Edited By pooja verma,Updated: 07 Jan, 2020 04:57 PM
भारतीय सेना के लेफ्टिनेंट जनरल प्रेम नाथ हूण का सोमवार शाम ब्रेन हैमरेज से 91 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया। उनका अंतिम संस्कार मंगलवार चंडीगढ़ रौनी हूण ने किया।
चंड़ीगर : भारतीय सेना के लेफ्टिनेंट जनरल प्रेम नाथ हूण का सोमवार शाम ब्रेन हैमरेज से 91 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया। उनका अंतिम संस्कार मंगलवार चंडीगढ़ रौनी हूण ने किया। उनकी रणनीति और वीरता का गवाह खुद सियाचिन है। चार दशकों तक भारतीय सेना की सेवा करने वाले हूण साल 1987 पश्चिमी कमान प्रमुख के रूप में सेवानिवृत्त हुए थे। साल 2013 में उन्होंने भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली थी। उस समय चर्चा थी कि वे लोकसभा चुनाव लड़ेंगे। भारतीय सेना की ओर से सियाचिन गलेशियर को कब्ज़ा करने के लिए शुरू किए गए 'ऑपरेशन मेघदूत' की अगुवाई जनरल हूण ने की थी।
उनके नेतृत्व में भारतीय सेना ने सियाचिन की हड्डियां गला देने वाली ठंड में पाक सेना को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था। यह ऑपरेशन अप्रैल, 1984 में लांच किया गया था। उस वक्त भारत को अपनी खुफिया एजेंसी रॉ से खबर मिली कि 17 अप्रैल, 1984 को पाकिस्तान सेना सियाचिन ग्लेशियर कब्जाने के लिए चढ़ाई करेगी। अगर पाकिस्तान इस चोटी को अपने कब्जा कर लेता तो भारतीय सेना के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती थीं। खबर मिलने के बाद भारतीय सेना हरकत में आ गई। पाकिस्तान को मुँहतोड़ जवाब देने के लिए मिशन बनाया गया, जिसे ऑपरेशन मेघदूत का नाम दिया गया।
उनकी सूझबूझ और दूरदर्शिता के चलते भारतीय सैनिकों ने समय रहते वहां पर कब्जा जमाकर भारतीय झंडा फहरा दिया और माइनस 50-60 डिग्री तापमान में सैनिक डटे रहे। यह दुनिया की सबसे ऊंची चोटी पर चलाया गया भारतीय सेना का साहसी ऑपरेशन था। इस ऑपरेशन की खास बात यह थी कि भारतीय सैनिकों के पास समय बहुत कम था, ज्यादा सैनिक भी नहीं थे। उपकरणों की बेहद कमी थी। भारतीय सेना के आगे पाकिस्तान को अपने मंसूबों से पीछे हटना पड़ा और इसी का नतीजा है कि आज भी इस चोटी पर भारत का कब्जा है। पीएन हूण ने 40 वर्षों तक देश की सेवा की।