Edited By pooja verma,Updated: 01 May, 2020 11:04 AM
दांतों का इलाज करने वाले डॉक्टरों में कोगेना के चलते वायरस को लेकर भय कौ स्थिति बनी हुई थी, क्योंकि दांतों के इलाज के दौरान इस्तेमाल होने वाली अल्ट्रासोनिक डिवाइस के कारण काफी मात्रा में थूक आता है, जिसे रिलीज करना होता है, जिसके बाद दिए जाने वाला...
चंडीगढ़ (रमेश हांडा) : दांतों का इलाज करने वाले डॉक्टरों में कोगेना के चलते वायरस को लेकर भय कौ स्थिति बनी हुई थी, क्योंकि दांतों के इलाज के दौरान इस्तेमाल होने वाली अल्ट्रासोनिक डिवाइस के कारण काफी मात्रा में थूक आता है, जिसे रिलीज करना होता है, जिसके बाद दिए जाने वाला प्रैशर 30 फुट दूर तक जा सकता है यानी अगरमरीज में कोई संक्रमण है तो 30 फुट तक व्यक्ति उसकी चपेट में आ सकता है। यही वजह है कि डैंटल के डॉक्टरों में भय का माहौल है। उक्त दर को देखते हुए केंद्रीय वैज्ञानिक उपकरण संगठन (सी.एस.आई.ओ. ) व रिसर्च संस्थान ने पी.जी.आई. चंडीगढ़ केसाथमिलकर एक सुरक्षा कवच तैयार किया है। यह सुरक्षा कवच वैसी ही सुरक्षा देगा, जैसी कि कोरोना के इलाज के दौरान पी.पी.ई. किट दे रही है।
ए.आर.सी. बचाएगा वायरस से
सुरक्षा कवच का डिजाइन निगम साइंटिफिक वर्क्स चंडीगढ़ ने तैयार किया है, जिनके साथ सी.एस.आई.ओ. ने समझौता भी किया है। सुरक्षा कवच को एरोसॉल रिस्ट्रिक्टिंग कैनोपी (ए.आर.सी.) का नाम दिया गया है। इस सुरक्षा कवच के खोजकर डॉ संजीव वर्मा ने बताया कि कोरोना मरीज के इलाज के दौरान जो काम पी.पी.ई. किट कर रही है वही काम ए.आर.सी. करेगा।
मुंह से थूक या लिविड बाहर नहीं आएगा
दांतों के इलाज के दौरान ड्रिल व अल्ट्रासोनिक डिवाइस का इस्तेमाल होता है, जिसके छींटे बहुत दूर तक जाते हैं। ऐसे में सुरक्षा को भेदना वायरस के लिए आसान था, लेकिन अब मरीज के मुंह से थूक या लिक्विड बाहर नहीं आएगा। क्योंकि उक्त कवच मरीज के संक्रमण से डॉक्टर को दूर रखेगा, जिसे डैंटल चीयर के सेक्शन पंप की तरह इस्तेमाल किया जाएगा। ए.आर.सी. दांतों के इलाज के दौरान प्लेटफार्म में फिक्स कर दिया जाएगा, जो मरीज के शरीर के उस हिस्से को कवर करेगा जिसके संपर्क में इलाज के दौरान डॉक्टर ह्यआते हैं।