Edited By Priyanka rana,Updated: 23 Feb, 2020 12:43 PM
चंडीगढ़ में पेइंग गैस्ट कल्चर इस कदर हावी हो गया है कि चंडीगढ़ पेइंग गैस्ट सिटी बनकर रह गई है।
चंडीगढ़(रमेश) : चंडीगढ़ में पेइंग गैस्ट कल्चर इस कदर हावी हो गया है कि चंडीगढ़ पेइंग गैस्ट सिटी बनकर रह गई है। चंडीगढ़ में 15 हजार से अधिक घरों में पी.जी. चल रहे हैं लेकिन एस्टेट ऑफिस के पास 58 पी.जी. ही रजिस्टर्ड हैं। एस्टेट ऑफिस के सर्वे के अनुसार शहर में काफी संख्या में पी.जी. गैर कानूनी ढंग से चलाए जा रहे हैं।
पी.जी. में रहने वालों की पूरी जानकारी पी.जी. संचालक को पुलिस को देनी होती है लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। सबसे अधिक पी.जी. सैक्टर-15, 16, 7, 8, 10, 18, 19, 21, 35, 36, 37, 40, 42, 44 में चल रहे है। यही नहीं एक-एक कमरे में चार से पांच लोग रखे हुए हैं। प्रशासन के तय नियमों के अनुसार एस्टेट ऑफिस के पास संचालक और मालिक का नाम, पी.जी. का एरिया, कितने लोग रह रहे हैं, विभाग द्वारा जारी ऑक्सूपैंसी सर्टीफिकेट की जानकारी पी.जी. के मालिक को विभाग को देनी होती है।
तीन का होता है एग्रीमैंट, रहते हैं 12 :
मकान के मालिक उनके साथ किराएदार होने का एग्रीमैंट करते हैं और रिकार्ड में दो या तीन किराएदार दिखाए जाते हैं जबकि तीन कमरों वाले मकान में 10 से 12 स्टूडैंट्स पी.जी. रहते हैं। सैक्टर-15 में तो हालत ऐसी है कि 10 मरले की कोठी में बने पी.जी. में बैड के हिसाब से पी.जी. रखे जाते हैं, जहां 20 से 30 स्टूडैंट्स ठूंसे हुए हैं। किराएदारों के वैरीफिकेशन फार्म की भी पुलिस जांच नहीं करती। न ही फार्म में दिए पार्टिकुलर्स की जांच की जाती है।
पुलिस के पास पी.जी. की वैरीफिकेशन का रिकार्ड तक नहीं है क्योंकि हर चार छह माह में पी.जी. बदल जाते हैं। मकान मालिक भी अधिक किराए के लालच में स्टूडैंट्स को पी.जी. रख रहे हैं, जिन पर नकेल लगाने के लिए पुलिस और प्रशासन को प्रयास करने होंगे। हाऊसिंग बोर्ड के सैक्टरों जैसे 38, 40, 41, 44, 45, 48, 49, 50, 51, 61 व 63 में अधिकांश फ्लैट्स में पी.जी. चल रहे हैं।
चंडीगढ़ हाऊसिंग बोर्ड ने एक वर्ष पहले सभी रैजीडैंट वैल्फेयर एसोसिएशंस को पत्र लिख कर सैक्टर में चल रहे पी.जी. की डिडेल मांगी थी ताकि फ्लैट मालिकों पर कार्रवाई की जा सके। एसोसिएशनों की और से पी.जी. की लिस्ट हाऊसिंग बोर्ड को दी गई थी लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं।
कार्रवाई फिर भी नहीं :
सैक्टर-63 की रैजीडैंट वैल्फेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष एच.एस. ग्रेवाल ने बताया कि सैक्टर-63 में पी.जी. ने आतंक मचा रखा है। कई बड़ी घटनाएं भी यहां हो चुकी हैं। रात-रातभर हंगामा व लड़ाई-झगड़े होना यहां आम बात है। कई बार पुलिस को मौके पर बुलाया गया। कई लिखित शिकायतें भी दी गई लेकिन आज तक पुलिस या हाऊसिंग बोर्ड ने किसी भी फ्लैट ऑनर पर कार्रवाई नहीं की है।
सैक्टर-41 की रैजीडैंट वैल्फेयर एसोसिएशन के महासचिव विजय कुमार का कहना था कि वह भी कई बार हाऊसिंग बोर्ड और पुलिस को शिकायतें देकर पी.जी. का धंधा बंद करवाने को कह चुके हैं लेकिन कार्रवाई नहीं होती। सैक्टर-15 की रैजीडैंट वैल्फेयर एसोसिएशन तो घरों में पी.जी. रखने को लेकर विरोध भी जता चुकी है लेकिन कोई परिणाम नहीं निकला।
कई वारदातें हो चुकी हैं :
सैक्टर-21 के पी.जी. में दो सगी बहनों का कत्ल, सैक्टर-63 में युवती से गैंग रेप, गैंगस्टर्स के सैक्टर-63 में छिपे होने पर रेड भी हो चुकी हैं। सैक्टर-15 में लॉरेंस बिश्नोई गैंग ने एक युवक की गोली मारकर हत्या कर दी थी। ऐसी कई घटनाएं हैं, जो सीधे पी.जी. से जुड़ी हैं।
10 साल पहले चलाया था अभियान :
10 वर्ष पहले एस्टेट ऑफिस ने चंडीगढ़ में अभियान चलाकर पी.जी. के खिलाफ कार्रवाई करते हुए कई मकान मालिकों पर एफ.आई.आर. दर्ज करवाई थी लेकिन उसके बाद कभी कोई कार्रवाई नहीं हुई है। सैक्टर-32 में आग में तीन युवतियों की मौत हो जाने की घटना के बाद एक बार फिर पी.जी. को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं।