अब आसान नहीं होगा ड्राइविंग लाइसैंस बनाना, कठिन टैस्ट तो हाइटैक होगा प्रोसिजर

Edited By ,Updated: 21 Feb, 2017 10:42 AM

now driving license will not be easy to make

अगर आपने अभी तक अपना ड्राइविंग लाइसैंस नहीं बनाया है तो जल्द ही इसके लिए अप्लाई कर दें, क्योंकि एक महीने के बाद रजिस्ट्रिंग एंड लाइसैंसिंग अथॉरिटी (आर.एल.ए.) ड्राइविंग टैस्ट को पूरी तरह से हाईटैक करने जा रही है।

चंडीगढ़ (रोहिला) : अगर आपने अभी तक अपना ड्राइविंग लाइसैंस नहीं बनाया है तो जल्द ही इसके लिए अप्लाई कर दें, क्योंकि एक महीने के बाद रजिस्ट्रिंग एंड लाइसैंसिंग अथॉरिटी (आर.एल.ए.) ड्राइविंग टैस्ट को पूरी तरह से हाईटैक करने जा रही है। जिसके बाद न तो किसी की सिफारिश चलेगी और न ही दलालों को फीस देकर काम हो पाएगा। पक्का ड्राइविंग लाइसैंस बनने से पहले आर.एल.ए. द्वारा सैक्टर-23 के ट्रैफिक पार्क में टैस्ट लिया जाता है। इसी टैस्ट के लिए आर.एल.ए. ने सख्त नियम तैयार किए हैं। यह पूरा टैस्ट अब कैमरों की निगरानी में होगा। इन सभी कैमरों का सीधा कनैक्शन कंट्रोल रूम से होगा। 

 

जहां ड्राइविंग की पूरी गतिविधि रिकॉर्ड की जाएगी। एक भी गलती की तो वहां लगने वाले एल.ई.डी स्क्रीन पर इसकी सूचना बीप से मिलेगी। यानी अब ड्राइविंग टैस्ट की असेस्मैंट तो पूरी तरह से कैमरा बेस्ड होगी। अब ड्राइविंग लाइसैंस मिल पाना तभी संभव होगा यदि आप कंप्यूटराइज्ड ड्राइविंग टैस्ट पास कर सकते हैं। सूत्रों के अनुसार हर महीने टै्रफिक पार्क में 3 से 4 हजार लोग टैस्ट देने के लिए पहुंचते हैं। इनमें से 60 प्रतिशत लोग रोजाना इस टैस्ट में फेल हो जाते हैं, लेकिन अब इस टैस्ट में फेल होने वालों की संख्या अधिक हो सकती है, क्योंकि टैस्ट की बारीकियों पर इंस्पैक्टर नहीं बल्कि कंप्यूटर नजर रखेगा।

 

कंट्रोल रूम लगभग तैयार
ड्राइविंग टैस्ट के दौरान निगरानी रखने के लिए लगाए गए कैमरों को कंट्रोल करने के लिए कंट्रोल रूम भी तैयार हो चुका है। ट्रैक के दोनों तरफ हाईटैक कैमरा लगाए जा चुके हैं। हालांकि प्रशासन द्वारा पार्क में 20 हाईटैक कैमरे लाए जाने हैं, लेकिन अभी फिलहाल 14 कैमरे लगाए जा चुके हंै। जोकि कम्प्यूटर से अटैच होंगे और जो भी टैस्ट देने के लिए जाएगा उसकी असेस्मैंट ये कैमरा ही करेंगे। गौरतलब है कि सैक्टर-23 के चिल्ड्रन ट्रैफिक पार्क में रजिस्ट्ररिंग एंड लाइसैंसिंग अथॉरिटी (आर.एल.ए.) ड्राइविंग लाइसैंस के लिए टैस्ट लेती है। दस लाख रुपए की लागत से यह कंट्रोल रूम तैयार किया जा रहा है।

 

अंडरगाऊंड वायरिंग का काम पूरा
नया ट्रैक भी बनाकर तैयार कर लिया गया है और लगाए गए कैमरों के जरिए ही ड्राइविंग लाइसैंस के लिए ड्राइविंग टैस्ट देने वाले के स्किल्स को असैस किया जाएगा। ट्रैक पर जैसे ही गाड़ी की मूवमैंट होगी, इसको कैमरों से कैद किया जाएगा और रियल टाइम में एरर की रिपोर्ट इंस्पैक्टर के पास भेज दी जाएगी। इसके अलावा जल्द ही आर.एफ.आई.डी. रीडर्स भी इंस्टॉल किर दिए जाएंगे। इसे लेकर अंडरग्राऊंड वायरिंग का काम भी पूरा हो चुका है।


 

पास होने पर मिलेगी कंप्यूटराइज्ड रिपोर्ट 
जानकारी के अनुसार बिना किसी गलती के टैस्ट में पास होने पर ड्राइविंग टैस्ट देने वाले कैडीडेंट को कंप्यूटराइज्ड रिपोर्ट मिलेगी। ड्राइविंग टैस्ट का सारा रिकॉर्ड पार्क में लगे कैमरों में कैद होगा। जिसमें पता लग जाएगा कि उसने कहां-कहां गलतियां की हैं। कंप्यूटराइज्ड रिपोर्ट ओके होने पर ही लाइसैंस मिल सकेगा। यह सारा प्रोसैस अप्रैल तक शुरू हो जाएगा। 

 

ड्राइविंग टैस्ट को कंप्यूटराइज्ड करने का प्रोसैस चल रहा है 
ड्राइविंग लाइसैंस बनवाने के लिए सैक्टर-23 के चिल्ड्रन ट्रैफिक पार्क में लिए जाने वाले ड्राइविंग टैस्ट को कंप्यूटराइज्ड करने का प्रोसैस चल रहा है। आधे से ज्यादा काम पूरा हो चुका है। लगभग एक माह तक ड्राइविंग टैस्ट कंप्यूटराइज्ड होने शुरू हो जाएंगे।-करनैल सिंह, रजिस्ट्ररिंग एंड लाइसैंसिंग अथॉरिटी। 

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