मॉडल सोलर सिटी की रफ्तार धीमी, इंजीनियरिंग विभाग के पास अटकी फाइल

Edited By Priyanka rana,Updated: 12 Mar, 2020 09:11 AM

solar city

चंडीगढ़ प्रशासन 500 गज से अधिक एरिया वाले मकानों पर सोलर प्लांट लगाने के लिए 31 मार्च की डैडलाइन घोषित कर चुका है

चंडीगढ़(विजय) : चंडीगढ़ प्रशासन 500 गज से अधिक एरिया वाले मकानों पर सोलर प्लांट लगाने के लिए 31 मार्च की डैडलाइन घोषित कर चुका है, लेकिन सरकारी विभागों में तालमेल की कमी से अधिकारियों के फरमान फुस्स हो रहे हैं। 

रेस्को की मदद से लिया था फैसला :
मिनिस्ट्री ऑफ न्यू एंड रिन्युअबल एनर्जी (एम.एन.आर.ई.) के निर्देशों पर प्रशासन चंडीगढ़ को बतौर मॉडल सोलर सिटी डिवैल्प करने के लिए नए-नए प्रोजैक्ट ला रहा है। प्रशासन ने शहर में रिन्युअबल एनर्जी सर्विस कंपनी (रेस्को) की मदद से घरों पर सोलर प्लांट लगाने का फैसला लिया था। 

अभी तक रेस्को मॉडल को केवल सरकारी इमारतों के लिए ही इस्तेमाल में लाया जाता था, पर चार माह पहले देश में पहली बार रेस्को के सोलर प्लांट को घरों में लगाने का फैसला लिया गया। इसके लिए चंडीगढ़ रिन्युअल एनर्जी, साइंस एंड टैक्नोलॉजी प्रोमोशन सोसाइटी (क्रेस्ट) ने प्रोपोजल तैयार कर लिया था। जिस पर पहले बिजली विभाग ने ऑब्जैक्शन लगा दिए, जब सभी अड़चनें दूर कर ली गईं तो प्रोजैक्ट फाइल इंजीनियरिंग विभाग के पास पहुंच गई। 

जब डैडलाइन को महज 20 दिन बचे हैं तो प्रोजैक्ट की फाइल क्लीयर होकर क्रैस्ट के पास नहीं पहुंच पाई है, जिसकी वजह से घरों का काम रुका हुआ है। अधिकारियों का कहना है कि अगर इंजीनियरिंग डिपार्टमैंट ने थोड़ी तेजी दिखाई होती तो अभी तक अधिकांश घरों में सोलर प्लांट लग चुके होते।

7200 ने किया आवेदन, लगे केवल 1800 में :
मिनिस्ट्री ने चंडीगढ़ को 2022 तक 69 मैगावॉट सोलर एनर्जी जनरेट करने का टारगेट दिया है। अधिकारियों की मानें तो अभी तक चंडीगढ़ प्रशासन लगभग 35 मैगावॉट का टारगेट पूरा कर चुका है। शहर में 500 गज से अधिक एरिया वाले लगभग 7200 मकान हैं। 

ये सभी सोलर प्लांट लगाने के लिए आवेदन कर चुके हैं, लेकिन अभी तक केवल 1800 मकानों में ही प्लांट लग पाए हैं। बाकी सभी आवेदन इंजीनियरिंग डिपार्टमैंट की लेटलतीफी की वजह से फाइलों में ही बंद हैं।

तो खुद पैनल लगाएगा क्रैस्ट :
सूत्रों की मानें तो अगर कोई और अड़चन आती है तो क्रैस्ट पहली बार शहर के घरों में खुद सोलर प्लांट लगा सकता है। इसके लिए प्रशासन से सभी जरूरी परमिशन लेने की तैयारी भी चल रही है। पहले यह कांसेप्ट था कि क्रैस्ट द्वारा मकान मालिक का कंपनियों से टाईअप करवा दिया जाता था। 

जहां से भी आवेदन आते हैं उन्हें क्रैस्ट से इंपैनल्ड कंपनियों की लिस्ट सौंप दी जाती थी, जिसमें से एक कंपनी को चुनने के बाद मकान मालिक को सोलर प्लांट लगाने के लिए लाखों रुपए का इंतजाम करना पड़ता था। लेकिन अब क्रैस्ट शहर के लोगों पर बिना बोझ डाले सोलर पैनल लगाने की तैयारी में है।

बिजली का बिल आएगा आधा :
इस नए प्रोजैक्ट का पूरा फायदा मकान मालिक को मिलेगा। बिना खर्च के सोलर प्लांट लगने के बाद मकान मालिक को बिजली के बिल में भी रियायत मिलेगी। अधिकारियों का कहना है कि कंपनी द्वारा सोलर एनर्जी ग्रिड में भेजी जाएगी। जिसके बदले में मकान मालिक का महीने का बिजली का बिल आधा ही आएगा। ग्रिड में जाने के बाद बिजली विभाग बिल में ही यह राशि एडजस्ट करेगा।

ऐसे काम करेगा रेस्को मॉडल :
-रेस्को मॉडल को घर में लगाने पर मकान मालिक को किसी भी तरह का खर्चा नहीं करना होगा। 
-मकान मालिक से परमिशन मिलने के बाद कंपनी अपने खर्चे पर घर की छत में सोलर प्लांट लगाएगी। 
-सोलर पैनल्स की मैंटीनैंस की जिम्मेदारी भी कंपनी की ही होगी। 
-15 वर्ष तक कंपनी के पास रहने के बाद सोलर प्लांट मकान मालिक को सौंप दिया जाएगा।

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