पंचकूला हिंसा : हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार से पूछा-न कोई रैली, न प्रोटैस्ट तो फिर तीन दिन तक क्यों बैठे थे लोग?

Edited By Priyanka rana,Updated: 19 Dec, 2019 12:04 PM

panchkula violence

पंचकूला में 25 अगस्त, 2017 को डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत सिंह को रेप केस में सजा सुनाए जाने के बाद भड़की हिंसा में 32 लोगों की मौत और 400 से अधिक के घायल होने के साथ-साथ 300 करोड़ से अधिक की निजी व सरकारी सम्पति को नुक्सान पहुंचाया गया था।

चंडीगढ़(हांडा) : पंचकूला में 25 अगस्त, 2017 को डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत सिंह को रेप केस में सजा सुनाए जाने के बाद भड़की हिंसा में 32 लोगों की मौत और 400 से अधिक के घायल होने के साथ-साथ 300 करोड़ से अधिक की निजी व सरकारी सम्पति को नुक्सान पहुंचाया गया था। हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा है कि पंचकूला में तीन दिन तक एकत्रित हुई 5000 डेरा समर्थकों की भीड़ का कारण क्या था। तीन दिन तक सरकार ने इन्हें पंचकूला में क्यों रहने दिया? 

कोर्ट ने माना कि मांगों को लेकर विरोध प्रकट करने के लिए लोगों का एकत्रित होना और अपनी आवाज उठाना लोगों का संवैधानिक अधिकार है लेकिन पंचकूला में न तो कोई रैली या प्रोटैस्ट होना था, न ही कोई समागम था फिर भी वहां 5000 डेरा प्रेमी तीन दिन तक जमे रहे, इसके पीछे क्या वजह थी और सरकार पुलिस व प्रशसन ने उन्हें वहां से खदेड़ा क्यों नहीं? क्या 25 अगस्त को हुई हिंसा का इंतजार किया जा रहा था? 

एक लाख से डेरे की जमापूंजी और संपत्ति अरबों तक कैसे पहुंची?
कोर्ट ने डेरा कल्चर और इनके मकसद पर भी सवाल उठाए और सरकार से पूछा कि किस एक्ट के तहत डेरों, अखाड़ों और आश्रमों को ट्रस्ट के रूप में मान्यता दी जाती है। कोर्ट को बताया गया कि डेरा सच्चा सौदा का ट्रस्ट के रूप में पंजीकरण वर्ष 2004 में हुआ था, जिसके 32 ट्रस्टियों के नाम भी कोर्ट को बताए गए, जिनमें कुछ विदेशों में भी हैं। 

पंजीकरण के वक्त डेरे की जमापूंजी मात्र एक लाख थी और डेरे का मकसद जनहित में चैरटी के काम करना था, जिनमें स्कूल अस्पताल व बेसहारा लोगों को आश्रय देना शामिल था। डेरा पक्ष को यह बताना होगा कि एक लाख से डेरे की जमापूंजी और संपत्ति अरबों तक कैसे पहुंची। 

नुक्सान की भरपाई पर सुनवाई तेज :
उक्त हिंसा डेरा समर्थकों ने की थी, जिसकी जिम्मेदारी किसकी थी, हाईकोर्ट के आदेशों की अवमानना कहां और किस स्तर पर हुई, हिंसा में हुए जानमाल के नुक्सान की भरपाई कौन करेगा? उक्त जिम्मेदारी तय करने के लिए तेजी से सुनवाई चल रही है, जिसमें बुधवार को भी फुल बैंच को कोर्ट की ओर से नियुक्त किए गए एमिक्स क्यूरी (कोर्ट मित्र) सीनियर एडवोकेट ने कई जजमैंट्स का हवाला देते हुए हिंसा और हिंसा में हुए नुक्सान की भरपाई से संबंधित जिम्मेदारियों का जिक्र किया। 

कोर्ट मित्र ने सन 1920 में महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन के वक्त कोर्ट की कार्रवाई का भी जिक्र किया और गुजरात दंगों का भी हवाला देते हुए कोर्ट के आदेशों को पढ़ा। कोर्ट मित्र ने लगातार तीन सुनवाइयों में कोर्ट को पंचकूला हिंसा की बारीकियों से अवगत करवाते हुए हिंसा के जिम्मेदार लोगों व संस्थाओं की ओर इशारा किया है, जिनके सुझाव व तर्क बुधवार को पूरे हो गए। बाकी प्रतिवादियों ने भी पक्ष रखने के लिए कोर्ट से समय मांगा, जिस पर बैंच ने 8 व 9 जनवरी का समय दिया है। तीन जजों की फुल बैंच कोर्ट अपनी जजमैंट देगी। 

हरियाणा सरकार ने कहा-नुक्सान की भरपाई हम नहीं करेंगे :
हरियाणा के एडवोकेट जनरल ने बैंच को बताया कि हरियाणा सरकार पंचकूला में हुई हिंसा के वक्त हुए जानमाल के नक्सान की भरपाई नहीं करेगी और न ही सरकार की ओर से डेरा समर्थकों को किसी प्रकार की मदद की गई थी। उन्होंने कोर्ट से इस संबंध में पक्ष रखने के लिए समय देने की बात कही, जिसे बैंच ने स्वीकार कर लिया। 

पंजाब भी करेगा क्लेम :
पंजाब के एडवोकेट जनरल अतुल नंदा ने कोर्ट को बताया कि पंजाब सरकार की ओर से डेरा समर्थकों को हिंसा करने से रोकने के लिए पूरे इंतजाम किए गए थे लेकिन फिर भी कई जगह डेरा समर्थकों ने डेरा प्रमुख को सजा सुनाए जाने के बाद हिंसा की, जिसमें बठिंडा में सर्वाधिक निजी व सरकारी संपत्तियों को नुक्सान पहुंचा। जिसकी भरपाई के लिए पंजाब सरकार भी क्लेम करेगी। उन्होंने भी पंजाब सरकार का पक्ष रखने को समय मांगा है। पंजाब, हरियाणा सरकार को 8 जनवरी को पक्ष रखने का समय दिया गया है।

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