PU का फिजिक्स विभाग बनाएगा साइंटिफिक वैबसाइट

Edited By Punjab Kesari,Updated: 20 Jun, 2018 10:39 AM

scientific website

अगर किसानों और गांवों में रहने वाले लोगों के जीवन में बदलाव आ जाए तो देश तेजी से विकसित हो सकता है

चंडीगढ़(रश्मि) : अगर किसानों और गांवों में रहने वाले लोगों के जीवन में बदलाव आ जाए तो देश तेजी से विकसित हो सकता है। पी.यू. के फिजीक्स विभाग ने एक साइंटिफिक वैबसाइट बनाने का प्रस्ताव तैयार किया है। इस प्रस्ताव के तहत इंडिया नीड्स, पंजाब नीड्स, और चंडीगढ़ नीड्स नाम से एक वैबसाइट बनाने का प्रस्ताव तैयार किया गया है। 

इसका मकसद नैशनल, स्टेट, सिटी और इंस्टीच्यूट स्तर पर लोगों से उनकी साइंस से संबंधित आ रही समस्याओं को वैबसाइट पर लिस्ट करना है, जिससे अंडर-ग्रैजुएट, पोस्ट-ग्रैजुएट स्टूडैंट्स, टीचर व इंजीनियर इस वैवसाइट को देखकर सॉल्यूशन दे सकें। इन साइंटिफिक समस्याओं को दूर करने के  लिए वैबसाइट पर आए विषय स्टूडैंट को दिए जाएंगे ताकि स्टूडैंट्स इन विषयों पर रिसर्च कर समस्या का हल ढूंढ सकें। 

जल्द ही बनेगी वैबसाइट :
फिजीक्स विभाग के प्रो.दविंद्र सिंह की ओर से यह प्रस्ताव तैयार किया गया है। इस प्रस्ताव के तहत जल्द ही यह वैबसाइट बनाने के लिए काम शुरू  हो जाएगा।  इस वैबसाइट पर देश भर से लोग जुड़ कर अपनी बात या रोजमर्रा की जिंदगी में पेश आ रही अपनी समस्याएं रख सकते हैं। अभी तक ज्यादातर जो रिसर्च हो रही है, वह सिर्फ पी.एचडी. पूरी करने के लिए होती है। ऐसे में इनमें से अधिकतर रिसर्च लोगों के काम नहीं आती। 

यह रिसर्च कागजों तक ही सीमित रह जाती है। जब रिसर्च हो ही रही है तो रिसर्च ऐसी हो, जिससे स्टूडैंट को ऐसे विषय मिलें जिन पर की गई रिसर्च आम लोगों के काम आ सके तो अच्छा है। प्रो. मेहता ने बताया कि वैबसाइट पर यह भी लिस्ट किया जा सकता है कि यह भी कौन-कौन सी चीजें देश में एक राज्य से दूसरे राज्य से आती हैं, जिन्हें क्षेत्रीय स्तर पर प्रोडयूस करके  ट्रांस्पोटेशन के खर्चे से बचा जा सकता है।  

कई समस्याएं निपट सकती हैं आसानी से :
प्रो. दविंद्र ने कहा कि गोरखपुर में अॅाक्सीजन की कमी है, लेकिन यह ऑक्सीजन आसानी से बनाई जा सकती है। इसी तरह से पानी गंदा है लेकिन पानी को पीने के योग्य बनाने के  लिए ओजोन गैस का प्रयोग किया जा सकता है। 

कुछ बच्चे पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पाते लेकिन कई बच्चों में डिहाईड्रेशन की समस्या से यह होती है, क्योंकि स्कूल में आधा दिन बिताने पर वह शायद एक गिलास पानी ही पीते हों। प्रो. दविंद्र ने कहा कि  आम तौर पर बड़ी समस्या को लोग खुद इलैक्ट्रॉनिक ऑटोमेशन करके सुलझाया जा सकता है। वहीं स्टडैंट भी ऑटोमेशन करके लोगों को उनकी समस्या का सॉल्यूशन दे सकते हैं।

लोगों को हो आविष्कार की आदत :
प्रो. दविंद्र सिंह ने बताया कि इस वैबसाइट का मकसद लोगों में अविष्कार करने की आदत डालना है। टर्शरी वाटर, स्वीमिंग पूल, एयर  प्योरीफिकेशन सिस्टम, यूज ऑफ सोलर  एनर्जी जैसे कई विषयों पर चर्चा हो सकती है। इसमें खुद इकनोमिक ऑटोमेटिव करके वाटर टैंक फिलिंग सिस्टम ऑटोमैटिक लाइट स्वीच, वॅाटर प्योरीफॉयर, वैजीटेबल प्योरीफॉयर, ऑटोमैटिक अलार्म आदि को बाजार से महंगे उपकरण खरीदे बिना प्रयोग किया जा सकता है। 

यह ग्रामीण क्षेत्र के लोगों व किसानों के आय का साधन बन भी सकता है। इसके अलावा सीवरेज सिस्टम व ग्रामीण क्षेत्र में टॉयलेट की समस्या को भी सुलझाया जा सकता है। एलोवीरा से फूलों या बीजों के अर्क से कम पैसों में टूथपेस्ट, साबुन आदि बनाया जा सकता है।
 

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