पावर मिसयूज के आरोपों से घिरे पैक डायरैक्टर प्रो. अरोड़ा ने दिया इस्तीफा

Edited By bhavita joshi,Updated: 13 Sep, 2018 09:15 AM

power misuse

पावर मिसयूज के आरोपों से घिरे पंजाब इंजीनियरिंग कालेज के डायरैक्टर प्रो. मनोज के. अरोड़ा ने पद से इस्तीफा दे दिया है

चंडीगढ़ (रश्मि): पावर मिसयूज के आरोपों से घिरे पंजाब इंजीनियरिंग कालेज के डायरैक्टर प्रो. मनोज के. अरोड़ा ने पद से इस्तीफा दे दिया है। जिसे स्वीकार करते हुए प्रशासन ने उनके रिलीविंग ऑर्डर जारी कर दिया है जो 15 अक्तूबर से मान्य होंगे। प्रो. अरोड़ा द्वारा पावर मिसयूज और भ्रष्टाचर को सांसद किरण खेर ने मिनिस्ट्री ऑफ ह्यूमन रिसोर्सिज डिवैल्पमैंट (एम.एच.आर.डी.) को पत्र लिखा था।

फिर इस संबंधी यू.जी.सी. ने चंडीगढ़ प्रशासन को 2017 में कार्रवाई करने के लिए पूछा था। यू.जी.सी. ने प्रशासन को कार्रवाई संबंधी 29 अगस्त 2018 को अंतिम पत्र लिखा था। डा. अरोड़ा की पैक में नियुक्ति 3 जून 2013 को हुई थी। पैक  डायरैक्टर के रूप में उनकी 5 साल का कार्यकाल 2018 में जून में पूरा हो चुका है। हालांकि प्रशासन ने उन्हें 5 साल की एक्सटैंशन भी दे दी थी। अब इस्तीफे के बाद डा. अरोड़ा ने वापस रूड़की आई.आई.टी. जाने का मन बना लिया है। 

2015 में एकल बैंच ने रद्द की थी नियुक्ति
 डायरैक्टर पद के लिए उम्मीदवार के तौर पर आवेदन करने वाले प्रदीप कुमार गर्ग ने हाईकोर्ट में डा. अरोड़ा की नियुक्ति को चैलेंज किया था। इसके बाद अदालत ने डा. अरोड़ा की नियुक्ति रद्द कर दी थी। हालांकि फिर चंडीगढ़ प्रशासन व पैक डायरैक्टर  प्रो. अरोड़ा द्वारा मोशन ऑफ नोटिस के तहत लैटर पेटेंट अपील (एल.पी.ए.) डबल बैंच पर डालने के बाद अदालत के इस फैसले पर स्टे मिल गई थी। 

ये लगे थे आरोप
पैक वर्कशॉप के 8 करोड़ रुपए के इक्पिमैंट बिना टैंडर मांगवाने का मामला उठा था लेकिन मामला तूल पकडऩे पर इक्पिमैंट नहीं मंगवाए गए थे। वहीं आरोप लगा था कि डा. अरोड़ा अपनी लीव खुद ही सैंक्शन कर लेते हैं और इस पर प्रशासक या एडवाईजर से हस्ताक्षर नहीं करवाते। वित्तीय अनियमित्ताओं संबंधी आरोप भी उन पर लगे। 3 रिजर्व कैटागरी के पद उन्होंने प्रोफैसर अंडर डायरैक्टर रिक्रूटमैंट के तहत जनरल कैटगेरी से भरे। उनके कार्यकाल में कांट्रैक्चुअल फैकल्टी को 1 लाख से सवा लाख रुपए के बीच वेतनमान दिया गया। ग्रुप सी एवं डी कैटेगरी के घर कांट्रैक्चुअल फैकल्टी को दिए गए। पैक यूनियन ने भी मिनिस्ट्री और चंडीगढ़ प्रशासन को पत्र लिखे थे कि पैक डायरैक्टर अपनी शक्तियों का दुरपयोग कर रहे हैं। 

रजिस्ट्रार की भर्ती भी अधर में 
पैक रजिस्ट्रार टर्म पूरे होने से पहले यहां से जा चुके हैं और रजिस्ट्रार का कार्यभार भी आफिशिएटिंग रजिस्ट्रार देख रहे हैं। रजिस्ट्रार पद पर भर्ती के लिए विज्ञापन निकाला गया था। 40 में से एक  उम्मीदवार का भी सील कर दिया था पर अभी तक यह पद भरा नहीं गया है। यह कहा गया कि रजिट्रार पद की भर्ती यू.जी.सी. नियमों के मुताबिक नहीं हुई है। ऐसे में फिर से पद भरने के लिए विज्ञापन निकाला गया। इसके बाद शॉर्ट लिस्ट हुए उम्मीदवारों ने अदालत में याचिका डाल दी थी। इसमें अदालत में सुनवाई पर रजिस्ट्रार पद भरने पर स्टे लग गई है । 

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