ऑर्गन ट्रांसप्लांट की वजह से यह दंपति हुआ महशूर, गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हुआ नाम

Edited By Priyanka rana,Updated: 12 Dec, 2019 09:22 AM

organ transplant

मेरा हर दिन एक तोफहा है, जिसे मेरी वाइफ ने मुझे दिया है। वह न होती तो जिंदगी इतनी खूबसूरत न होती।

चंडीगढ़(रवि) : मेरा हर दिन एक तोफहा है, जिसे मेरी वाइफ ने मुझे दिया है। वह न होती तो जिंदगी इतनी खूबसूरत न होती। न सिर्फ शहर, बल्कि देश का पहला ऐसा दंपति जिनका नाम ऑर्गन ट्रांसप्लांट की वजह से गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल है। चंडीगढ़ एडमिनिस्ट्रेशन में बतौर सीनियर अकाऊंटैंट काम कर रहे परवीन कुमार रतन और पत्नी रूपा अरोड़ा को ऑर्गन ट्रांसप्लांट में अपना सहयोग देने के लिए हैल्थ मिनिस्ट्री ने सम्मानित किया है। 

पी.जी.आई. रोटो के साथ जुड़े परवीन खुद एक ऑर्गन री-सिपियंट हैं, जिन्हें पत्नी रूपा ने अपना लीवर डोनेट किया है। लीविंग डोनर व लीविंग री-सिपियंट यह कपल अब देश को कई इंटरनैशनल लेवल पर होने वाली ट्रांसप्लांट गेम्स में इंडिया को रिप्रेसेंट कर चुका है। पिछले साल यू.एस. में हुए ट्रांसप्लांट गेम्स ऑफ अमेरिका में एथलैटिक्सस, साइकलिंग व वॉकिंग में यह दोनों देश को मैडल दिला चुके हैं। 

रतन व रूपा यू.के. में पिछले कई सालों से हो रहे वर्ल्ड ट्रांसप्लांट गेम्स में पार्टिसिपेट करने वाला पहला कपल है। जिनकी वजह से इन दोनों का नाम गिनीज वर्ल्ड में शामिल है। अक्सर लोग कहते हैं कि ट्रांसप्लांट के बाद जिंदगी नहीं है लेकिन इन दोनों ने न सिर्फ यह भ्रम तोड़ा है। बल्कि एक नई जिंदगी को भी जन्म दिया है। 

49 साल के रतन और रूपा को दो बच्चे हैं, एक 15 साल की बेटी व 6 साल का बेटा। खास बात यह है कि इन दोनों के बेटे का जन्म लीवर ट्रांसप्लांट के बाद हुआ है। रतन बताते हैं कि उन्हें भी इस बात का पता नहीं था। डॉक्टर्स के पूछने के बाद उन्होंने कहा कि वाइफ को कंसीव करने में कोई दिक्कत नहीं है। लोगों को लगता है कि ऑर्गन ट्रांसप्लांट के बाद नॉर्मल जिंदगी नहीं है जो एक अंधविश्वास है। 

रतन ने बताया कि ऑर्गन डोनेशन को लेकर इंडिया में अलग कानून है। दूसरे देशों में तो रिलेशन से बाहर के लोग भी ऑर्गन डोनेट कर सकते हैं। इंडिया में आपका फैमिली मैंबर व पत्नी या पति ही अपना ऑर्गन दे सकता है। मेरे ट्रांसप्लांट को 9 साल हो चुके हैं। जब लीवर डैमेज का पता चला था तो कंडीशन बहुत खराब थी। डॉक्टरों ने तुरंत ट्रांसप्लांट के लिए कहा था। 

वाइफ ने डोनेट करने को कहा तो सब कुछ मैच हो गया। 22 घंटे की सर्जरी हुई। लीवर ट्रांसप्लांट हुआ। चौथे दिन हार्ट से लीवर तक ब्लड सप्लाई होने में दिक्कत आई। इन क्लॉट्स को हटाने के लिए दोबारा सर्जरी हुई और इस तरह 23 दिन तक अस्पताल में रहा। 

ऑर्गन जितना बड़ा होता है, उसे ट्रांसप्लांट करना मुश्किल होता है। जो हमने किया। इंडिया में हर साल लाखों लोग ऑर्गन न मिल पाने के कारण मर जाते हैं। इसलिए पी.जी.आई. रोटो के साथ जुड़ कर अब लोगों को इसके प्रति अवेयर कर रहे है ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों की जान बचाई जा सके, जहां तक इन ट्रांसप्लांट गेम्स में हिस्सा लेने की बात है तो इसके जरिए बताना चाहते हैं कि ऑर्गन डोनर व री-सिपियंट नॉर्मल लाइफ जी सकते हैं।

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