‘कुछ बड़े नेताओं की नाराजगी दूर नहीं कर पाया, इसका मलाल रहेगा’

Edited By Priyanka rana,Updated: 16 Jan, 2020 11:53 AM

sanjay tandon

चंडीगढ़ भाजपा अध्यक्ष संजय टंडन अपनी एक दशक लंबी पारी खेलकर अब केवल पार्टी के एक निष्ठावान कार्यकर्ता रहना चाहते हैं। उनका राजनीतिक भविष्य पार्टी हाईकमान को तय करना है।

चंडीगढ़(राय) : चंडीगढ़ भाजपा अध्यक्ष संजय टंडन अपनी एक दशक लंबी पारी खेलकर अब केवल पार्टी के एक निष्ठावान कार्यकर्ता रहना चाहते हैं। उनका राजनीतिक भविष्य पार्टी हाईकमान को तय करना है। 

अपने प्रधान पद के कार्यकाल के अंतिम दौर में आज भावुक होकर टंडन ने कहा कि वह अपनी लंबी पारी से संतुष्ट हैं क्योंकि उन्होंने पार्टी को यहां एक नया आधार दिया। जब वह प्रधान बने तो शहर में भाजपा के 12000 सदस्य थे व आज जब वह गद्दी छोड़ेंगे तो पार्टी की सदस्यता करीब 90,000 है। 

हालांकि वर्ष 2014 व 2019 में वह चंडीगढ़ से लोकसभा टिकट केा प्रबल दावेदार थे पर उन्हें टिकट नहीं मिला। इसके बावजूद वह पार्टी के प्रचार व प्रसार में लगे रहे व गत लोकसभा चुनावों में पार्टी प्रत्याशी को कुल पड़े मतों का आधे से अधिक मिलना उनकी पार्टी के प्रति वफादारी का सबूत है। उनका कहना था कि सांसद न होने के बावजूद लोग उनके पास काम के लिए आते हैं व वह कभी प्रशासन व कभी केंद्र सरकार से इसके लिए प्रयासरत रहते हैं।

कमला शर्मा का मैं ऋणी रहूंगा : टंडन 
एक दशक पीछे मुड़कर देखते हुए उन्हें किस बात का पछतावा है तो वह बोले कि कुछ बड़े नेताओं की नाराजगी प्रयास करने पर भी वह दूर नहीं कर पाए, इसका मलाल रहेगा। उनका कहना था कि उन्होंने पदभार संभालते ही पार्टी के उन नेताओं को साथ जोड़ा जो या तो नाराज थे या फिर खामोश होकर घर बैठ गए थे। 

इनमें कुछ उन नेताओं के परिवार भी थे जो अब इस दुनिया में नहीं हैं। टंडन का कहना था कि तमाम विरोधों के बावजूद हरमोहन धवन को वह पार्टी में लाए। जब उन्होंने पार्टी छोड़ी तो उनके साथ आए कार्यकर्ता उनके साथ नहीं गए। वह आज भी पार्टी में बने हुए हैं। टंडन ने कहा कि पहले वह चंडीगढ़ भाजपा के महासचिव थे व कमला शर्मा प्रधान थी। उन्होंने कमला शर्मा से काम सीखा व इसके लिए वह उनके ऋणी हैं।

गुटबाजी को नकारा :
पार्टी की गुटबाजी व इसे हवा देने के उन पर लगे आरोपों को उन्होंने नकारते हुए कहा कि वह तो पुराने व रुष्ठ नेताओं व कार्यकर्ताओं को घरों से उठा कर लाए। अपने व्यक्तिगत विरोधियों को पार्टी में और केन्द्रीय कार्यकारिणी में मनोनीत किया क्योंकि वह पार्टी के निष्ठावान सिपाही थे। अब उनसे नाराजगी कुछ लोगों की हो सकती है।

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