Edited By pooja verma,Updated: 11 Nov, 2019 11:14 AM
धान की फसल की जैसे-जैसे कट रही है, उसी ही तरह धान की बची पराली को रोजाना कई किसान सरेआम आग लगा रहे हैं।
जीरकपुर (मेशी): धान की फसल की जैसे-जैसे कट रही है, उसी ही तरह धान की बची पराली को रोजाना कई किसान सरेआम आग लगा रहे हैं। ऐसा लगता है जैसे किसानों को किसी का कोई भय नहीं। गांव गाजीपुर, नगला, छठा, किश्नपूरा और दियालपुरा आदि गांवों में किसान पराली को लगातार आग लगा रहे हैं। बेशक वातावरण और कृषि के विशेषज्ञ स्कूली बच्चों की तरफ से निकाली रैलियों के जरिए किसानों को जागरुक करते रहे हों, लेकिन किसानों पर इसका कोई खास प्रभाव दिखाई नहीं दे रहा।
बेशक पराली जलाने से वातावरण प्रदूषित होता है और कई बिमारियां जन्म लेती हैं। ज्ञात रहे कि प्रशासन की तरफ से बेशक आग लाने के मुकम्मल पाबंदी के सख्त ओदश जो सिर्फ कागजों तक ही सीमित रह जाते हैं। इस संबंध में प्रशासनिक अधिकारी के ध्यान में लाया जाता है तो एक ही जवाब मिलता है कि हमारे पास किसी की शिकायत नहीं आई।