फर्जी ट्रांसफर परमिशन पर बेच दिया प्लॉट

Edited By bhavita joshi,Updated: 19 Feb, 2019 01:34 PM

plot sold on fake transfer permit

प्लॉट के सेल-परचेज सहित अन्य फर्जीवाड़े को लेकर सुर्खियों में रहने वाला एच.एस.वी.पी. एस्टेट ऑफिस से सोमवार को फर्जी तौर पर प्लॉट की ट्रांसफर परमिशन लेने का मामला सामने आया है।

पंचकूला(आशीष): प्लॉट के सेल-परचेज सहित अन्य फर्जीवाड़े को लेकर सुर्खियों में रहने वाला एच.एस.वी.पी. एस्टेट ऑफिस से सोमवार को फर्जी तौर पर प्लॉट की ट्रांसफर परमिशन लेने का मामला सामने आया है। एस्टेट ऑफिसर ने फर्जीवाड़े की शिकायत पुलिस को दी है, जिसमें कहा गया कि सैक्टर-8 के प्लॉट नंबर 813 की ट्रांसफर परमिशन फर्जी  है। जिसकी कमेटी बनाकर मामले की जांच की रिपोर्ट 48 घंटे में देने को कहा है। साथ ही एस्टेट ऑफिस की ओर से उक्त प्लॉट की सेल एंड परचेज पर रोक लगा दी है और उसकी जानकारी एच.एस.वी.पी. के जी.एम. आई.टी. और पंचकूला के तहसीलदार को दी है।

यह है मामला
चंडीगढ़ निवासी राज कमल बंटा जो कि शिमला के रहने वाला है। उनके नाम सैक्टर-4 में 14 मरले व 8 में एक कनाल का प्लॉट हैं। सैक्टर 4 में जो प्लॉट है 

उसका नंबर 316 व सैक्टर 8 के प्लॉट 
का नंबर 813 है। दोनों प्लॉट की कीमत करीब 10 करोड़ है। दोनों प्लॉट पर करीब 20 प्रतिशत कंस्ट्रक्शन है और उसमें कोई भी नहीं रह रहा है। ऐसे में सालों से पडे खाली प्लॉट को देखकर उसे फर्जी तौर पर बेचा जा रहा था। जिसमें से सैक्टर-8 के प्लॉट का ट्रांसफर परमिशन एस्टेट ऑफिस की ओर से जारी कर दिया गया। जिससे फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ।

ओरिजनल अलॉटी ने दी शिकायत
सोमवार की सुबह 9 बजे सैक्टर-4 के प्लॉट नंबर 316 और सैक्टर 8 के प्लॉट नंबर 813 के ओरिजनल अलॉटी राज कमल बंटा एस्टेट ऑफिसर के सामने पेश हुए और उन्होंने ऑब्जेक्शन लैटर एस्टेट ऑफिसर को दिखाते हुए कभी प्लॉट के ट्रांसफर के लिए आवेदन नहीं दिए जाने की शिकायत की। जिसके बाद तुरंत एस्टेट ऑफिसर ने करीब एक घंटे तक रिकॉर्ड रूम को सील करवा दिया और दोनों प्लॉट्स की ओरीजिनल फाइल निकलवाई। शिकायतकर्त्ता ने कहा कि वह दोनों प्लॉट्स का मालिक है और उसके पास प्लॉट्स के सभी ओरिजिनल डॉक्यूमैंट्स हैं।

2008 से चल रहा मामला
आपको बता दें कि फर्जीवाड़े की शुरूआत 2008 में हुई थी जब राज कुमार बंटा के पते पर राज कुमार के नाम से फर्जी आधार कार्ड बनाया गया था। आधार कार्ड के आधार पर पैन कार्ड बनाया गया। दिए गए आवेदन में सिग्नेचर पर एस्टेट ऑफिस के स्टाफ ने एतराज जताया था। उसके बावजूद भी फाइल को प्रोसेस में डाला गया। और 20 दिसंबर को सुनील गर्ग और रीतु गर्ग के नाम पर प्रॉपर्टी ट्रांसफर के लिए आवेदन दिया। 

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