सुखना लेक चंडीगढ़ की आत्मा, संरक्षण होता जा रहा कठिन, पड़ोसी करें मदद : बदनौर

Edited By ,Updated: 13 May, 2017 11:26 AM

sukhna lake

सुखना लेक को बचाने के लिए चंडीगढ़ के प्रशासक वी.पी. सिंह बदनौर ने अब पड़ौसी राज्यों से मदद मांगी है।

चंडीगढ़(विजय) : सुखना लेक को बचाने के लिए चंडीगढ़ के प्रशासक वी.पी. सिंह बदनौर ने अब पड़ौसी राज्यों से मदद मांगी है। बदनौर ने यह विषय शुक्रवार को को हुई 28वीं नॉर्दन जोनल काऊंसिल की मीटिंग के दौरान गृह मंत्री राजनाथ सिंह के सामने उठाया। मीटिंग में पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने भी भाग लिया। 

 

सुखना के घटते जल स्तर को चिंता का विषय बताते हुए बदनौर ने कहा कि यह लेक चंडीगढ़ की आत्मा है। लेकिन इसका संरक्षण अब कठिन होता जा रहा है। जिसके लिए अब पड़ौसी राज्यों की सहायता चाहिए। लेक का जल स्तर तेजी से कम होता जा रहा है इसलिए जल्द से इसका समाधान ढूंढना जरूरी है जिससे कि इस महत्वपूर्ण लैंड मार्क का अस्तित्व बचाया जा सके। 

 

राजस्थान, दिल्ली के एन.सी.टी., हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर से आए मिनिस्टर्स के सामने बदनौर ने कई और चिंताजनक पहलुओं को गृह मंत्री के सामने रखा। इस पर गृह मंत्री ने आश्वासन दिया कि काऊंसिल के सदस्य राज्यों को काऊंसिल सैक्रेटरिएट से पूरी मदद मिलेगी। मीटिंग के दौरान कुल 18 एजैंडा आइटम्स रखे गए थे। 

 

पी.यू. की फाइनैंशियल प्रॉब्लम सॉल्व करने के लिए गृह मंत्री को हस्तक्षेप करने की गुजारिश भी की :
बदनौर ने कहा कि चंडीगढ़ का लिट्रेसी रेट 100 प्रतिशत के नजदीक है। लेकिन पंजाब यूनिवर्सिटी में पिछले कुछ समय से फाइनैंशियल प्रॉब्लम और भी जटिल होती जा रही है। इसलिए इस मामले में भी गृह मंत्री को हस्तक्षेप करने की गुजारिश बदनौर ने की। इसके साथ ही बदनौर ने शहर के सबसे बड़े मैडीकल इंस्टीच्यूशन की परेशानी को भी गृह मंत्री के समक्ष रखा। 

 

बदनौर ने कहा कि पी.जी.आई. को हैल्थ सर्विसिज और मैडीकल केयर के लिए अपनी एक अलग पहचान बनाने के लिए जाना जाता है। पैशेंट्स की सुविधा के लिए यहां नए मेथड और स्ट्रेटर्जीस को डिवैल्पम किया जा रहा है, लेकिन पी.जी.आई. की सभी ओ.पी.डी. में बढ़ रहा प्रैशर चिंता का विषय है। जिसका जल्द ही कोई समाधान निकालना जरूरी है। 

 

पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ के बीच अंडरस्टैंडिंग और को-ऑर्डिनेशन होनी चाहिए :
प्रशासक ने कहा कि चंडीगढ़ मास्टर प्लान-2031 के साथ ही स्मार्ट सिटी प्रोपोजल को भी जल्द लागू करना होगा। सीमित लैंड बैंक होने की वजह से पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ के बीच अंडरस्टैंडिंग और को-ऑर्डिनेशन होनी चाहिए। जिसके लिए अपनी जिम्मेदारियों को समझते हुए तीनों स्टेक होल्डर्स को स्पिलओवर इंफ्रास्ट्रक्चर को लोकेट करना होगा। 

 

बदनौर ने यह भी कहा कि स्पेशलाइज्ड इंवेस्टिगेशन यूनिट्स और इंटैलिजेंस ब्रांच होने से क्राइम का रेट गिर तो रहा है लेकिन इससे आत्म संतुष्ट नहीं होना चाहिए। शहर में लॉ एंड ऑर्डर को बनाए रखने के लिए पड़ौसी राज्यों से मदद मिलनी जरूरी है। 

 

डिवैल्पमैंट रिक्वायरमैंट का बढ़ रहा प्रैशर :
बदनौर ने कहा कि चंडीगढ़ तीन सरकारों की सीट है, जो उत्तरदायी प्रशासन और ई-गवर्नैंस के नए युग में प्रवेश कर रहा है। जनसंख्या बढऩे के साथ ही शहर डिवैल्पमैंट रिक्वायरमैंट्स के बढ़ते प्रैशर को झेल रहा है। जरूरतों को पूरा करने के लिए ट्रांसपोर्ट नेटवर्क और फिजीकल एंड सोशल इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाना अहम विषय हैं। 

 

बढ़ते ट्रैफिक से निपटने के लिए चंडीगढ़ के आसपास रिंग रोड/बाईपास की जरूरत है, क्योंकि चंडीगढ़ में जमीन की किल्लत है और ट्रैफिक से निपटने के लिए कोई बेहतर विकल्प होने चाहिए इसके लिए इंटर स्टेट लैवल पर यह मामला सॉल्व किया जाना चाहिए। इससे इंटरनैशनल लैवल तक भी बेहतर कनैक्टिविटी हो सकेगी। 
 

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