Edited By pooja verma,Updated: 18 Jun, 2019 02:53 PM
पश्चिम बंगाल में चल डाक्टरों के विवाद के चलते सोमवार को डाक्टरों ने इमरजैंसी को छोड ओ.पी.डी. बंद रखने का ऐलान के चलते मोहाली में मरीजों को बिना ईलाज ही लौटना पड़ा। सोमवार को सरकारी छुट्टी भी थी जिसके चलते ज्यादा मरीज अस्पताल में ईलाज करवाने के लिए...
मोहाली (राणा): पश्चिम बंगाल में चल डाक्टरों के विवाद के चलते सोमवार को डाक्टरों ने इमरजैंसी को छोड ओ.पी.डी. बंद रखने का ऐलान के चलते मोहाली में मरीजों को बिना ईलाज ही लौटना पड़ा। सोमवार को सरकारी छुट्टी भी थी जिसके चलते ज्यादा मरीज अस्पताल में ईलाज करवाने के लिए नहीं पहुंचे।
वहीं, जिला मोहाली की इंडियन मैडीकल एसोसिएशन की ओर से भी पश्चिम बंगाल में हुई घटना को लेकर रोष जताया गया, जिला मोहाली में सरकारी डाक्टरों के साथ प्राइवेट अस्पतालों के डाक्टर भी उनके साथ शामिल थे।
लोगों को जानकारी नहीं थी कि ओ.पी.डी. रहेगी बंद, बिना इलाज लौटे कई मरीज
ज्यादातर लोगों को इसकी जानकारी नहीं थी कि सोमवार को अस्पतालों में ओ.पी.डी. बंद रहेगी, जिसके चलते सोमवार को फेज-6 के सिविल अस्पताल में महिलाएं व पुरूष चैकअप करवाने के लिए ओ.पी.डी. में दरवाजे के बाहर खड़े हुए थे।
वहीं, बलौंगी की रहने वाली पीड़िता सविता देवी से बात की तो उसने कहा कि वह सुबह 8 बजे से खड़ी हुई है क्योंकि लेट आने पर लाईने काफी लंबी लग जाती है, लेकिन उन्हे क्या पता था कि सोमवार को अस्पताल में छुटटी है। उसकी तबीयत दो दिनों से ठीक नहीं चल रही है, सिर्फ अमरजैंसी मरीज को ही देखा जा रहा है।
मदर एंड चाइल्ड केयर सैंटर में डाक्टर का इंतजार करते रहे मरीज
सिविल अस्पताल में स्थित मदर एंड चाइल्ड केयर सैंटर में महिलाएं अपने बीमार बच्चों का चैकअप करवाने पहुंची थी और कुर्सियों पर बैठी थी। काफी देर तक आवाज नहीं लगी तो महिलाएं आस-पास के स्टाफ से पूछने लगी तो पता चला कि आज छुटटी है। वहीं गर्भवती महिलाएं भी अपना रूटीन चैकअप करवाने के लिए इंतजार करती रही, लेकिन उन्हे भी बिना ईलाज अस्पताल से मायूस ही लौटना पड़ा।
नहीं मिले हैल्थ मिनिस्टर
पश्चिम बंगाल में हुई डाक्टरों से साथ मारपीट की घटना को लेकर इंडियन मैडीकल एसोसिएशन की ओर से भी मोहाली में घटना की निंदा संबंधी पोस्टर दिखाते हुए रोष जताया गया। बताया जा रहा था कि डाक्टरों की ओर से घटना को लेकर एक मांग-पत्र पंजाब के हैल्थ मिनिस्टर बलबीर सिंह सिंद्वू को सौंपा जाना था। लेकिन बलबीर सिंद्वू वहां पर नहीं पहुंचे।