सिर्फ दावे : स्मार्ट सिटी के तहत एक भी प्रोजैक्ट नहीं हुआ पूरा

Edited By Priyanka rana,Updated: 20 Jul, 2019 11:58 AM

smart city

स्मार्ट सिटी के तहत शहर में शुरू किए जाने वाले प्रोजैक्ट्स में से एक भी प्रोजैक्ट पूरा नहीं हो सका है।

चंडीगढ़(राय) : स्मार्ट सिटी के तहत शहर में शुरू किए जाने वाले प्रोजैक्ट्स में से एक भी प्रोजैक्ट पूरा नहीं हो सका है। तमाम प्रोजैक्ट की रफ्तार धीमी है। स्मार्ट सिटी प्रोजैक्ट के शिलान्यास के बाद से अगर इनकी प्रगति की तरफ देखा जाएं तो अभी तक टैंडर प्रक्रिया में ही मसला उलझा हुआ है। 

शहरवासियों को प्रदान की जानी वाली योजनाओं को लेकर बीच-बीच में बैठक के दौर के बीच वायदे तो किए जाते हैं जबकि हकीकत में यह हवा-हवाई ही साबित हुए हैं। 

नहीं हुआ प्लाजा का ब्यूटीफिकेशन :
स्मार्ट सिटी प्रोजैक्ट के तहत जिस सैक्टर-17 प्लाजा का ब्यूटीफिकेशन करने का दावा किया गया था। वह इस समय पूरी तरह फड़ी बाजार में तब्दील हो गया है जबकि स्मार्ट सिटी के तहत सैक्टर-17 में 15 तरह के नए प्लाजा का निर्माण करने का दावा किया गया था। 

सिटी ब्यूटीफुल को 26 मई 2016 को फास्ट ट्रैक स्मार्ट सिटी का दर्जा मिला लेकिन अब तक प्रशासन सिर्फ सैक्टर-17 के ब्रिज में स्मार्ट सिटी का कार्यालय ही बना पाया है। 

वाटर सप्लाई प्रोजैक्ट का टैंडर आगे खिसका :
स्मार्ट सिटी की अभी तक हुई रिव्यू बैठकों में मनीमजारा में 24 घंटे जल आपूर्ति को लेकर बकायदा प्रचार किया जाता रहा है। जबकि इस परियोजना को लेकर महज एक कंपनी के बिड किए जाने की बात सामने आ रही है। 

इसी वजह से इसकी टैंडर प्रक्रिया आगे खिसक गई। यह सिलसिला आगे भी जारी रहा तो प्रोजैक्ट लंबित ही होता जाएगा। यही स्थिति ठीक शहर के चार सरकारी स्कूलों को स्मार्ट बनाए जाने की परियोजना पर बनी हुई है। जब इस प्रोजैक्ट को लेकर जब तक टैंडर प्रक्रिया गति नहीं पकड़ती, तब तक इसका वैसे ही प्रचार होता रहेगा। 

चार और ठेकों के खिलाफ होगी कार्रवाई :
विभाग द्वारा चार और ठेकों के खिलाफ के नियमों की अनदेखी के चलते कार्रवाई की जाएगी। इन ठेकों को विभाग ने अपना पक्ष रखने के लिए थोड़ा समय दिया है। इनका पक्ष जानने के बाद ही विभाग इन ठेकों पर भी कार्रवाई करेगा। विभाग के अनुसार बाकी बचे चार ठेकों में भी नियमों की अनदेखी की गई थी, जिसके चलते ही वह इनके खिलाफ कार्रवाई करने जा रहे हैं।

मृत जानवरों को जलाने के प्लांट का प्रोजैक्ट अधर में :
वहीं, मृत जानवरों को जलाने के प्लांट का प्रोजैक्ट कागजों में डड्डूमाजरा में लगाया जाना प्रस्तावित है। इसे लेकर निगम सदन में एजेंडा भी पारित किया गया। जब विरोध हुआ तो मेयर ने पार्षदों की कमेटी गठित कर दी ताकि नई जगह तलाशी जा सके। कमेटी जब तक किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच जाती, तब तक यह प्रोजैक्ट अधर में रहेगा। 

साइकिल शेयरिंग प्रोजैक्ट डिले :
स्मार्ट सिटी के अहम प्रोजैक्ट में से एक साइकिल शेयरिंग सिस्टम भी इंतजार बन सकता है। इस प्रोजैक्ट को लेकर शहर कार में पांच हजार साइकिलें शहर में चलाया जाना है। असल में इसे लेकर महज एक बिड किए जाने की बात सामने आई है,जो चंडीगढ़ स्मार्ट सिटी लिमिटेड की कार्य प्रणाली पर बड़ा सवाल है।

डंपिंग ग्राऊंड भी बड़ा मसला :
दावे के मुताबिक नासूर बन चुका डड्डूमाजरा के डंपिग ग्राऊंड से डेढ़ वर्ष में राहत मिल सकेगी। इसके लिए कहा जा रहा है कि मानसून सीजन के बाद डंपिंग ग्राऊंड में कई हजार टन कचरे को प्रोसैस करने के लिए जिन चार कंपनियों ने बिड दी है, उनमें एक का चयन कर इसकी अलाटमैंट अगले माह कर दी जाएगी। दावा है कि अक्तूबर तक वहां पड़े कचरे को प्रोसैस करने का काम शुरू कर दिया जाएगा। 

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