Edited By pooja verma,Updated: 04 Feb, 2020 01:13 PM
नगर निगम को अभी शहर की पेड पार्किंग्स ठेकेदारों को सौंपे कुछ समय ही हुआ है कि ठेकेदारों के कारिंदों ने पार्किंग्स में धांधलियां भी करनी शुरू कर दी हैं।
चंडीगढ़ (राय): नगर निगम को अभी शहर की पेड पार्किंग्स ठेकेदारों को सौंपे कुछ समय ही हुआ है कि ठेकेदारों के कारिंदों ने पार्किंग्स में धांधलियां भी करनी शुरू कर दी हैं। मामला सैक्टर-17 का है, जहां पार्किंग कारिंदे ने एक कार को पार्किंग की पर्ची के नाम पर पहले से काटी हुई पर्ची थमा दी और कार पार्क करने को कह दिया।
कार चालक मोहाली निवासी गुरिंदर सिंह ने जब कारिंदे से पर्ची मांगी तो उसने पहले से किसी अन्य कार के लिए काटी गई पर्ची पर उनकी कार का नंबर लिख कर उन्हें पर्ची थमा दी और पैसे लेकर कार पार्क करने को कह दिया। गुरिंदर ने बताया कि जब कारिंदे उनसे ऐसा कर सकते हैं तो वे न जाने दिन में कितने और लोगों के साथ ऐसी धांधली करते होंगे। निगम ने पार्किंग को ठेके पर दिए जाने से पूर्व ठेकेदारों को पारदर्शिता बरते जाने और नियम व शर्तों में कई कठोर नियम जोड़े थे, ताकि ठेकेदार लोगों से किसी तरह की मनमर्जी न कर सकें।
स्मार्ट पार्किंग साबित करने के लिए 90 दिन का समय
नए सिरे से टैंडर किए जाने के बाद संबंधित कंपनी को पार्किंग स्थलों को पूरी तरह से स्मार्ट सुविधा से लैस घोषित किए जाने में 90 दिन का समय दिया गया है। अगर कंपनी यह साबित कर देती है तो फिर घंटों के हिसाब से चार्ज वसूले जाएंगे।
अतीत में इस तरह के प्रयास पहले भी हुए और निगम ने आंख मूंद कर पार्किंग स्थलों को स्मार्ट करार दिया, लेकिन पार्किंग स्थलों में स्मार्ट फीचर जैसी बात ही नहीं थी, बल्कि जनता घंटों के हिसाब से चार्ज और बदसूलकी का शिकार होती चली गई। पिछले वर्ष फरवरी में आर्य टोल कंपनी डिफाल्टर होने के बाद अपना ठेका कैंसिल करवा बैठी थी।