दिव्यांग कैंडीडेट्स को गुमराह किया गया, उनके आवेदन पर विचार करे कमीशन : हाईकोर्ट

Edited By Priyanka rana,Updated: 10 Nov, 2018 10:44 AM

punjab civil services

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा कि पंजाब सिविल सर्विसेज (एग्जीक्यूटिव ब्रांच) व सहयोगी सेवाओं के लिए कैंडीडेट्स, जो दिव्यांग कैटेगरी से संबंधित हैं

चंडीगढ़(बृजेन्द्र) : पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा कि पंजाब सिविल सर्विसेज (एग्जीक्यूटिव ब्रांच) व सहयोगी सेवाओं के लिए कैंडीडेट्स, जो दिव्यांग कैटेगरी से संबंधित हैं, उन्हें गुमराह किया गया, जब परिशिष्ट के तहत पोस्ट जोड़ी गई और वे कैंडीडेट्स ताजा रूप से उसमें आवेदन नहीं कर पाए। 

हाईकोर्ट ने मामले में पंजाब पब्लिक सर्विस कमीशन को आदेश दिए हैं कि दिव्यांग कैटेगरी में 177 के कट ऑफ मार्क्स से अधिक अंक स्कोर करने वाले कैंडीडेट्स पर विचार करें, जैसे कि शार्टलिस्ट होते हैं। मेन परीक्षा के लिए यह पुरानी सूची में जोड़ होगा। पंजाब सरकार व अन्यों को पार्टी बनाते हुए रमनदीप कौर की याचिका पर ये आदेश दिए गए हैं। 

दिव्यांग कैटेगरी से संबंधित याची ने जनरल कैटेगरी की 67 पोस्टों में आवेदन किया था क्योंकि रिजर्व कैटेगरी में दिव्यांग में कोई विज्ञापन नहीं था। याची ने 22 जुलाई को हुई प्रिलिमाइनरी परीक्षा में जनरल कैटेगरी में 255 अंक हासिल किए थे। वहीं अंतिम कैंडीडेट जो जनरल कैटेगरी में शार्टलिस्ट हुआ था, को 292 अंक हासिल हुए थे। कमीशन ने इसके बाद परिशिष्ट के तहत जून में तहसीलदार के 3 पदों समेत 5 अतिरिक्त पोस्टें जोड़ दीं जिनमें से एक पोस्ट दिव्यांग कैटेगरी में रिजर्व थी। 

याची के वकील ने दलीलें पेश करते हुए कहा कि परिशिष्ट की वर्डिंग कैंडीडेट्स के दिमाग में असमंजस पैदा करने वाली थी। उन्होंने यह समझा कि जोड़ी गई नई पोस्टों के लिए ताजा एप्लीकेशन कैंडीडेट्स द्वारा सबमिट करवाना आवश्यक नहीं, क्योंकि उन्होंने पहले से ही अप्लाई किया हुआ है और अपना स्टेटस भी दिव्यांग में डाला हुआ है। इसके अलावा बताया गया कि दिव्यांग कैटेगरी में अंतिम चयनित कैंडीडेट के 177 अंक थे जबकि याची के 255 अंक थे और फिर भी उनका नाम शार्टलिस्टेड कैंडीडेट्स की सूची से बाहर कर दिया गया, जिसके पीछे आधार बनाया गया कि याची ने फै्रश आवेदन नहीं किया था। 

सरकार की ओर से मामले में पेश एडीशनल एडवोकेट जनरल ने जवाब पेश करते हुए कहा कि 25 कैंडीडेट्स ने ताजा एप्लीकेशंस के तहत आवेदन किया था, जिसमें वे 5 कैंडीडेट्स भी शामिल थे जो याची के जैसे हालातों में थे। केस में बहस और रिकार्ड देखने के बाद कोर्ट ने कहा कि याची का क्लेम स्वीकार किया जाना बनता है।

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