एयरपोर्ट के नाम पर पंजाब ने कमाए 10000 करोड़ क्यों न 5000 कोर्ट में जमा करवाए जाएं: हाईकोर्ट

Edited By bhavita joshi,Updated: 22 Feb, 2019 09:19 AM

punjab gets rs 10 000 crore in the name of airport

चंडीगढ़ इंटरनैशनल एयरपोर्ट में 24 घंटे कनैक्टिविटी और इंटरनैशनल फ्लाइट्स की संख्या बढ़ाने को लेकर हाईकोर्ट में वीरवार को हुई सुनवाई के दौरान पंजाब सरकार के रवैये पर नाराज हुए चीफ जस्टिस कृष्णा मुरारी ने सरकार को खूब लताड़ लगाई और आदेश पारित किया कि...

चंडीगढ़(रमेश): चंडीगढ़ इंटरनैशनल एयरपोर्ट में 24 घंटे कनैक्टिविटी और इंटरनैशनल फ्लाइट्स की संख्या बढ़ाने को लेकर हाईकोर्ट में वीरवार को हुई सुनवाई के दौरान पंजाब सरकार के रवैये पर नाराज हुए चीफ जस्टिस कृष्णा मुरारी ने सरकार को खूब लताड़ लगाई और आदेश पारित किया कि सोमवार को सुनवाई के दौरान पंजाब के चीफ सैक्रेटरी और एडवोकेट जनरल खुद कोर्ट में पेश होकर एयरपोर्ट मामले में सरकार का पक्ष रखें। एडवोकेट जनरल के निवेदन को कोर्ट ने उनकी अंडरटेकिंग के रूप में दर्ज किया है।

सुनवाई के दौरान पंजाब सरकार के कई विभागों ने स्टेटस रिपोर्ट कोर्ट में पेश की थी, जिसमें जीरकपुर नगर कौंसिल ने जीरकपुर से एयरपोर्ट तक पानी, ड्रेनेज व सीवरेज पाइपलाइन बिछाने संबंधी जवाब में बताया कि तीन दिन पहले उन लोगों को नोटिस जारी कर दिए गए हैं जिनके मकान सीवरेज व पानी की पाइपलाइन के लिए निर्धारित रूट में बने हुए हैं।

 नोटिस की जो प्रति कोर्ट में पेश की गई उसमें कहा गया है कि जिन लोगों के घर सीवरेज या पानी की पाइपलाइन के रास्ते में आ रहे उन्हें गिराया जाएगा, साथ ही उन्हें छूट दी गई है कि वह चाहे तो अपने घर टूटने से बचाने के लिए सिविल कोर्ट में अपील कर सकते हैं। कोर्ट को बताया गया कि उक्त कार्य के लिए एस्टीमेट बन गया है, लेकिन जगह पर निर्माणों के कारण काम शुरू नहीं हो पा रहा।

 उक्त जवाब के बाद चीफ जस्टिस को गुस्सा आ गया, जिन्होंने सितम्बर 2018 में जीरकपुर नगर कौंसिल द्वारा दिए एफिडैविट का हवाला दिया, जिसमें सीवरेज व पानी की पाइपलाइन के रास्ते में आते घरों व अन्य निर्माणों को शीघ्र हटा दिए जाने की बात कही गई थी। कोर्ट ने इस संबंध में सरकार का पक्ष जानना चाहा तो कोर्ट में ए.जी. स्टाफ या सरकार का कोई अफसर मौजूद नहीं था सिर्फ एक जूनियर इंजीनियर कोर्ट में उपस्थित था। सरकार की गैर-जिम्मेदाराना रवैये को देखते हुए कोर्ट ने आदेश जारी किए कि पंजाब के चीफ सैक्रेटरी खुद कोर्ट में सरकार की ओर से मौजूद रहे और एडवोकेट जनरल खुद सरकार की ओर से पैरवी करें।

