Edited By bhavita joshi,Updated: 20 Jan, 2019 09:00 AM
राजेश कालिया नगर निगम में भाजपा के बहुमत के चलते मेयर तो बन गए, लेकिन अब एक वर्ष उनके लिए चुनौतियों भरा रहेगा।
चंडीगढ़ (राय): राजेश कालिया नगर निगम में भाजपा के बहुमत के चलते मेयर तो बन गए, लेकिन अब एक वर्ष उनके लिए चुनौतियों भरा रहेगा। सबसे बड़ी चुनौती है इस वर्ष होने वाले लोकसभा चुनावों में भाजपा के विकास के मुद्दे में योगदान देना। इसके लिए उन्हें शहर में कुछ ऐसी योजनाएं लानी होंगी, जिनसे धरातल पर लोगों को विकास दिखाई दे।
हालांकि पदभार संभालते ही कालिया ने अपने साथ जुड़े विवादों पर विराम लगाने का प्रयास किया है व साथ ही अपनी प्राथमिकताएं भी गिना दी है। शहर को राष्ट्रीय स्तर पर चल रहे स्वच्छता मिशन में प्रथम नंबर पर लाने के लिए कचरे का पृथककरण स्रोत से करना आवश्यक है। आज तक यह माना जा रहा था कि कालिया गारबेज कलैक्टरों का हवाला देकर निगम की योजनाओं को सफल नहीं होने दे रहे हैं। यहां तक कि निगम की घर-घर से स्वयं कचरा एकत्र करने की योजना के विरुद्ध तो कालिया गारबेज कलैक्टरों के साथ खड़े थे।
पदभार संभालते ही उन्होंने कह दिया है कि निगम सदन में कचरा एकत्र करने के संबंध में जो एजैंडा पारित हुआ था, उसका वह रिव्यू करेंगे व उसमें गारबेज कलैक्टरों की राय भी ली जाएगी। स्पष्ट है कि जिस एजैंडे को निगम अधिकारियों ने जद्दोजहद से बनाया व सदन की तीन बैठकों में घंटों उस पर चर्चा हुई व फिर पारित हुआ वह अब बेकार हो गया है।
रिव्यू कर नया एजैंडा लाने व उसे निगम सदन में पारित करवाने में इतना समय लगेगा कि स्वच्छ सर्वेक्षण का समय ही खत्म हो जाएगा। फिर भी निगम अधिकारियों को उम्मीद है कि जो काम वह नहीं करवा पाए वह कालिया गारबेज कलैक्टरों से करवा पाएंगे व स्रोत से कचरा पृथककरण की उनकी योजना अवश्य सफल होगी। निगम सदन के भीतर व बाहर निगम अधिकारियों से हर समय उलझने वाले राजेश कालिया अब स्वच्छ भारत मिशन में उनके साथ कैसे तालमेल रखेंगे। ज्ञात रहे कि गत वर्ष चंडीगढ़ स्वच्छता रैंकिंग में 11वें स्थान पर था।
मोदगिल के प्रयास को आगे बढ़ाएंगे
निगम ने गत वर्ष आय के स्रोत बढ़ाने के लिए पार्किंग शुल्क बढ़ाने के बाद पानी की दरें, व्यवसायिक वाहनों पर प्रवेश शुल्क, फायर की एन.ओ.सी. देने का शुल्क, प्रोफैशनल टैक्स, व्यवसायिक संपत्ति पर लगे कर को रिव्यू करना आदि जैसे राजस्व बढ़ाने के प्रस्तावों को सदन में रखा था। निगम की आय बढ़ाने के लिए मेयर को लागू करने हैं। कालिया ने कहा कि वह चाहेंगे कि देवेश मोदगिल ने जो प्रशासन से राजस्व अर्जित करने वाले विभाग लेने के प्रयास शुरू किए थे उन्हें वह जारी रखें। मनीमाजरा में अधिग्रहण की भूमि को निगम प्रयोग नहीं कर सका है। निगम की करोड़ों की इस प्रकार की संपत्ति के लिए भी मेयर को निर्णय लेने होंगे।
निगम की वित्तीय हालत सुधारने के लिए आय के नए स्त्रोत बढ़ाने की चुनौती
मेयर के लिए दूसरी चुनौती है सोलिड वेस्ट मैनेजमैंट की। शहर का सोलिड वेस्ट मैनेजमैंट प्लांट पूरा 450 टन कचरा लेने की बजाय 90 से 100 टन ही ले रहा। इसी के चलते अधिकांश कचरा डड्डूमाजरा के डंपिंग ग्राऊंड में जा रहा है। मेयर का घर भी डंपिंग ग्राऊंड की दीवार के साथ लगता है। मेयर के पदभार संभालने से पहले ही निगम का खजाना खाली है। कभी निगम के फिक्स डिपॉजिट में 500 करोड़ थे लेकिन अब केवल 34 करोड़ रह गए हैं। निगम की वित्तीय स्थित में सुधार के लिए आय के नए स्रोत पैदा करना भी एक चुनौती है। वह केंद्र से सहायता की अपील करेंगे। विज्ञापन नियंत्रण एक्ट 1954 के तहत डिफाल्टरों से करोड़ों की राशि लेने के लिए भी मेयर को कठोर कदम उठाने होंगे। पूर्व महापौर ने इसके लिए चंडीगढ़ के प्रशासक तक से गुहार लगा दी थी। इसके अतिरिक्त चौथे दिल्ली वित्त आयोग की सिफारिशों के आधार पर प्रशासन के राजस्व से निगम का पूरा हिस्सा लिया जाना भी मेयर की प्राथमिकता होगा।
डंपिंग ग्राऊंड का किया दौरा
मेयर ने आज सबसे पहले डड्डूमाजरा स्थित डंपिंग ग्राऊंड का दौरा किया। उनका कहना था क्योंकि वे डड्डूमाजरा में रहते हैं इसीलिए उन्हें पता है कि डंपिंग ग्राऊंड की समस्या क्या है। उन्होंने कहा कि उनकी प्राथमिकताओं में एक काम यह रहेगा कि लोगों को समस्या से निजात दिलवा सकूं।