Edited By Punjab Kesari,Updated: 30 Jun, 2018 11:51 AM
सैक्टर-8 में बिजली की हाईटेंशन (एच.टी.) और लो टेंशन (एल.टी.) वायर अंडरग्राऊंड करने के पायलट प्रोजैक्ट की आखिरकार प्रशासन ने फिर से सुध ली है।
चंडीगढ़ (राजिंद्र): सैक्टर-8 में बिजली की हाईटेंशन (एच.टी.) और लो टेंशन (एल.टी.) वायर अंडरग्राऊंड करने के पायलट प्रोजैक्ट की आखिरकार प्रशासन ने फिर से सुध ली है। प्रशासन ने 18 करोड़ रुपए के प्रोजैक्ट के लिए बदलाव करके दोबारा से टैंडर निकाला है और अब वायर को अंडरग्राऊंड करने के लिए इस्तेमाल आइटम्स और प्रोडक्ट के मेक के लिए कंपनियों से आवेदन मांगे हैं।
इसके लिए 12 जुलाई सुबह 11 बजे तक कंपनियां आवेदन कर सकेंगी और इसी दिन दोपहर बाद 3 बजे इस संबंध में बिड खोली जाएगी। विभाग इस पायलट प्रोजैक्ट के टैंडर को दिसम्बर 2017 से कॉल करने पर लगा हुआ है। प्रॉपर स्पेसिफिकेशन नहीं होने से टैंडर में लोकल कंपनियां ही दो बार आई। इनमें कोई योग्य नहीं मिली, क्योंकि उनका इतने बड़े काम को करवाने का अनुभव नहीं मिला।
इसके बाद भी प्रशासन ने दोबारा टैंडर कॉल किया, लेकिन उसका काम भी सिरे नहीं चढ़ पाया। ऐसा दिसम्बर 2016 से लेकर दिसम्बर 2017 तक चलता रहा। फिर वरिष्ठ अधिकारियों की तरफ से कहा गया कि टैंडर स्पेसिफिकेशन में बदलाव किया जाए, ताकि बड़ी कंपनियां इसमें हिस्सा ले सकें। लेकिन विभाग ने जनवरी 2018 के बाद अब जाकर इसकी सुध ली है।
एक अधिकारी ने बताया कि उन्होंने अब दोबारा टैंडर स्पेसिफिकेशन तैयार की है और इस बार वायर को अंडरग्राऊंड करने के लिए इस्तेमाल आइटम्स और प्रोडक्ट के मेक के लिए ही आवेदन मांगे हैं। एक बार इस टैंडर पर काम पूरा हो जाता है तो उसके बाद ही वह फाइनल टैंडर करेंगे।
एक साल के भीतर पूरा करना होगा काम
फाइनल टैंडर में कंपनी तय करने के बाद उस कंपनी को अंडरग्राऊंड वायरिंग करने काम एक साल के अंदर कंप्लीट करना होगा। इस पायलट प्रोजैक्ट के बाद बिजली विभाग शहर के अन्य सैक्टर की भी बिजली वायर अंडरग्राऊंड करवाने और इंफ्रास्ट्रक्चर अपग्रेड करने का काम शुरू करवाएगा। इस पर 2,773 करोड़ खर्च आएगा। लेकिन इसके लिए फंङ्क्षडग सैंट्रल गवर्नमैंट द्वारा की जाएगी।
इसका एस्टीमेट बनाकर प्रशासन ने मिनिस्ट्री ऑफ पावर को भेजा हुआ है। इस प्रोजैक्ट की मिनिस्ट्री से अभी अप्रूवल नहीं हुई है। इसकी अप्रूवल होते ही प्रशासन को 5-5 साल के काम का फंड 20 साल तक मिलेगा। इसके लिए प्रशासन को किस्त के रूप में फंड मिलेगा। इसमें चंडीगढ़ प्रशासन को भी अपना शेयर 30 फीसदी देना होगा।