कैट 3 ट्रैक को लेकर नैगोसिएशन नहीं हो सकी 
केंद्र की ओर से पैरवी कर रहे सहायक सॉलिसिटर जनरल चेतन मित्तल ने कोर्ट को बताया कि टाटा के साथ एयरपोर्ट में 24 घंटे कनैक्टिविटी के लिए कैट 3 ट्रैक के निर्माण व लाइटिंग को लेकर चल रही नैगोसिएशन विफल हो गई है, जिसके चलते 31 मार्च तक कैट 3 सुविधा शुरू नहीं हो सकती। फिलहाल कैट वन व कैट टू की मदद से ही कनैक्टिविटी होगी, लेकिन बाद में कैट 3 सुविधा के लिए काम शुरू कर दिया जाएगा। 

एयरपोर्ट अथॉरिटी की उक्त स्टेटस रिपोर्ट पर याची पक्ष ने आपत्ति जताई व कहा कि कैट 3 सुविधा पर बार-बार योजना बदली जा रही है, जिससे एयरलाइंस कंपनियों को नुक्सान हो रहा है। भविष्य में कैट 3 का निर्माण होता है तो कनैक्टिविटी 3 से 4 माह तक रोकनी होगी या कुछ घंटे चलेगी, जिससे फिर कंपनियों को नुक्सान होगा। कोर्ट ने इस मामले पर 25 फरवरी को फिर से चर्चा करने को कहा है और एयरफोर्स, एयरपोर्ट अथॉरिटी, निर्माण कंपनी व अन्य संबंधित एजैंसियों की बैठक कर उसका निष्कर्ष कोर्ट को बताने की हिदायत दी है। 

ए.जी. को भी सुनाई खरी-खरी 
सुनवाई के वक्त कोर्ट में पंजाब सरकार की ङ्क्षखचाई की सूचना मिलते ही एडवोकेट जनरल कोर्ट में पहुंचे, जिन्हें पता ही नहीं था कि सरकार की फजीहत किस मामले में हो रही है। उन्हें मामले में शामिल अन्य वकीलों ने बताया कि एयरपोर्ट मामले में सुनवाई चल रही है। कोर्ट के किसी भी सवाल का जवाब एडवोकेट जनरल के पास नहीं था, जिन्होंने मामले को समझने के लिए कोर्ट से समय मांगा व आश्वासन दिया कि भविष्य में सरकार की ओर से पूरा सहयोग मिलेगा। चीफ जस्टिस ने पहले शुक्रवार को चीफ सैक्रेटरी व एडवोकेट जनरल को कोर्ट में तलब किया था लेकिन एडवोकेट जनरल ने सरकार का पक्ष रखने के लिए सोमवार तक समय मांगा, जिसे कोर्ट ने उनकी अंडरटेकिंग रिकॉर्ड करवाते हुए स्वीकार कर लिया।

पंजाब सरकार ने एयरपोर्ट को विज्ञापन के रूप में इस्तेमाल कर हजारों करोड़ जुटाए 

याचिकाकर्त्ता मोहाली इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के वकील पुनीत बाली ने कोर्ट को बताया कि पंजाब सरकार ने इंटरनैशनल एयरपोर्ट को विज्ञापन के रूप में प्रयोग किया और कई बड़ी कंपनियों उद्योगपतियों को आकर्षित किया, कमॢशयल हब बनाए, एरोसिटी एक व एरोसिटी दो के नाम से सैक्टर काटे और 10 हजार करोड़ से अधिक कमाई की लेकिन सबसे बड़ा स्टेकहोल्डर होने के बावजूद एयरपोर्ट के निर्माण या विकास के लिए न तो पैसा खर्च किया न ही गंभीरता से सहयोग ही दिया। उक्त आंकड़े सुनने के बाद चीफ जस्टिस कृष्णा मुरारी व जस्टिज अरुण पल्ली ने पंजाब सरकार की प्रति सख्ती दिखाते हुए कहा कि एयरपोर्ट के नाम पर पंजाब सरकार ने जो 10000 करोड़ कमाए हैं क्यों न उसमें से 5000 करोड़ कोर्ट में जमा करवाया जाए। तमाम दलीलें सुनने व दस्तावेजों का हवाला देते हुए चीफ जस्टिस ने कहा कि ‘पंजाब सरकार के इस मामले में अब तक के रवैये, कोर्ट के दिशा-निर्देशों को नहीं मानने व लापरवाह रवैये को देख लगता है कि हम ठगे गए।’  

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