फर्जी प्रशंसा पत्र : हर्ष और अजय के खिलाफ जालसाजी का केस दर्ज

Edited By Priyanka rana,Updated: 13 Jan, 2019 11:33 AM

punjab vigilance bureau

वार्षिक गुप्त रिपोर्ट को ठीक करवाने के लिए पंजाब सरकार और वन विभाग को फर्जी प्रशंसा पत्र सौंपने के आरोप के तहत पंजाब विजीलैंस ब्यूरो ने जांच के आधार पर वनपाल, अनुसंधान सर्कल, होशियारपुर हर्ष कुमार, आई.एफ.एस. और पलटा इंजीनियरिंग वर्कस प्राइवेट...

चंडीगढ़(शर्मा) : वार्षिक गुप्त रिपोर्ट को ठीक करवाने के लिए पंजाब सरकार और वन विभाग को फर्जी प्रशंसा पत्र सौंपने के आरोप के तहत पंजाब विजीलैंस ब्यूरो ने जांच के आधार पर वनपाल, अनुसंधान सर्कल, होशियारपुर हर्ष कुमार, आई.एफ.एस. और पलटा इंजीनियरिंग वर्कस प्राइवेट लिमिटेड, फोकल प्वाइंट, जालंधर के डायरैक्टर अजय पलटा के खिलाफ थाना मोहाली में धारा 420, 465, 467, 468, 471, 474, 120-बी आई.पी.सी. के अंतर्गत मुकद्दमा दर्ज करके आगामी कार्रवाई आरंभ कर दी है। 

विजीलैंस ब्यूरो के प्रवक्ता ने बताया कि कुलदीप कुमार लोमिस प्रधान प्रमुख वनपाल ने हर्ष कुमार की वर्ष 2014 -15 की वार्षिक गुप्त रिपोर्ट लिखते समय उसके बारे में कुछ प्रतिकूल कथन दर्ज किए थे और इस विषय संबंधित हर्ष कुमार ने एक प्रार्थना पत्र वन मंत्री पंजाब को पेश होकर दिया था, जिससे उसने प्रशंसा-पत्र तारीख 04.05.2015 (जो अतिरिक्त प्रमुख चीफ कंजर्वेटर, वन (विकास), एस.ए.एस. नगर, पंजाब को भेजा जाना दिखाया गया) की फोटो कापी भी प्रार्थना पत्र के साथ संलग्न की थी। 

बाद में प्रशंसा पत्र की जांच के दौरान पाया गया कि प्रशंसा पत्र नंबर 100/सी /2008 /1389 तारीख 04.05.2015 डा. अशोक कुमार साइंटिस्ट-एफ, जैनेटिक और वृक्ष उत्पत्ति, वन अनुसंधान संस्था देहरादून (उत्तराखंड) द्वारा जारी ही नहीं किया गया। 

प्रशंसा पत्र उसकी तरफ से जारी ही नहीं किया :
वास्तव में यह प्रशंसा पत्र वन और वन्य जीव सुरक्षा पंजाब के प्रमुख सचिव कार्यालय में तारीख 11.05.2015 को प्राप्त हुआ। जिसके बाद कुलदीप कुमार लोमिस द्वारा इस पत्र की तस्दीक करवाने पर देहरादून स्थित वन अनुसंधान संस्था ने स्पष्ट किया कि यह प्रशंसा पत्र उसकी तरफ से जारी ही नहीं हुआ और न ही डिसपैच किया गया।  

जबकि मुलजिम हर्ष कुमार वनपाल, विजय कुमार वन रेंज अफसर, अनुसंधान सर्कल, होशियारपुर और प्राइवेट व्यक्ति अजय पलटा ने विजीलैंस जांच के दौरान अपने हलफिया बयान में यह बताया कि तारीख 04.05.2015 को यह पत्र डा. अशोक कुमार, साइंटिस्ट ने देहरादून संस्था में खुद टाईप करके हर्ष कुमार और अजय पलटा की हाजरी में विजय कुमार को दिया था। 

उन्होंने कहा कि इसके अलावा डा. अशोक कुमार तारीख 21.12.2016 को साइंटिस्टों की ई-लिस्ट से एफ-लिस्ट में प्रोमोट हुआ है जबकि तारीख 04.05.2015 को जारी हुए प्रशंसा पत्र में उसे साइंटिस्ट-एफ दिखाया हुआ है। डा. अशोक कुमार के असली लेटर हैड में हरे रंग का लॉगो है परंतु इस प्रशंसा-पत्र में छपा लॉगो का रंग काला है। 

इंस्टीच्यूट के प्रमुख की मंजूरी से खोला जा सकता था दफ्तर :
प्रवक्ता ने बताया कि जांच में पाया गया कि तारीख 04.05.2015 को बुद्ध पूर्णिमा की छुट्टी होने के कारण उक्त संस्था का दफ्तर बंद था और छुट्टी वाले दिन इस इंस्टीच्यूट के प्रमुख से मंजूरी लेकर ही यह दफ्तर खोला जा सकता था परंतु ऐसी कोई भी मंजूरी नहीं मिली। 

इसके अलावा हर्ष कुमार और उसके साथियों द्वारा तारीख़ 04.05.2015 को गाड़ी नं. पी.बी.-08 सी.एच -7565 में सवार होकर देहरादून संस्था में जाने का बयान किया गया परंतु उस दिन इस गाड़ी के इंस्टीच्यूट में दाखिल होने संबंधी फाटकों पर लगे प्रविष्टि रजिस्टरों में कोई इंदराज होना भी नहीं पाया गया। 

साथ ही जांच प्रयोगशाला (एफ.एस.एल.) की रिपोर्ट के मुताबिक उक्त विवादित प्रशंसा-पत्र पर किए हुए हस्ताक्षर अशोक कुमार, साइंटिस्ट के नहीं हैं और यह पत्र अशोक कुमार, साइंटिस्ट द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली कम्प्यूटर की हार्डडिस्क में भी नहीं मिला।

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