Edited By bhavita joshi,Updated: 19 Jul, 2019 01:16 PM
जंगली जानवरों द्वारा किसानों की फसलों को नुकसान पहुंचाने की एवज में मुआवजा संबंधी जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने एक वर्ष पहले हरियाणा सरकार और अन्य संबंधित विभागों को मुआवजा के आदेश दिए थे।
चंडीगढ़(हांडा): जंगली जानवरों द्वारा किसानों की फसलों को नुकसान पहुंचाने की एवज में मुआवजा संबंधी जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने एक वर्ष पहले हरियाणा सरकार और अन्य संबंधित विभागों को मुआवजा के आदेश दिए थे। अब तक राज्य सरकार ने अमल नहीं किया। इसके बाद एडवोकेट व समाजसेवी विजय बंसल ने हाईकोर्ट में कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट की याचिका दाखिल की थी। वीरवार को सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने आलोक निगम, आई.ए.एस. अतिरिक्त मुख्य सचिव वन विभाग एवं वीर भान सिंह तंवर चीफ वार्डन वन्य प्राणी विभाग व हरियाणा सरकार को कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट का नोटिस देकर 19 सितम्बर को जवाब देने के लिए कहा है।
किसानों को होता है नुक्सान
बंसल ने जनहित याचिका में कहा था कि शिवालिक क्षेत्र के जिला पंचकूला अम्बाला व यमुनानगर के गांवों की सीमा के साथ अधिकतर वन क्षेत्र है जिस कारण कई जंगली जानवर जैसे जंगली सुअर और नील गाय आदि किसानों की फसलों को चट कर जाते हैं व तहस नहस कर भारी नुकसान करते हैं जिससे किसानों को आॢथक नुकसान होता है। शिवालिक क्षेत्र में पहले ही सिंचाई के पुख्ता प्रबंध नही हैं और कम जमीन होने के कारण किसानों के पास कमाई का कोई साधन भी नहीं है। जंगली जानवर, फसलों का निरंतर नुकसान कर रहे हैं और सरकार व वन्य प्राणी विभाग चुपी साधे बैठा है। जंगली जानवर फसलों को चट कर जाते हैं, पालतू पशुओं को मार देते हैं व नुकसान पहुंचाते हैं। इसके लिए नाममात्र मुआवजा जिसमें बकरी के लिए 500, गाय के लिए 1500, भैंस के लिए लगभग 3000 रुपए दिए जाते हैं।
नुक्सान के लिए 1 करोड़ 33 लाख मंजूर
याचिका में बताया गया है कि पंजाब सरकार ने किसानों के हितों की रक्षा करते हुए रोपड़, आनंदपुर साहिब, गढ़शंकर, बलाचौर आदि विधानसभाओं के गांवों व किसानों की सुरक्षा के लिए राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अंतर्गत वन क्षेत्र की तारबंदी हेतु 2017-18 में 8 करोड़ 16 लाख व 2018-19 में 8 करोड़ की अनुदान राशि मंजूर करी है जबकि जंगली जानवरों द्वारा फसलों की नुक्सान की भरपाई के लिए 1 करोड़ 33 लाख का मुआवजा मंजूर किया है। इसके साथ ही जंगली जानवरों जैसे जंगली सूअर व नील गाय आदि को मारने के परमिट भी जारी करने के आदेश दिए हैं जो कि स्थानीय एस.डी.एम. व डी.एफ.ओ. संबंधित किसान को मंजूर करेंगे जिससे किसान अपने खेत व फसल की सुरक्षा के लिए जंगली जानवर को मार सकेगा, वहीं हरियाणा में इस तरह का कोई प्रावधान नहीं है।