पी.जी.आई. ने खोजा मॉलीक्यूल, कोविड 19 को रोकेगा!

Edited By pooja verma,Updated: 16 Mar, 2020 11:25 AM

pgi discovers molecule will stop kovid 19

पी.जी.आई. ने कोरोना वायरस (कोविड 19) से बचने के लिए दवा (मॉलीक्यूल) खोज ली है, जिसका जल्द इन विट्रो व इन वीवो परीक्षण किया जाएगा।

चंडीगढ़ (साजन): पी.जी.आई. ने कोरोना वायरस (कोविड 19) से बचने के लिए दवा (मॉलीक्यूल) खोज ली है, जिसका जल्द इन विट्रो व इन वीवो परीक्षण किया जाएगा। ये किया है पी.जी.आई. के एक्सपैरीमैंटल फार्मेकोलॉजी लैबोरेटरी, डिपार्टमैंट ऑफ फार्मेकोलॉजी ने। पांच ऐसे प्रोटीन खोजे गए हैं, जो पोटैंशल टारगेट हैं। इन पर अंकुश लगा कर वायरस को शरीर को नुक्सान पहुंचाने या फैलने से रोका जा सकेगा।

 

फार्मेकोलॉजी डिपार्टमैंट के प्रो. बिकास मेधी की अगुवाई में डा. फुलेन सरमा, निशांत शेखर, मनीषा प्रजापत, डा. प्रमोद अवति, डा. अजय प्रकाश, हरदीप कौर, डा. सुबोध कुमार, डा. हरीश कुमार और डा. सीमा बंसल ने कुछ पोटैंशल टारगेट्स चिन्हित किए हैं। इनमें न्यूकलीओकेपसिड प्रोटीन, प्रोटीज एंजाइम, ई प्रोटीन, एम प्रोटीन,   स्पाइक प्रोटीन शामिल हैं। 

 

इनपर इन-सिलिको ड्रग डिजाइनिंग के जरिए ड्रग टारगेट मॉलीक्यूल आइडैंटीफाई किया गया। इन-सिलिको ड्रग डिजाइनिंग वह प्रोसेस है, जिसमें बॉयो इन्फर्मेटिकस टूल इस्तेमाल कर ड्रग टारगेट मॉलीक्यूल को चिन्हित किया जाता है। इसमें बॉयोलॉजिकल, कलीनिकल एवं कैमीकल डाटा को यूज कर ड्रग डिस्कवरी के प्रोसैस को तेज किया जाता है। 

 

कोरोना वायरस के सात स्ट्रेन 
डा. विकास मेधी के अनुसार ह्यूमैन कोरोना वायरस के सात स्ट्रेन होते हैं। इनमें 229 ई, एन.एल. 63, ओ.सी. 43, एच.के.यू. 1, एम.ई.आर.एस.-सी.ओ.वी., एस.ए.आर.एस.-सी.ओ.वी. और 2019 -एन.सी.ओ. वी शामिल हैं, जो संक्रमण के लिए जिम्मेदार हैं। यह रेस्पेरेटरी ट्रेक्ट को अपने चंगुल में ले लेता है जिसमें लोअर और अपर रेस्परेटरी ट्रेक्ट शामिल है।

 

इससे कॉमन कोल्ड, निमोनिया, ब्रोंकियोलाइट्स, राइनाइटिस, फरेनजाइटिस, साइनुसाइट्स शामिल हैं। कई मरीजों को वाटरी डायरिया (पानी वाले दस्त) भी लग सकते हैं। इन सात स्ट्रेन में से तीन एस.ई.आर.एस.-सी.ओ. वी, एम.ई.आर.एस-सी.ओ. वी और 2019-एन.सी.ओ. वी हाइली पैथोजेनिक हैं जो घातक कोरोना वायरस की बीमारी फैलाते हैं। यानि एयरबोर्न डॉपलेट्स के जरिए ये फैलते हैं। 

 

संक्रमण फैलने से रोका जा सकेगा 
पी.जी.आई. की टीम ने कुछ ऐसे मॉलीक्यूल पता लगाए हैं जिन्हें किसी दूसरी बीमारी या परिस्थिति के लिए तैयार किया गया था। इन मॉलीक्यूल का अब कोरोना वायरस के बाद उपजी परिस्थितियों या वायरस के स्वरूप बदलने में इन विट्रो और इन वीवो प्लेटफार्म (एक तरह के ट्रायल) पर आंकलन किया जा रहा है। 

 

इससे उम्मीद बंधी है कि एक नई दवा तैयार होगी जो कोविड 19 के खिलाफ काम करेगी। इसे दुनिया भर में मार कर रहे कोरोना के खिलाफ प्रयोग किया जा सकेगा और इसके फैलने के केसों पर अंकुश लग सकेगा। डा. विकास मेधी ने बताया कि कोविड वायरस के खिलाफ कुछ टारगेट प्रोटीन जिनका नंबर पांच हैं, खोजे गए हैं। इन प्रोटीन को दवा के जरिये रोक कर या एक्टिवेट कर दवा का परीक्षण होगा। 

 

ये है इन विट्रो या इन वीवो ट्रायल
इन विट्रो प्लेटफार्म पर नए खोजे गए मॉलीक्यूल या दवा को मिलते-जुलते वायरस जिसे ग्रो किया जाता है, पर इस्तेमाल किया जाता है। इसी तरह इन वीवो प्लेटफार्म पर दवा या मॉलीक्यूल का एनिमल मॉडल पर बॉडी के अंदर परीक्षण किया जाता है। डा. विकास मेधी ने बताया कि कोविड 19 वायरस पर यह कैसे काम करेगा, इसका अगले कुछ दिन में खुलासा होगा।

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