करीब डेढ़ वर्ष से टीचर की कमी झेल रहा है यह स्कूल, बच्चों के भविष्य के साथ हो रहा खिलवाड़

Edited By Priyanka rana,Updated: 25 Apr, 2019 10:26 AM

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बच्चों के भविष्य को संवारने के लिए अभिभावक उन्हें स्कूल भेजते हैं। स्कूल जाकर ही वह अपने नैतिक सिद्धांत से लेकर हर किसी चीज के बारे में जानकारी हासिल करते हैं।

चंडीगढ़(वैभव) : बच्चों के भविष्य को संवारने के लिए अभिभावक उन्हें स्कूल भेजते हैं। स्कूल जाकर ही वह अपने नैतिक सिद्धांत से लेकर हर किसी चीज के बारे में जानकारी हासिल करते हैं। अगर स्कूल में ही बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ होने लगे तो फिर बच्चों का उज्जवल भविष्य कैसे बनेगा। 

ऐसा ही कुछ चंडीगढ़ के एक स्कूल के साथ हो रहा है जहां 10वीं क्लास की समाजशास्त्र की टीचर नहीं है। ऐसा नहीं है कि स्कूल प्रशासन इस बात से अनजान है मगर वह सब कुछ जानते हुए भी कोई कदम नहीं उठा रहा है। स्कूल प्रशासन के इस फैसले से केवल बच्चों का नुकसान हो रहा है। किसी स्कूल में टीचर की कमी होना यह अपने आप में एक बड़ी बात है। 

बावजूद इस कमी को दूर ना करने की बात समझ से परे है। जानकारी के अनुसार जी.एम.एस.एस.एस.-27 में टीचर की कमी कोई नई नहीं है, इस स्कूल में करीब डेढ़ वर्ष से कोई भी समाजशास्त्र विषय का टीचर नहीं है। इन डेढ़ वर्षों में स्कूल के ही टीचर समाजशस्त्र का विषय बच्चों को पढ़ा रहे हैं। 

बच्चों के भविष्य के साथ हो रहा खिलवाड़ :
स्कूल प्रशासन टीचर की कमी से अच्छी तरह वाकिफ होने के बाद भी समाजशास्त्र टीचर की भर्ती नहीं कर रहा है और न ही उन्होंने इस बात की जानकारी शिक्षा विभाग को दी है। स्कूल प्रशासन के इस रवैए को देखते हुए नहीं लगता कि वह स्कूल में पढऩे आने वाले बच्चों के भविष्य के प्रति गंभीर है। 

समाज शास्त्र विषय के टीचर के बिना ही स्टूडैंट्स पढ़ाई कर रहे हैं, जो उनके भविष्य के लिए ठीक नहीं है। अक्सर देखा जाता है कि समाजशास्त्र की परीक्षा के बाद छात्रों का इस विषय के प्रति नजरिया हमेशा ही दूसरों के मुकाबले अलग होता है। समाजशास्त्र विषय सबसे कठिन विषयों में से एक है। उसके बावजूद भी स्कूल प्रशासन कोई कदम नहीं उठा रहा है।

इस बार बोर्ड की परीक्षा में दिखा इसका असर :
सी.बी.एस.ई. द्वारा आयोजित बोर्ड परीक्षा में 10वीं क्लास की परीक्षा के दौरान इस स्कूल के छात्रों के मुंह उतरे हुए थे। जब बच्चों से पेपर के बारे में पूछा गया था तो उनका कहना था कि स्कूल में समाजशास्त्र की टीचर नहीं है जिसकी वजह से कई प्रश्न ऐसे थे, जो वह हल नहीं कर पाए। वहीं जब इस विषय में स्कूल प्रशासन का पक्ष जानने के लिए स्कूल प्रिंसिपल सुनीता को कॉल की गई तो उन्होंने कॉल पिक नहीं की।

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