प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना के तहत नहीं दिया क्लेम, फोरम ने ठोका 30 हजार रुपए हर्जाना

Edited By Priyanka rana,Updated: 27 Sep, 2019 12:01 PM

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महिला की मौत के बाद बैंक प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना के तहत क्लेम नहीं देना पंजाब नैशनल बैंक को महंगा पड़ गया। फोरम ने बैंक को सेवा में कोताही का दोषी करार दिया है। उपभोक्ता फोरम ने शिकायतकर्ता को क्लेम की पूरी राशि जारी करने के आदेश दिए हैं।

चंडीगढ़(राजिंद्र) : महिला की मौत के बाद बैंक प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना के तहत क्लेम नहीं देना पंजाब नैशनल बैंक को महंगा पड़ गया। फोरम ने बैंक को सेवा में कोताही का दोषी करार दिया है। उपभोक्ता फोरम ने शिकायतकर्ता को क्लेम की पूरी राशि जारी करने के आदेश दिए हैं। 

साथ ही मानसिक पीड़ा और उत्पीडऩ के लिए 20 हजार रुपए मुआवजा और 10 हजार मुकदमा खर्च भी देने के निर्देश दिए हैं। आदेश की प्रति मिलने पर 30 दिनों के अंदर इन आदेशों की पालना करनी होगी, नहीं तो क्लेम और मुआवजे राशि पर 12 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज भी देना होगा। ये आदेश जिला उपभोक्ता विवाद निवारण फोरम-1 ने सुनवाई के दौरान जारी किए।

यह है मामला :
धनास की कच्ची कालोनी में रहने वाले संजय सुरीन ने उपभोक्ता फोरम में धनास स्थित पंजाब नैशनल बैंक के खिलाफ  शिकायत दी थी। शिकायतकत्र्ता ने बताया कि उन्होंने अपनी पत्नी का प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना (पी.एम.एस.बी.वाई.) और प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (पी.एम.जे.जे.बी.वाई.) के तहत मई, 2016 में पी.एन.बी. से बीमा कराया था, जिसके लिए उनके खाते से पैमेंट भी कटती रही। 

दिसम्बर, 2016 में डिलीवरी के दौरान खून ज्यादा बहने से पत्नी की मृत्यु हो गई। नॉमिनी होने के नाते उन्होंने मार्च 2017 में बीमा का क्लेम लेने के लिए बैंक में अप्लाई किया और सभी डाक्यूमैंट्स भी बैंक को सौंप दिए। बैंक ने प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना के तहत तो क्लेम की राशि दे दी लेकिन प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना का क्लेम देने से मना कर दिया। इसके बाद शिकायत कर्ता ने फोरम का रुख किया। फोरम ने पी.एन.बी. को नोटिस भेजा। 

फोरम में बैंक की दलील को किया खारिज :
बैंक ने कहा कि उन्होंने सेवा में कोई कोताही नहीं बरती है। बैंक बैंक ने अपने जवाब में कहा कि प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना के लिए सिर्फ वही पात्र होते हैं, जिनकी मृत्यु एक्सीडैंट में हुई हो इसलिए शिकायतकर्ता इस क्लेम के लिए हकदार नहीं है। हालांकि, फोरम में बैंक की इस दलील को पूरी तरह से खारिज कर दिया। 

फोरम ने अपने आदेश में कहा कि महिला (मां) द्वारा बच्चे की डिलीवरी एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, जो सामान्य प्रसव या सिजेरियन डिलीवरी से होती है। उचित दवा और पर्याप्त आराम के बाद महिला अपने बच्चे और परिवार की उचित देखभाल करने के लिए फिट हो जाती है। फोरम ने कहा कि डिलीवरी के दौरान मृत्यु हो जाना भी एक एक्सीडैंट ही है। इसकी शिकायतकर्ता के परिवार में किसी ने कल्पना नहीं की थी।

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