स्मार्ट सिटी लिमिटेड ने टैंडर किया जारी, किशनगढ़ में एक नया प्लांट भी लगेगा

Edited By pooja verma,Updated: 24 Sep, 2019 10:40 AM

smart city limited issues tender a new plant will established in kishangarh

शहर में स्मार्ट सिटी प्रोजैक्ट के तहत चंडीगढ़ सिटी लिमिटेड ने पांच सीवरेज ट्रीटमैंट प्लांट (एस.टी.पी.) को अपग्रेड करने और एक नया प्लांट लगाने के लिए प्रोसैस शुरू कर दिया है।

चंडीगढ़ (राजिंद्र ): शहर में स्मार्ट सिटी प्रोजैक्ट के तहत चंडीगढ़ सिटी लिमिटेड ने पांच सीवरेज ट्रीटमैंट प्लांट (एस.टी.पी.) को अपग्रेड करने और एक नया प्लांट लगाने के लिए प्रोसैस शुरू कर दिया है। इसके लिए सोमवार को टैंडर जारी कर दिया गया है। इससे पहले भी टैंडर जारी किया गया था लेकिन प्रशासनिक कारणों के चलते उस टैंडर को कैंसिल कर दिया गया था। 

 

यही कारण है कि अब दोबारा टैंडर जारी किया गया है। इस संबंध में स्मार्ट सिटी लिमिटेड के एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि उन्होंने सोमवार को इस प्रोजैक्ट के लिए टैंडर जारी कर दिया है। उन्होंने कहा कि 555.77 करोड़ रुपए की लागत इनकी अपग्रेडेशन का काम पूरा करना है। प्रोजैक्ट में देरी होने के चलते इसकी थोड़ी कॉस्ट भी बढ़ गई है। 

 

चुनाव से पहले भी टैंडर जारी किया गया था लेकिन चुनाव आचार संहिता लागू होने के चलते इस पर काम नहीं हो सका था। यही कारण है कि टैंडर की डेट को आगे बढ़ा दिया गया था, जिसके बाद ही प्रशासनिक कारणों के चलते इसे कैंसिल किया गया था। इच्छुक कंपनियां इसके लिए 14 अक्तूबर तक अप्लाई कर सकती है और इसी दिन बिड ओपन होगी।

 


एस.टी.पी. का बी.ओ.डी. लैवल करना है कम  
निगम ने प्लांट अपग्रेड करके टर्शरी ट्रीटिड वाटर का बायोलॉजिकल एक्सीजन डिमांड (बी.ओ.डी.) लैवल कम करना हैं, ताकि घरों और गार्डनों में सप्लाई के दौरान इससे बदबू न आए। फिलहाल बी.ओ.डी. लैवल ज्यादा होने के चलते पानी सही तरीके से ट्रीट नहीं हो रहा है, जिसके चलते 36 एम.जी.डी. पानी को नाले में व्यर्थ बहाया जा रहा है। 

 

निगम ने जिन प्लांट्स को अपग्रेड करना है, उनमें एस.टी.पी. डिग्गियां क्षमता (30 एम.जी.डी.), थ्री बी.आर.डी. (11 एम.जी.डी.), रायपुर कलां 5 एम.जी.डी., रायपुर खुर्द 1.25 एम.जी.डी. और धनास (1.65 एम.जी.डी.) का प्लांट शामिल है। 


 

क्या होता है बी.ओ.डी. लैवल  
बी.ओ.डी. सीवरेज वाटर को साफ करने की एक पूरी प्रक्रिया है। इसमें कैमीकल ट्रीटमैंट के बाद सीवरेज वाटर को उपयोग योग्य बनाया जाता है। टर्शरी ट्रीटिड इसे इस्तेमाल करने से पहले ट्रीट करने की फाइनल प्रक्रिया है। जितना ज्यादा बी.ओ.डी. लैवल होगा, उतनी ज्यादा ट्रीटिड वाटर से बदबू आएगी। 

 

देरी होने के कारण प्रोजैक्ट की लागत बढ़ी 
पहले प्रोजैक्ट की लागत 511 करोड़ तय की गई थी लेकिन देरी होने के चलते ये बढ़ गई है। इसकी फंडिंग स्मार्ट सिटी मिशन के तहत सैंटर गवर्नमैंट ने करनी है। फिलहाल थ्री बी.आर.डी. को छोड़कर सभी प्लांट्स का बी.ओ.डी. लैवल अधिक है। 

 

इसके अलावा किशनगढ़ में भी एक प्लांट लगाया जाना है, ताकि नयागांव और कांसल से सुखना कैचमैंट एरिया में आने वाले सीवरेज वाटर को मैनेज किया जा सके। इसके अलावा एस.टी.पी. सूखे के दौरान सुखना को भरने के काम भी आ सकता है। इस प्लांट की 2 एम.एल.डी. की क्षमता होगी। 


 

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