4 दिन और 4 ब्रेन डैड मरीजों ने दी 9 लोगों को नई जिंदगी

Edited By ,Updated: 07 Feb, 2017 02:16 PM

organ donation in pgi

पिछले चार दिनों में ब्रेन डैड हुए 4 मरीजों ने पी.जी.आई. में 9 लोगों को नई जिंदगी दी है। पी.जी.आई. का ओर्गन ट्रांसप्लांट विभाग (रोटो) लोगों की मानसिकता किस तरह बदल रहा है, इसका अंदाजा इस बात से साफ लगाया जा सकता है कि चार दिनों में ब्रेन डैड हुए...

चंडीगढ़, (रवि पाल): पिछले चार दिनों में ब्रेन डैड हुए 4 मरीजों ने पी.जी.आई. में 9 लोगों को नई जिंदगी दी है। पी.जी.आई. का ओर्गन ट्रांसप्लांट विभाग (रोटो) लोगों की मानसिकता किस तरह बदल रहा है, इसका अंदाजा इस बात से साफ लगाया जा सकता है कि चार दिनों में ब्रेन डैड हुए मरीजों के परिजनों ने उदारता दिखाते हुए ओर्गन डोनेशन के लिए अपनी रजामंदी दी है। परिजनों की एक हां ने जीने की आस छोड़ चुके 9 मरीजों को एक नई जिंदगी दी है। ओर्गन ट्रांसप्लांट विभाग (रोटो) के नोडल ऑफिसर डाक्टर विपिन कौशन की मानें तो विभाग वह हर कोशिश कर रहा है जिससे लोगों को ओर्गन डोनेशन के प्रति जागरूक किया जा सकता है। ब्रेन डैड मरीज के परिजन जब इस तरह का साहस भरा फैसला लेते हैं तो लगता है कि हम अपने उद्देश्य में सफल हो रहे हैं। 


हाल ही में शादी हुई थी शिवानी की
यू.पी. के सहारनपुर में रहने वाली शिवानी की हाल ही में शादी हुई थी। 31 जनवरी को वह अपने पति के साथ अपने माता-पिता से मिलने जा रही थी लेकिन सड़क हादसे में शिवानी घायल हो गई जिसके बाद उसे एक निजी अस्पताल ले जाया गया। शिवानी को काफी गंभीर चोट लगी थी जिसकी वजह से उसे 1 फरवरी को पी.जी.आई. रैफर कर दिया गया। सिर में लगी गंभीर चोट के कारण डाक्टरों ने 3 फरवरी को शिवानी को ब्रेन डैड घोषित कर दिया। को-आर्डीनेटर्स की मानें तो शिवानी के पति राजकुमार ने इस दुखद वक्त में बड़ा साहस दिखाते हुए ओर्गन डोनेशन के लिए अपनी सहमति दी। शिवानी की बदौलत तीन मरीजों को नई जिंदगी मिल पाई जिसमें लीवर, किडनी व कॉर्नियां ट्रांसप्लांट किए गए।    


अप्रैल में देवेंद्र ने जाना था विदेश 
आंखों में आंसू लिए देवेंद्र के चाचा शमशेर सिंह बस यही कहते रहे कि उनका बेटा अप्रैल में विदेश जाने वाला था, लेकिन वह इस दुनिया को ही छोड़ चला जाएगा, इसकी उन्होंने कल्पना तक नहीं की थी। हिमाचल के बिलासपुर का रहने वाला देवेंद्र 30 जनवरी को उस वक्त एक सड़क हादसे में घायल हो गया जब एक बस ने उसकी बाइक को टक्कर मार दी। सिर में लगी चोट गंभीर होने के कारण डाक्टरों ने उसे 2 फरवरी को ब्रेन डेड घोषित कर दिया। जवान बेटे के खोने का दर्द झेल रहे देवेंद्र के परिजनों की सहमति से दो लोगों को एक नई जिंदगी मिल पाई है जिन्हें देवेंद्र की किडनी ट्रांसप्लांट की गई है। 


18 वर्ष का था सौरभ
नारायणगढ़ के रहने वाले परिवार ने न सिर्फ अपने घर के सबसे बड़े बेटे को खो दिया, बल्कि 18 वर्ष का सौरभ अपने घर में इकलौता कमाने वाला व्यक्ति भी था। इसके बावजूद सौरभ की मां ने गजब का साहस दिखाते हुए ओर्गन डोनेशन के लिए अपनी रजामंदी दी। बाइक पर सवार सौरभ को बस ने टक्कर मार दी थी जिसके बाद इलाज के लिए पी.जी.आई. एडमिट हुए सौरभ को 4 फरवरी को डाक्टरों ने ब्रेन डेड घोषित कर दिया था। 18 वर्ष के सौरभ ने दो लोगों को किडनी व दो लोगों को कॉर्निया देकर एक नई जिंदगी दी। 

 

सफदरजंग पहुंचाई किडनी
डड्डूमाजरा के रहने वाले सुधीर कुमार 4 फरवरी को एक सड़क हादसे में घायल हो गए थे, तुरंत इलाज के लिए पी.जी.आई. लाए गए सुधीर को उचित इलाज के बावजूद डाक्टर बचा नहीं पाए। 40 वर्ष के सुधीर को डाक्टरों ने ब्रेन डेड घोषित कर दिया था। पिछले चार दिनों में ट्रांसप्लांट विभाग के सर्जन लगातार ट्रांसप्लांट में लगे हुए थे ऐसे में पी.जी.आई. में सुधीर के ओर्गन ट्रांसप्लांट में मुश्किल हो रही थी। जिसके बाद पी.जी.आई. के रोटो विभाग ने नोटो से संपर्क किया तो दिल्ली सफदरजंग अस्पताल में सुधीर की किडनी पहुंचाई गई जिसकी बदौलत दो लोगों की जान बचाई जा सकी। 

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