दो हफ्ते का समय मांगा था, दो माह में भी तैयार नहीं हुआ प्रपोजल, कर्मचारियों ने कोर्ट में दाखिल की एप्लीकेशन

Edited By ashwani,Updated: 29 Oct, 2020 08:57 PM

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रेट को लेकर प्रपोजल तैयार करने में देरी, कर्मचारियों का तर्क- प्रोजैक्ट की बढ़ रही कॉस्ट

चंडीगढ़, (राजिंद्र शर्मा) : यू.टी. इम्पलाइज हाउसिंग स्कीम को लेकर फ्लैट्स के रेट्स तय करने के प्रपोजल में देरी हो रही है, जिसके चलते यू.टी. इम्पलाइज ने पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में एप्लीकेशन दाखिल की है। कर्मचारियों ने तर्क दिया है कि प्रपोजल में देरी के चलते प्रोजैक्ट की कॉस्ट बढ़ रही है। फ्लैट्स के रेट कम हो सकें, इसके लिए चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड (सी.एच.बी.) नए डिजाइन पर काम कर रहा है। अब कर्मचारियों ने फ्रैश एप्लीकेशन दाखिल करके कोर्ट से इस पर सुनवाई की मांग की है कि प्रशासन को प्रपोजल तैयार करने के जल्द निर्देश दिए जाएं, ताकि कर्मचारियों को राहत मिल सके। 

 


प्रपोजल पर कोई कार्रवाई नहीं
कर्मचारियों ने एप्लीकेशन में कहा है कि गवर्नमैंट ऑफ इंडिया के यूनियन होम सैके्रटरी के साथ एक मीटिंग के दो माह बाद भी प्रशासन ने प्रपोजल को लेकर कोई कार्रवाई नहीं की है। वहीं सी.एच.बी. फ्लैट्स की कॉस्ट कम करने को लेकर नए डिजाइन के लिए आर्किटैक्ट डिपार्टमैंट से विचार-विमर्श कर रहा है। 
दो माह में क्या हुआ, नहीं बताया
इस संबंध में यू.टी. इम्पलाइज सी.एच.बी. हाऊङ्क्षसग वैल्फेयर सोसाइटी के महासचिव डॉ. धर्मेंद्र ने बताया कि फ्लैट्स के रेट तय करने के संबंध में 19 अगस्त 2020 को गवर्नमैंट ऑफ इंडिया के यूनियन होम सैके्रटरी के साथ एक मीटिंग हुई थी। मीटिंग में प्रशासन ने अलग-अलग कैटेगरी के लिए रेट को लेकर समस्या हल करने के लिए दोबारा से कैलकुलेशन करने, ड्राइंग्स, एफ.ए.आर., क्लैक्टर रेट और प्लॉट एरिया आदि पर काम करने का फैसला लिया था। इसके बाद ही 21 अगस्त को मीटिंग हुई थी, जिसमें बोर्ड ने फ्लैट्स के रेट्स कैलकुलेट करने के लिए दो सप्ताह का समय मांगा था। हालांकि दो माह बीत जाने के बाद भी इस संबंध में कुछ नहीं हुआ और कर्मचारियों को कोई सूचना नहीं दी गई है, जिसके चलते ही उन्होंने कोर्ट में ये एप्लीकेशन दाखिल की है। बता दें कि बोर्ड सेवन स्टोरी और 10 स्टोरी हाऊसिंग प्रोजैक्ट पर काम कर रहा है। 10 स्टोरी प्रोजैक्ट में स्कीम के लिए जमीन की आवश्यकता कम हो जाएगी, जिससे फ्लैट्स के रेट भी कम हो जाएंगे। 
पहले फेज में ऐसे होना है काम 
स्कीम के तहत बोर्ड की ओर से सैक्टर-53 की 11.79 एकड़ जमीन में इन फ्लैट्स का निर्माण करवाया जाना है। यहां अलग-अलग कैटेगरी के 565 फ्लैट्स बनने हैं। यहां ये बता दें कि गत वर्ष केंद्र सरकार ने हाऊसिंग इम्पलाइज स्कीम के तहत मिलने वाली जमीन का स्टेटस क्लीयर किया था। बोर्ड ने पहले फेज में बनने वाले फ्लैट्स के लिए ही ये सब फाइनल किया था और इसके बाद दूसरे फेज पर काम करने का फैसला लिया गया था।

रेट कम करने के बावजूद अधिक 
प्रशासन ने इससे पहले बोर्ड ऑफ डायरैक्टर की मीटिंग में फ्लैट्स के रेट्स में 15 से 20 प्रतिशत रेट कम करने का फैसला लिया था, लेकिन बावजूद इसके फ्लैट्स के रेट काफी अधिक हैं। बोर्ड ने डिपार्टमैंट चार्जेस और प्रॉफिट आदि हटा दिया है, लेकिन फिर भी कर्मचारियों को फ्लैट महंगा लग रहा है। इसके अलावा सैक्टर-52 और 56 में बोर्ड ने 61.5 एकड़ जमीन पर 3066 के करीब फ्लैट्स का निर्माण करना है। मिनिस्ट्री ने बोर्ड को ये जमीन अलॉट करने की हरी झंडी दी थी। बता दें कि कर्मचारियों की इम्पलाइज हाऊसिंग स्कीम वर्ष 2008 में लॉन्च हुई थी और इसके लिए 7 हजार से अधिक कर्मचारियों ने आवेदन किए थे, लेकिन इसमें वर्ष 2010 में निकाले गए ड्रा में कुल 3930 कर्मचारी सफल रहे थे। सफल आवेदकों ने इसके लिए पैसे भी जमा करवा दिए थे, लेकिन कई विवादों के चलते ये स्कीम लटक गई थी। 

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