देशभर में गौशालाओं के 1 किलोमीटर दायरे में बने डंपिंग यार्ड अवैध

Edited By Ajay Chandigarh,Updated: 30 Jul, 2022 09:16 PM

protest after approval for construction of dumping yard with cowsheds

देशभर में गौशालाओं के नजदीक बनाए गए डंपिंग यार्ड को अवैध करार दे दिया गया है। डंपिंग यार्ड की बदबू और बारिश के दिनों में फैली गंदगी पशुओं को संक्रमित कर सकती है। ऐसे में गौशाला के साथ बने डंपिंग यार्ड के खिलाफ पशु क्रूरता और पशु संरक्षण अधिनियम के...

चंडीगढ़,(अर्चना सेठी): देशभर में गौशालाओं के नजदीक बनाए गए डंपिंग यार्ड को अवैध करार दे दिया गया है। डंपिंग यार्ड की बदबू और बारिश के दिनों में फैली गंदगी पशुओं को संक्रमित कर सकती है। ऐसे में गौशाला के साथ बने डंपिंग यार्ड के खिलाफ पशु क्रूरता और पशु संरक्षण अधिनियम के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। एनिमल वैल्फेयर बोर्ड ऑफ इंडिया ने हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, हिमाचल, जम्मू-कश्मीर, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, उत्तराखंड, झारखंड, बिहार के चीफ सैक्रेटरी को पत्र भेज कर साफ किया है कि अगर गौशालाओं की जमीन पर डंपिंग यार्ड बनता है तो वह पशुओं के साथ क्रूरता मानी जाएगी।

 

गौचर की जमीन पर डंपिंग यार्ड का प्रस्ताव बनाने वाली सरकारों को सोचना होगा कि अगर गौचर की जमीन पर कूड़े का ढेर लग जाएगा तो गाय चारा कहां से खाएंगी? गाय भूखी मर जाएंगी। डंपिंग यार्ड का कूड़ा बारिश के दिनों में गायों को संक्रमित कर देगा। अगर संबंधित राज्यों के नगर निगम या नगरपालिका को डंपिंग यार्ड के लिए जमीन की जरूरत है तो गौचर की कामीन ही उन्हें क्यों दिखाई दे रही है? डंपिंग यार्ड के लिए शहर में किसी और जमीन की तलाश करें। पुराने डंपिंग यार्ड जो गौशाला के 1 किलोमीटर के दायरे में बना दिए गए हैं उन्हें वहां से हटवाने की कार्रवाई शुरू की जाए।
 

 

गौशाला संचालक बोर्ड को भेज रहे शिकायतें
बोर्ड के केंद्रीय सदस्य मोहन सिंह आहलूवालिया ने यहां जारी बयान में कहा है कि देश की कई सरकारें गौशालाओं के साथ डंपिंग यार्ड बनाने का प्रस्ताव दे रही हैं, यह अनुचित है। कई राज्यों की गौशालाओं के संचालकों ने बोर्ड को शिकायतें भेजी हैं कि गौशालाओं के साथ प्रशासन डंपिंग यार्ड बनाने जा रहा है। 500 सालों से गौचर की जमीन को प्रशासन अलग छोड़ता रहा है, ताकि गाय वहां आराम से रहें। गाय कीचड़ में नहीं रह सकती, वह भी इंसानों की तरह संक्रमित होकर बीमार पड़ जाती हैं। हाल ही में भरतपुर जिले के गौशाला संचालकों ने शिकायत की है कि उनकी गौशाला में 1200 गाय रहती हैं। गौशाला के साथ मंदिर भी है और गौशाला के साथ की जमीन डंपिंग यार्ड के लिए दे दी गई है। यही स्थिति हरियाणा में हिसार और बल्लभगढ़ की गौशाला की भी है। वहां के गौशाला संचालकों ने बोर्ड से इस बाबत शिकायत की है। उत्तर प्रदेश और कई अन्य राज्यों की गौशालाएं शिकायतें भेज रही हैं। 
 

 

सोचे बगैर क्यों दी प्रस्तावों को मंजूरी? 
मोहन सिंह आहलूवालिया का कहना है कि गौशाला के 1 किलोमीटर दायरे में डंपिंग यार्ड बनाने वालों के खिलाफ बोर्ड कार्रवाई करेगा। राज्य सरकारों ने डंपिंग यार्ड गौशाला के साथ बनाए जाने के विषय को सोचे-समझे बगैर ही मंजूरी प्रदान कर दी है। यह कोई छोटी बात नहीं है। 
 

 

रद्द करें डंपिंग यार्ड के प्रस्ताव
बोर्ड के केंद्रीय सदस्य मोहन सिंह आहलूवालिया का कहना है कि अगर किसी गौशाला के साथ डंपिंग यार्ड बनाने का प्रस्ताव है तो उसे रद्द कर दिया जाए और जो पुराने डंपिंग यार्ड गौशाला के साथ बने हुए हैं उन्हें वहां से हटवाने के लिए बोर्ड कार्रवाई शुरू करेगा। पहले एडवाइडरी जारी की जाएगी और डंपिंग यार्ड को हटाने के लिए कहा जाएगा, अगर यार्ड हटाए नहीं जाते हैं तो पशु क्रूरता और पशु संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत कार्रवाई की जाएगी।

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