स्कूल खोलने की अनुमति नहीं दी तो सड़क पर उतरेंगे संचालक : कुलभूषण

Edited By Vikash thakur,Updated: 13 Apr, 2021 08:15 PM

raised demand for reconsideration

एसोसिएशन ने सरकार से स्कूलों को बंद करने बारे आदेश पर पुनर्विचार की मांग उठाई

चंडीगढ़ (पांडेय): फैडरेशन ऑफ प्राइवेट स्कूल वैल्फेयर एसोसिएशन के प्रदेशाध्यक्ष कुलभूषण शर्मा ने कहा कि हरियाणा में कोरोना की स्थिति इतनी भयंकर नहीं है कि स्कूलों को बेवजह से बंद किया जाए। उन्होंने कहा कि सरकार ने 30 अप्रैल तक आठवीं कक्षा की छुट्टी की है उस आदेश से न तो स्कूल संचालक सहमत हैं और न ही अभिभावक। ऐसे में अगर अभिभावक छात्रों को स्कूल भेजने के लिए राजी हैं तो सरकार को अभिभावकों की अनुमति के साथ स्कूलों को खोलने में कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए।

अभिभावकों का भी कहना है कि यदि फैडरेशन स्कूलों को खोलने के लिए स्कूलों के हितों की आवाज उठाती हैं तो फैडरेशन के साथ-साथ अभिभावक भी सड़क पर उतरने के साथ ही जेल जाने को तैयार हैं। चंडीगढ़ प्रैस क्लब में पत्रकारों से बातचीत में शर्मा ने कहा कि सरकार ने निजी स्कूलों को 30 अप्रैल तक बंद करने के निर्देश जारी किए हुए हैं और सरकार के आदेश का उल्लंघन करने वाले निजी स्कूलों के खिलाफ स्कूल शिक्षा विभाग ने कड़ी कार्रवाई बारे आदेश जारी कर दिया है जो कि गलत है। 

 


‘पूरा प्रदेश खुला है तो स्कूल बंद क्यों?’
वर्तमान में स्कूलों में दाखिले की प्रक्रिया शुरू हो चुकी हैं और लगभग पिछले एक साल से प्राइवेट स्कूल बंद पड़े हैं। सरकार ने कोरोना के कम प्रभाव के कारण कुछ समय के लिए स्कूल खोले थे लेकिन वर्तमान में सरकार द्वारा एक बार फिर से 30 अप्रैल तक कोरोना के बढ़ते प्रभाव के कारण स्कूलों में छुट्टियां घोषित कर दी गई हैं। शर्मा ने कहा कि अभिभावकों का कहना हैं कि जब पूरा प्रदेश खुला हुआ हैं रेल, बस और सभी तरह के साधनों के चलने के साथ-साथ क्रिकेट मैच और राजनीतिक रैलियों इत्यादि पर कोई रोक-टोक नहीं हैं तो स्कूलों को क्यों बंद किया जा रहा है।

स्कूलों के लिए उचित गाइडलाइन बनाकर कोविड-19 के प्रकोप से छात्रों को बचाया जा सकता है। इसके साथ-साथ सरकार को ऑफलाइन या ऑनलाइन शिक्षा के मानक बनाकर स्कूलों में शिक्षा के कार्य को सुचारु ढंग से जारी रखना चाहिए ताकि छात्रों का रुका हुआ मानसिक विकास हो सके।  


‘सरकार पॉलिसी बनाकर राहत प्रदान करे’ 
फैडरेशन ने सरकार से आग्रह किया कि महामारी के कारण आए वित्तीय संकट से निपटने के लिए स्कूलों को प्लेज मनी वापस की जाए ताकि स्कूल इस संकटकाल में अपने अध्यापकों ओर अन्य कर्मचारियों को वेतन दे सके। साथ-साथ 2 साल से नहीं चली स्कूलों की बसों के लिए परिवहन विभाग को एक दिशा-निर्देश जारी करे ताकि बंद पड़ी स्कूलों की बस को कुछ राहत मिले सके और स्कूल बसों की लाइफ साइकिल को 2 वर्ष के लिए बढ़ाया जाए और बेरोजगार हुए बस के ड्राइवरों को 3000 रुपए बेरोजगारी भत्ता की घोषणा की जाए। जब तक महामारी का प्रभाव कम नहीं हो जाता तब तक निजी स्कूलों के शिक्षण और गैर-शिक्षण कार्य कर रहे कर्मचारियों के लिए भी 2000 रुपए और 25 किलोग्राम चावल जैसी राहत के साथ अन्य राहत पैकेज भी स्कूलों के हितों के लिए जारी किए जाए। इसके साथ-साथ जिन अभिभावकों कि सालाना आय 2.50 लाख रुपए से कम हैं उनके लिए भी सरकार पॉलिसी बनाकर राहत प्रदान करे ताकि अभिभावक स्कूलों की फीस दे सके। इस अवसर पर एसोसिएशन के महासचिव बलदेव सैनी व वरुण जैन मौजूद थे। 
 

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