लाखों के खर्च से काटे जाने वाले टी.वी.एस. चालान को लेकर लोग नहीं है जागरूक

Edited By ,Updated: 12 Oct, 2016 11:11 AM

people are not aware about the tvs challan

शहर के विभिन्न ट्रैफिक लाइट प्वाइंट और चौराहों पर लगे सी.सी.टी.वी. कैमरों के जरिए ट्रैफिक पुलिस प्रत्येक वर्ष ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने वाले हजारों वाहन चालकों के टी.वी.एस. चालान काटती है।

चंडीगढ़ (संदीप): शहर के विभिन्न ट्रैफिक लाइट प्वाइंट और चौराहों पर लगे सी.सी.टी.वी. कैमरों के जरिए ट्रैफिक पुलिस प्रत्येक वर्ष ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने वाले हजारों वाहन चालकों के टी.वी.एस. चालान काटती है लेकिन विडम्बना यह है कि इनके भुगतान के लिए ट्रैफिक लाइन और कोर्ट में मात्र 5 से 7 प्रतिशत लोग ही पहुंचते हैं। ऐसे में पुलिस की टी.वी.एस चालान के जरिए नियमों की पालना करने की सख्ती का लोगों पर कोई खास असर नहीं दिखता है। लाखों खर्च कर चलाई जा रही यह योजना पुलिस के लिए लाभदायक साबित नहीं हो रही है। न लोगों को नियमों का पाठ पढ़ाने में न ही चालान राशि वसूल कर पाने में। 

4600 लोग ही पहुंचे चालान भुगतने 
शहर में ट्रैफिक पुलिस द्वारा काटे जाने वाले टी.वी.एस. चालानों के आंकड़ों से पता लगाया जा सकता है कि चालानों को लेकर लोग कितने संजीदा है। वर्ष 2015 की बात करें तो इस दौरान ट्रैफिक पुलिस ने विभिन्न ट्रैफिक वायलेशन करने वाले 58 हजार टी.वी.एस. चालान काटे थे लेकिन केवल 4600 लोगों द्वारा इस वर्ष इनका भुगतान किया गया। इससे पता चलता है कि इन चालानों को भुगतने के लिए केवल 5 से 7 प्रतिशत लोग ही पहुंचते हैं बाकी इन्हें संगीनता से न लेते हुए इनका भुगतान नहीं करते। 

लाखों का खर्चा आता है चालान काटने पर : सैक्टर-29 ट्रैफिक लाइन में ट्रैफिक लाइट प्वाइंट्स के लिए कंट्रोल रूम बनाया गया है। इसमें ट्रैफिक कर्मियों की लाइट प्वाइंट के हिसाब से ड्यूटी लगाई जाती है। हर ट्रैफिक कर्मी अपने लाइट प्वाइंट पर वाहन चलान द्वारा की जाने वाली वायलेशन को देखते ही उसकी फोटो क्लिक कर लेता है और उसका टी.वी.एस. चालान काट कर गाड़ी के रजिस्ट्रेशन नम्बर के आधार पर उसके मालिक के पते पर भेज देता है। 

ऐसे प्रत्येक दिन ट्रैफिक पुलिस के जवान लाखों की लागत से लगाए गए इन सी.सी.टी.वी. कैमरों के जरिए पूरे दिन की ड्यूटी देकर अनेक चालान काटते हैं। इस पर प्रतिदिन के हिसाब से काफी खर्चा भी आता है लेकिन इनसे एकत्र की जाने वाली राशि काफी कम जमा हो पाती है। पुलिस की यह योजना खुद पुलिस के लिए ही लाभदायक साबित नहीं हो पा रही है। पुलिस इससे न तो लोगों पर सख्ती कर पा रही है और न ही ट्रैफिक नियमों की उल्लंघन करने वालों से चालान राशि वसूल पा रही है। 

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