हरियाणा की 413 बेटियों को परिवारों ने लिया गोद, 197 लड़कों को भी मिले पालनहार

Edited By Ajay Chandigarh,Updated: 23 May, 2022 10:29 PM

state child welfare council s plan will open day care centers in hospitals

कूड़े के ढेर, गंदे नाले के पास मैले कुचैले कपड़ों में लिपटे मिले, नवजातोंं को भले जन्म देने वाली मां की कोख नसीब न हो सकी पर इन्हें पालनहार मां ने सीने से लगा लिया है। कभी लड़की के पालन के खर्च से घबरा कर तो कभी बिन ब्याही मां ने समाज के डर से जिन...

चंडीगढ़, (अर्चना सेठी): कूड़े के ढेर, गंदे नाले के पास मैले कुचैले कपड़ों में लिपटे मिले, नवजातोंं को भले जन्म देने वाली मां की कोख नसीब न हो सकी पर इन्हें पालनहार मां ने सीने से लगा लिया है। कभी लड़की के पालन के खर्च से घबरा कर तो कभी बिन ब्याही मां ने समाज के डर से जिन जिगर के टुकड़ों को बेआसरा कर दिया था। उन 610 मासूमों को प्यार करने वाले पालनहारों का साथ मिल चुका है।  शिशु गृह और कारा के सहयोग से 197 लड़कों और 413 लड़कियों को देसी और विदेशी परिवारों ने अपना लिया है। हरियाणा राज्य बाल कल्याण परिषद के आंकड़े कहते हैं कि 80 के दशक से लेकर अब तक प्रदेश के 444 बच्चों को देश के ही परिवारों जबकि 166 बच्चों को विदेशी परिवारों ने गोद लिया है। बेऔलाद परिवार अपने घर के सूनेपन को दूर करने के लिए लड़कियों को गोद लेना पसंद करते हैं। हरियाणा के शिशु गृहों में पलने वाली 413 लड़कियों को गोद लिया गया जबकि गोद लेने वाले लड़कों की संख्या 197 थी। देश में ही 275 लड़कियां जबकि विदेश में 138 लड़कियों को एडॉप्ट किया गया। 

 


-लड़के भी फैंक जाते हैं लोग
हरियाणा राज्य बाल कल्याण परिषद की मानद महासचिव रंजीता मेहता का कहना है कि परिषद बेआसरा बच्चों को सीने से लगाती है। प्यार दुलार देकर उन्हें पालती पोसती है और उनकी पढ़ाई लिखाई का भी ध्यान रखती है। परिषद का प्रयास होता है कि शिशु गृह में रहने वाले बच्चों को संपन्न परिवार अपना लें ताकि उन बच्चों को परिवार का माहौल मिल सके। कारा (सेंट्रल एडॉपशन रिसोर्स अथोरिटी) की मदद से परिषद शिशु गृह के बच्चों को गोद देते हैं। 
किसी परिवार को बच्चा गोद देने की प्रक्रिया लंबी होती है। पहले तो जिस परिवार को बच्चा गोद लेना होता है उसे कारा की वैबसाइट पर आवेदन करना होता है, उसके बाद उस परिवार की कारा जांच पड़ताल करता है, देखता है परिवार की कितनी आय है, क्या आवेदन करने वाला परिवार बच्चे को जन्म नहीं दे सकता, क्या वह बच्चे का अच्छे से लालन पालन करेंगे? जब कारा परिवार की जांच से संतुष्ट हो जाता है तो शिशु गृह के बच्चे गोद देने की प्रक्रिया शुरु कर दी जाती है।

 


-परिषद पालता है, आयोग देता है बच्चों को सुरक्षा
रंजीता मेहता का कहना है कि प्रदेश के बच्चों का ध्यान रखने के लिए आयोग और परिषद दोनों काम करते हैं। परिषद बच्चों के लालन पालन, शिक्षा का ध्यान रखता है तो आयोग बच्चों की सुरक्षा की जिम्मेदारी निभाता है। परिषद शिशु गृहों में बच्चों की पढ़ाई के साथ-साथ उन्हें वोकेशनल पढ़ाई भी करवाता है। बहुत से बच्चे सिलाई-बुनाई, कम्प्यूटर कोर्स, फैशन डिजाइनिंग, ब्यूटी कोर्स भी सीखते हैं। प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाले बच्चों को लाइब्रेरी की सुविधा भी दी जाती है।

 


-मानसिक तौर पर कमजोर बच्चे नहीं दिए जाते गोद
परिषद द्बारा 46 मानसिक तौर पर विकलांग और 53 विशेष बच्चों को देखभाल देने के साथ साथ उनका इलाज भी करवाया जाता है। इन बच्चों को गोद नहीं दिया जाता। परिषद को साल भर का करोड़ों रुपए का बजट मिलता है परंतु स्टाफ और बच्चों की परवरिश पर उससे कहीं ज्यादा खर्च आ रहा है, ऐसे में परिषद को संबंधित जिले के डी.सी. से सहायता लेनी पड़ती है।

 


-हरियाणा के अस्पतालों में शुरु होंगे डे-केयर सैंटर
रंजीता मेहता का कहना है कि प्रदेश के सिविल अस्पतालों में डे-केयर सैंटर्स शुरु करने की योजना पर परिषद काम कर रहा है। अक्सर देखा जाता है कि जब मां या पिता बीमार होते हैं तो उन्हें अस्पताल में ईलाज के लिए जाने से पहले बच्चों को कभी आस-पड़ोस में छोडऩे के लिए मजबूर होना पड़ता है। कभी कभार अभिभावकों को अस्पतालों में ईलाज की प्रक्रिया पूरी करने में पूरा दिन लग जाता है। ऐसे बच्चों को अस्पताल में भी अच्छा माहौल मिल सके इसलिए अस्पतालों में डे-केयर सैंटर्स शुरु करने जरूरी है। यह प्रोजैक्ट कैसे चल सकता है और इसके लिए कितने स्टाफ की जरूरत होगी, इस योजना पर काम किया जा रहा है। जल्द ही इस बाबत हरियाणा सरकार को प्रस्ताव सौंपा जाएगा। ऐसे सैंटर्स देश के किसी भी राज्य में नहीं हैं, अगर प्रदेश के अस्पतालों में डे-केयर सैंटर्स शुरु होते हैं तो हरियाणा देश का पहला ऐसा राज्य होगा, जो मासूम बच्चों के लिए इतनी गहराई से सोचता होगा।

 


-निजी शिशु गृहों को भी करवाना होगा रजिस्टे्रशन
रंजीता मेहता का कहना है कि हरियाणा में बहुत सी संस्थाओं ने निजी तौर पर भी शिशु गृह या क्रैच शुरु कर रखे हैं। ऐसी जगहों पर बच्चों को सही परवरिश मिल रही है या नहीं, इसके लिए उनका निरीक्षण किया जाएगा। इससे पहले निजी शिशु गृहों को हरियाणा सरकार से रजिस्टर करवाने के निर्देश भी जारी किए जाएंगे ताकि बच्चों के रखरखाव पर नजर रखी जा सके। सरकार करनाल, अंबाला और गुरुग्राम में बड़े स्तर पर अत्याधुनिक शिशु गृहों का निर्माण करवा रही है।
 

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