पटाखों पर प्रतिबंध लगेगा या नहीं, चंडीगढ़ आज लेगा फैसला

Edited By AJIT DHANKHAR,Updated: 05 Nov, 2020 09:13 PM

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जिन 18 राज्यों में पटाखों पर प्रतिबंध लगाने को लेकर एन.जी.टी. में सुनवाई हुई, उनमें चंडीगढ़ भी शामिल

चंडीगढ़, (राय): नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एन.जी.टी.) में वीरवार को जिन 18 राज्यों में पटाखों पर प्रतिबंध लगाने को लेकर सुनवाई हुई, उनमें चंडीगढ़ भी शामिल है। एन.जी.टी. ने इस संबंध में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है और सभी राज्यों से शुक्रवार शाम 4 बजे तक जवाब मांगा है।   एन.जी.टी. ने इन 18 राज्यों से पूछा है कि उनके वहां हवा की गुणवत्ता कैसी है और दीपावली से 10 दिन पहले और बाद में वायु प्रदूषण को रोकने के क्या उपाय किए जा सकते हैं? इस निर्णय के बाद दिल्ली ने तो पटाखों पर प्रतिबंध लगा दिया जबकि चंडीगढ़ प्रशासन शुक्रवार को ही इस संबंध में अंतिम निर्णय लेगा।

 

हालांकि प्रशासन द्वारा 96 लोगों को 14 जगहों पर पटाखों के स्टाल लगाने के स्थान अलॉट करने का ड्रा निकाला जा चुका है लेकिन परिणाम रोक दिया गया। शहर में पटाखे बेचने व चलाने की अनुमति दिए जाने पर अंतिम निर्मय के बाद ही ड्रा के परिणाम घोषित किए जाएंगे। ज्ञात रहे कि गत दिवस एन.जी.टी. ने इस संबंध में दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली, यू.पी., राजस्थान और हरियाणा को अगली सुनवाई के लिए नोटिस जारी किए थे लेकिन बाद में 14 और राज्य शामिल किए गए, जहां हवा की गुणवत्ता कमतर है। इनमें चंडीगढ़ भी शामिल है।

 

 

पटाख व्यापारी बोले- हम बर्बाद हो जाएंगे
चंडीगढ़ क्रैकर्स डीलर्स एसोसिएशन के प्रैजीडैंट देविंदर गुप्ता ने कहा कि जितने बड़े व्यापारी हैं, वे पटाखों के ऑर्डर दे चुके हैं और पैसे भी दे चुके हैं। एसोसिएशन के महासचिव चिराग अग्रवाल ने कहा कि प्रशासन व राज्य सरकारों को हर साल दीवाली के दिनों में ही प्रदूषण की चिंता क्यों होती है। पंजाब में बड़े स्तर पर पराली जलाई जाती है, जोकि प्रदूषण की बड़ी वजह है। अग्रवाल ने कहा कि व्यापारी लाखों का आर्डर दे चुके हैं और लाखों के पिछले वर्ष के पटाखे भी स्टाक में पड़े हैं। अब अगर प्रतिबंध लगता है तो वे लोग तो बर्बाद हो जाएंगे। 

कांग्रेस को जारी करना पड़ा बयान 
कांग्रेस पार्षद देविंदर सिंह बबला ने भी प्रशासक से अपील की कि पटाखों पर पूरी तरह बैन लगना चाहिए। पटाखों के व्यापारियों ने बबला के बयान की आलोचना की। बात बढ़ी तो कांग्रेस को शाम को बयान जारी करना पड़ा। पार्टी की तरफ से कहा गया कि व्यापारी पहले ही आर्थिक मंदी झेल रहे हैं। अगर पटाखों की बिक्री की मंजूरी नहीं दी तो उन्हें लाखों का नुक्सान झेलना पड़ेगा। कांग्रेस के पूर्व मेयर हरफूलचंद्र कल्याण व पार्षद सतीश कैंथ ने भी कहा कि चंडीगढ़ में पटाखों की बिक्री होनी चाहिए।
 

ग्रीन कवर बचा रहा प्रदूषण से
बताया जाता है कि चंडीगढ़ में प्रदूषण का स्तर उत्तर भारत के सभी दूसरे शहरों से बेहतर है। चंडीगढ़ अकेला ऐसा शहर है, जिसका ए.क्यू.आई. 300 के आस-पास रहा है जबकि उत्तर भारत के कई शहरों का पर्टिक्यूलेट मैटर 900 से भी अधिक रह चुका है। चंडीगढ़ में करीब 40 फीसद हिस्सा हरियाली से कवर है। वायु प्रदूषण में ग्रीन कवर शहर को सुरक्षा दे रहा है। ग्रीन कवर पर्टिक्यूलेट मैटर को सोखता है। विशेषज्ञों का कहना है कि शहर को केवल पौधारोपण से, जैव विविधता पर ध्यान केंद्रित करने, ट्रैफिक कम करने की ठोस नीति और पेड़ों के पुन: रोपण पर ध्यान देने की आवश्यकता है। 

पड़ोसी क्षेत्रों से आने वाले प्रदूषक तत्वों पर कोई नियंत्रण नहीं 
चंडीगढ़ के पर्यावरण विभाग के निदेशक देवेंद्र दलाई ने कहा कि ग्रीन कवर और वायु गुणवत्ता दो अलग-अलग चीजें हैं। विशेष क्षेत्र की बिगड़ती वायु गुणवत्ता के लिए कई कारक जिम्मेदार हैं। चंडीगढ़ ने ग्रीन कवर हासिल कर लिया है लेकिन पड़ोसी क्षेत्रों से आने वाले प्रदूषक तत्वों पर कोई नियंत्रण नहीं है। चंडीगढ़ के हिस्से में वायु प्रदूषण का एक बड़ा स्रोत वाहनों का आवागमन है।
 

160 रहा प्रदूषण का स्तर
चंडीगढ़ में सोमवार को वायु प्रदूषण का स्तर 157 दर्ज किया गया था। मंगलवार को 166, बुधवार को 167 दर्ज किया गया था। वीरवार को यह स्तर 160 दर्ज किया गया। इसे खराब ही माना जाएगा। हालांकि चंडीगढ़ की स्थिति उत्तर भारत के अन्य राज्यों से बेहतर है। फिर भी वायु गुणवत्ता के निर्धारित मानकों को पूरा नहीं करने के लिए गैर-प्राप्ति शहरों के रूप में पहचाने जाने वाले 112 भारतीय शहरों में शामिल है।
 

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