70 प्रतिशत फीस वसूल रहे स्कूलों को नोटिस

Edited By pooja verma,Updated: 02 Jun, 2020 10:12 AM

notice to schools charging 70 percent fee

पंजाब सरकार के निजी स्कूलों को कोरोना काल की 70 प्रतिशत ट्यूशन ''फीस लेने के आदेश और पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के 22 मई के टोटल फौस का 70 प्रतिशत और स्टाफको 70 प्रतिशत ले वाले आदेशों के खिलाफ दाखिल की गई 10 एप्लीकेशनों समेत धारा 5 की एप्लीकेशन पर...

चंडीगढ़ (रमेश हांडा): पंजाब सरकार के निजी स्कूलों को कोरोना काल की 70 प्रतिशत ट्यूशन 'फीस लेने के आदेश और पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के 22 मई के टोटल फौस का 70 प्रतिशत और स्टाफको 70 प्रतिशत ले वाले आदेशों के खिलाफ दाखिल की गई 10 एप्लीकेशनों समेत धारा 5 की एप्लीकेशन पर सुनवाई करते हर हाईकोर्ट ने सोमबार को पंजाब सभी अनएडिड स्कूलों के संचालकों को 12 जून के लिए नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। 

 

एप्लीकेशन दायर
करने वाले फैंट्स के वकील एडवोकेट चरणपाल सिंह बागडी ब गुरजीत कौर बागड़ी ने वीडियो कांफ्रैंसिंग के जरिए जिरह की। उनकी मांग है कि निजी स्कूलों से तीन वर्ष की आय खर्च, स्यफ की संख्या व सैलरी का ब्यौया मांगा जाए, जिससे स्पष्ट होगा कि खाली ट्यूशन फीस  लेने पर भी निजी स्कूल देकर कितने लाभ या घाटे में हैं।

 

किसी के पास मोबाइल नहीं तो किसी के पास इंटरनैट नहीं तो कई यूज करना नहीं जानते
पेरैंट्स की ओर से निशुल्क केस लड़ रहे चरणपाल सिंह बागड़ी ने कोर्ट के समक्ष मुद॒द उठाया कि पंजाब में कई जगह नैट की फैसेलिटी ही नहीं है या स्टूडैंट्स नैट का इस्तेमाल करना ही नहीं जानते या उनके पास स्मार्टफोन नहीं है, वह ऑनलाइन कैसे पढ़ाई कर सकते हैं और नर्सरी व पहली कक्षा तक के स्टूडैंटस, जिनकी उम्र मात्र 6 कर्ध रहती है, वह ऑनलाइन पढ़ाई करने में सक्षम ही नहीं हैं। 

 

ऐसे में उनसे लॉकडाऊन पीरियड की फीस लेना असंवैधानिक होगा। उन्होंने कहा कि कोर्ट ने 6 माह के भीतर दो किस्तों में फीस लेने को कहा था लेकिन निजी स्कूल संचालक 10 दिन के भीतर ही फीस जमा करवाने का दबाव बना रहे हैं, जो कि कोर्ट के आदेशों के खिलाफ है। कोर्ट के अंतिम आदेश आने तक कोई भी अनएडिड निजी स्कूल स्टूडेंट्स से जबरन फीस नहीं क्यूल सकेंगे।

 

कोर्ट ने प्रतिवादी पक्ष से कहा कि उक्त बाते यु सुनने के बाद क्यों न कोर्ट पेरैंट्स को राहत दे। प्रतिवादी पक्ष के वकील पुनीत बली व अन्य का कहना था कि उक्त एप्लीकेशंस का कोई औचित्य नहीं, सब मनगढ़ंत है, जबकि सच्चाई यह है कि निजी स्कूलों के पास स्टाफ व टीचर्स को वेतन देने और बैंकों से लिए गए कर्ज की किस्तें देने को भी पैसे नहीं हैं क्षों को चुनने के बाद कोर्ट ने कह्म कि 72 जून को स्कूल संचालक मांगा गया ब्यौरा पेश करे और उसी दिन कोर्ट आदेश पारित करेगा।

 

 
 
 

 

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