा समय चाहिए। 

 

उन्होंने स्मार्ट पार्किंग की पड़ताल के लिए मेयर द्वारा गठित कमेटी की रिपोर्ट का अध्ययन किया है, जिसने इसमें तमाम खामियां गिनाई हैं। वहीं मेयर देवेश मोदगिल ने निगम आयुक्त को बताया कि एम.ओ.यू. में कहीं भी पार्किंग के रेट वापस लेने का प्रावधान नहीं हैं। वह चाहते हैं कि जो अधिकारियों ने स्मार्ट पार्किंग की पड़ताल के लिए अलग से कमेटी बनाई थी, उस रिपोर्ट को भी ऑन रिकार्ड रखकर अध्ययन किया जाए।

 

कई एजैंडे डैफर
मीटिंग में कई एजैंडे वित्तीय संकट के चलते डैफर किए गए, जबकि कांग्रेस पार्षद देविंद्र सिंह बबला की जिद्द पर उनके वार्ड में आते सैक्टर-30 में प्रस्तावित सामुदायिक केंद्र के निर्माण का एजैंडा पारित किया गया। सदन में पानी व वित्तीय स्थिति पर लंबी चर्चा हुई। 

 

फैसला लिया गया कि वित्तीय स्थिति पर चर्चा तथा राजस्व के नए स्रोतों पर चर्चा के लिए विशेष बैठक जल्द होगी। भाजपा पार्षद अरुण सूद ने बताया कि पहले दिल्ली वित्त आयोग ने प्रशासन के राजस्व में से निगम को 22 प्रतिशत हिस्सा देने की सिफारिश की थी, जबकि बाद के दो आयोगों ने 17.50 प्रतिशत व चौथे वित्त आयोग 30 प्रतिशत हिस्सा देने की सिफारिश की है। 

 

सूद ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में प्रशासन ने निगम को 267 करोड़ की ग्रांट इन एड देने हैं जबकि निगम के इस्टैब्लिशमैंट का खर्च करीब 438 करोड़ वार्षिक है। इस बार प्रशासन को केंद्र से 3738 करोड़ रुपए मिलने हैं। 

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