ओरल कैंसर के 5 पेशैंट्स को दिए नए होंठ और जबड़े

Edited By Priyanka rana,Updated: 13 Sep, 2019 01:16 PM

oral cancer

पी.जी.आई. के बाद अब जी.एम.सी.एच.-32 नॉर्थ के उन संस्थानों में शामिल हो गया है, जहां पैशेंट्स को बोन व सॉफ्ट टिश्यू ट्रांसप्लांट की सुविधा मिल सकेगी।

चंडीगढ़(रवि) : पी.जी.आई. के बाद अब जी.एम.सी.एच.-32 नॉर्थ के उन संस्थानों में शामिल हो गया है, जहां पैशेंट्स को बोन व सॉफ्ट टिश्यू ट्रांसप्लांट की सुविधा मिल सकेगी। जी.एम.सी.एच. के डैंटिस्ट्री डिपार्टमैंट ने ओरल कैंसर और माईक्रोवैस्कूलर रिकंस्ट्रक्टिव सर्जरी कर 5 मरीजों को एक नया चेहरा दिया है। मरीजों के लिप्स (होंठ) और जॉ (जबड़ा) को नया आकार दिया गया है। अभी तक यह सुविधा सिर्फ पी.जी.आई. में ही मौजूद थी। 

शंघाई से ओरल कैंसर एंड माइक्रोवैस्कूलर सर्जरी में फैलोशिप कर लौटे डॉ. आनंद :
डैंटिस्ट्री डिपार्टमैंट के असिस्टैंट प्रोफैसर और ओरल एंड मैक्सिलोफैशियल सर्जन डॉ. आंनद गुप्ता के अंडर इस प्रोसैस को किया गया है। डा. आंनद पिछले साल ही शंघाई से ओरल कैंसर एंड माईक्रोवैस्कूलर सर्जरी में फैलोशिप कर लौटे हैं। 

ओरल कैंसर के तीन मरीजों को जहां सर्जरी कर नए लिप्स(होंठ) व चिक्स (गाल) दिए गए। वहीं दो मरीजों के चेहरे के जॉ (जबड़े) का रिकंस्ट्रक्शन किया है। सर्जरी की खास बात यह है कि बॉडी के पार्ट जैसे हाथ व पैर से टिश्यू लेकर उसे चेहरे पर ट्रांसप्लांट किया गया। नया जबड़े बनाने के लिए लेग बोन व हिप बोन का इस्तेमाल किया गया।

10 से 12 घंटे का प्रोसैस है, माइक्रोस्कोप से लगाए जाते हैं टांके :
पिछले 9 महीनों में अब तक 5 मरीजों को जी.एम.सी.एच. में ट्रीट किया जा चुका है, जबकि हाल ही में 2 और नए मरीजों को इस टैक्नीक से इलाज दिया गया है। ओरल कैंसर व बिनाइल ट्यूमर के मरीजों में यह टैक्नीक बहुत ही यूजफूल है, लेकिन डाक्टरों के लिए इसे करना काफी चैलेंजिंग है। 

इस सर्जरी में कैंसर काट के नया चेहरा बनाने में कम से कम 10 से 12 घंटे का वक्त लगता है। हाथ से टिश्यू निकालने के बाद 2 घंटे के अंदर उसे ट्रांसप्लांट कर फेस के वैसल्स से जोड़ दिया जाता है। इसके लिए माइक्रोस्कोप से छोटी-छोटी वैसेल्स को बालों से भी पतले टांकों से जोड़ा जाता है।

पहले के प्रोसैस में टिश्यू लेकर चेहरे पर चिपका दिया जाता था :
डा. आंनद के मुताबिक इससे पहले जिस प्रोसैस का यूज किया जाता था, उसमें पास से टिश्यू को लेकर चेहरे पर चिपका दिया जाता था। जिसमें एक महीने बाद कहीं जाकर रिस्पांस आता था लेकिन रिस्पांस पॉजिटिव हो यह भी जरूरी नहीं। इस सर्जरी की खास बात यह है कि इसमें हम स्किन नहीं लेते बल्कि पूरा टिश्यू हाथ से निकाल लेते हैं, जिसमें ऑर्टरी व नर्व भी शामिल है। 

ऐसे में चेहरे पर ट्रांसप्लांट करते ही कुछ वक्त में इसका रिस्पांस आ जाता है क्योंकि इसे ऑर्टीज और वैसल्स के साथ अटैच कर दिया जाता है। हाथ से उतना ही टिश्यू निकाला जाता है जिसके बिना वह आसानी से नॉर्मल फंक्शन कर सके। इसे करना आसान नहीं है इसलिए डाक्टर्स के लिए एक चैलेंज है। जहां तक मरीज की रिकवरी का सवाल है तो एक हफ्ते तक उसको ऑब्र्जवेशन में रखा जाता है। 5 से 6 दिन में मरीज खाना शुरू कर देता है।  

प्राइवेट सैक्टर में 2 लाख रुपए तक है कॉस्ट :
जी.एम.सी.एच. में यह सर्जरी पुअर पैशेंट्स के लिए जहां फ्री है, वहीं दूसरे मरीजों को इसके लिए 1 या 2 हजार रुपए तक खर्च करने होंगे। प्राइवेट सैक्टर की बात करें तो इसी सर्जरी के लिए एक से दो लाख रुपए तक चार्ज किए जाते हैं। 

एक से दो महीने की वेटिंग :
सर्जरी को लेकर जी.एम.सी.एच. में एक से दो महीनों की वेटिंग चल रही है, जिसमें से ज्यादातर मरीज ओरल कैंसर वाले हैं। वहीं ट्यूमर के मरीज भी इसमें शामिल हैं। इस तरह की टैक्नीक आसपास के  अस्पतालों में मौजूद नहीं है। इसलिए मरीजों को यहां रैफर कर दिया जाता है जिसकी वजह से अस्पताल में वेटिंग लिस्ट ज्यादा है। 

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