Edited By bhavita joshi,Updated: 27 May, 2019 11:34 AM
पी.यू. की सीनेट की बैठक में सभी एजैंडे पर निर्णय लेने के बाद शाम पौने छ: बजे दोबारा एस.डी. कॉलेज के प्रिंसीपल को एक्सटैंशन को लेकर विवाद उठा।
चंडीगढ़(रश्मि): पी.यू. की सीनेट की बैठक में सभी एजैंडे पर निर्णय लेने के बाद शाम पौने छ: बजे दोबारा एस.डी. कॉलेज के प्रिंसीपल को एक्सटैंशन को लेकर विवाद उठा। सीनेटर सुभाष शर्मा ने कहा किइसमुद्दे पर काफी चर्चा हो गई है। अब कोई न कोई निर्णय जरूर लेना चाहिए। सीनेटरों की 19 सदस्यों के हस्ताक्षर के बावजूद सीनेट नहीं बुलाई गई, बल्कि सिंडीकेट के फैसले को ही मान लिया गया। सीनेटर अजय रंगा ने भी इसे लेकर स्पैशल बैठक बुलानी की मांग रखी।
वी.सी. प्रो. राजकुमार ने जैसे ही इसके लिए हामी भरी, इस पर सीनेटर अशोक गोयल, नरेश गौड़, हरदीप, केशव मल्होत्रा ने कहा कि सिंडीकेट को जो चेयर करते हैं वह भी इस निर्णय में शामिल हैं। अशोक ने गुस्से में दिखे। उन्होंने कहा कि सिंडीकेट में निर्णय लिए जाते हैं वह लिए ही जाएंगे। वी.सी. ने अनपर्लीमैंटरी भाषा का प्रोयग किया है।
सीनेटर बरिंद्र ने कहा कि सिंडीकेट में होने का आप सब अपनी पॉवर का फायदा उठाना चाहते हैं। सीनेटर सुभाष शर्मा ने कहा कि सिंडीकेट का मतलब यह नहीं वह अपने हिसाब से नियम बनाए और तोड़े। नियमों के हिसाब से काम होना चाहिए। मामला उलझता देख वी.सी. ने बैठक छोड़ सवा छ: बजे बाहर चले गए। आखिर में बैठकमें 45 मिनट बाद वी.सी. पहुंचे। वी.सी. प्रो. राजकुमार ने कहा कि सिंडीकेट के निमयों के हिसाब से मंगलवार को होने वाली सिंडीके ट की बैठक में यह निर्णय ले लिया जाएगा।
एस.डी. कॉलेज के प्रिंसपल को एक्सटैंशन के मुद्दे पर कब बैठक होगी। बता दें कि सिंडीकेट बैठक में निर्णय लिया गया कि एस.डी. कॉलेज के प्रिंसीपल भूषण शर्मा जिनकी आयु 60 वर्ष से ज्यादा हो चुकी है, उन्हें तब तक प्रिंसीपल के लिए एक्सटैंशन दे दी जाएगी, जब तक इस पद पर कोई नई नियुक्ति नहीं हो जाती। सीनेटर सुभाष व अन्य सीनेटरों का कहना है कि नियमों के तहत 60 वर्ष की सेवानिवृकि के बाद किसी भीशिक्षक को पढ़ाने के लिए तो एक्सटैंशन दी जा सकती है लेकिन एडमिनिस्ट्रिव पद पर उसे एक्सटैंशन नहीं जा सकती।
सुभाष सहित 19 सीनेटरों ने स्पैशल बैठक की मांग की। देरशाम बैठक में सिंडीकेट की पावर को मिसयूज करने की बात फिर से उठी। कई सीनेटर्स ने कहा कि सिंडीकेट सदस्य मर्जी से कोई भी पॉलिसी नहीं बना सकते हैं। सीनेट के पास अधिकार है वह सिंडीकेट के फैसले को माने या न माने।