16 साल बाद बाजारों में फिर साप्ताहिक बंदी का ‘आतंक'

Edited By pooja verma,Updated: 01 Jun, 2020 12:12 PM

terror  after weekly ban in markets after 16 years

शहर के बाजारों में प्रशासन ने 16 साल बाद साप्ताहिक बंदी का आतंक फिर खड़ा कर दिया है।इससे दुकानदारों में अफरातफरी मच गई है।

चंडीगढ़ (नीरज अधिकारी ): शहर के बाजारों में प्रशासन ने 16 साल बाद साप्ताहिक बंदी का आतंक फिर खड़ा कर दिया है।इससे दुकानदारों में अफरातफरी मच गई है। चालान की चेतावनी से व्यापारी सहमे हुए हैं। खास बात यह है कि प्रशासन सोलह साल पहले के अपने नोटीफिकेशन को ही भूल गया है। ऐसे में डरे हुए व्यापारियों को पिछले रविवार को सैक्टर-35 मार्किट बंद करना पड़ा तो इस रविवार को सेक्टर- 17 और सैक्टर-22 के बाजार में हड़कंप मचा दिया गया।

 

व्यापारी नेताओं ने उच्चाधिकारियों के फोन खड़का दिए तो कारोबारियों को कुछ राहत मिली लेकिन कोरोना काल की मंदी से जूझ रहे व्यापारियों ने अब स्पष्ट कर दिया है कि प्रशासन ने अपने ही नियम-कायदों के उलट बाजारों पर जबरन साप्ताहिक बंदी थोपने का प्रयास जारी रखा तो वह अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे।

 

वर्ष 2004 में खत्म कर दी थी साप्ताहिक बंदी
पंजाब शॉप्स एंड कॉमर्शियल स्टैबलिशमैंट्स एट-1958 के तहत चंडीगढ़ के बाजारों में वर्ष 2004 से पहले साप्ताहिक बंदी लागू थी और इसके लिए रविवार निर्धारित था। साप्ताहिक बंदी को लेकर प्रशासन के चालान का इतना आतंक था कि संडे को पूरा शहर सन्नाटे में डूब जाता था। जो भी व्यापारी अपना प्रतिष्ठान खोलता था, उसे चालान भुगतना ही पड़ता था लेकिन सरकारी कर्मचारियों की बड़ी आबादी वाला शहर कहे जाने वाले चंडीगढ़ में वर्ष 2000 में खुद प्रशासन को संडे का सन्नाटा अखरने लगा।

 

शहर के तत्कालीन उपायुत एम. रामशेखर का मानना था कि सरकारी अधिकारी व कर्मचारियों को वीकेंड की छुट्टी में बाजार बंद रहने से परेशानी होती है। इसके अलावा वीकेंड में चंडीगढ़ आने वाले पर्यटक भी बाजार बंद होने से निराश लौटते हैं। इसका चंडीगढ़ के टूरिज्म प्रोमोशन पर गलत असर पड़ रहा है।

 

तत्कालीन डी.सी. एम. रामशेखर ने व्यापारियों में संडे को दुकानें खोलने के लिए सहमति बनानी शुरू की लेकिन कुछ मुद्दों पर असहमतियों के चलते एम. रामशेखर की कोशिशें उनके कार्यकाल में सिरे नहीं चढ़ पाईं तो उनके बाद चंडीगढ़ के डी.सी. बने अरुण कुमार ने शहर में संडे के सन्नाटे को तोडऩे के प्रयासों को आगे बढ़ाने में पूरी ताकत लगा दी और अंतत: 2004 में प्रशासन ने पंजाब शॉप्स एंड कॉमर्शियल स्टैबलिशमैंट्स एट-1958 के तहत नया नोटिफिकेशन जारी कर बाजारों की साप्ताहिक बंदी खत्म कर दी। 

 

सातों दिन दुकानें खोलने की परमीशन देते हुए दुकान बंद रखने या खोलने का फैसला दुकानदारों पर ही छोड़ दिया। साथ ही कर्मचारियों के लिए तय नियमों का पालन करने के आदेश जारी कर दिए गए। तब से शहर के सभी बाजार सप्ताह के सातों दिन खुल रहे हैं। साप्ताहिक बंदी के चालान भी बंद हो गए।


 

लॉकडाऊन-3 में फिर बाहर निकला जिन्न
कोरोना काल में लॉकडाऊन-3 शुरू होने के साथ जब ऑड-ईवन फार्मूले पर सेक्टर-22 मार्केट खुला तो शनिवार को पुलिस कर्मियों ने रविवार को दुकानें बंद रखने की चेतावनी दुकानदारों को देनी शुरू कर दी। इसको लेकर जब बाजारों में विरोध शुरू हुआ तो प्रशासक के सलाहकार मनोज परिदा ने ट्वीट करके कहा कि जिन मार्कीट्स का वीकली ऑफ संडे है, वह संडे को बंद रहेंगी और जिनका मंडे को है, वह मंडे को बंद रहेंगी। 

 

इससे नए कन्फ्यूज़न के साथ साप्ताहिक बंदी का जिन्न 16 साल बाद दोबारा निकल आया। लॉकडाऊन-4 में प्रशासन साप्ताहिक बंदी पर ज्यादा सख्त हो गया और सेक्टर-35 की मार्कीट पिछले संडे को बंद करवा दी गई। यहां के कारोबारी पुरुषोाम सिंह का कहना है कि र्कीट बंद कराने आए सरकारी लोगों को खूब मिन्नतें कीं लेकिन हमारी सुनता कौन है। दुकानें बंद करनी पड़ीं। इस संडे को कुछ लोगों ने डरते-डरते दुकानें खोलीं।

 

मॉल्स के दबाव में है प्रशासन!
व्यापारियों का आरोप है कि प्रशासन मॉल्स के दबाव में दिख रहा है। योंकि अब 8 जून से मॉल भी खुलने वाले हैं तो वीकेंड में शहर के मार्कीट्स बंद करके यहां की भीड़ को मॉल्स की तरफ डायवर्ट करने की कोशिश की जा रही है। उनका कहना है कि कोरोना के कारण शहर के दुकानदारों का काम पहले ही ठप्प पड़ा था। अब खुलने लगा है तो वीकेंड की रौनक सिर्फ मॉल्स में समेटने की तैयारी है। योंकि लोग वैसे तो इतनी जल्दी मॉल्स का रुख करेंगे नहीं। गौरतलब है कि सेक्टर -17 और सेक्टर -22 के दुकानदार पहले भी मॉल्स को लाभ पहुंचाने की खातिर इन बाजारों को प्रोमोट न किए जाने का आरोप प्रशासन पर लगाते रहे हैं।


 

धकेशाही हुई तो अदालत जाएंगे: कटारिया
सैटर-17 ट्रेडर्स एसोसिएशन ने भी इस मामले में कड़ा रुख दिखाया है। एसोसिएशन के प्रधान सुभाष कटारिया ने संडे को बाजार बंद कराने की हुई कोशिश पर तुरंत असिस्टैंट लेबर कमिश्नर वरुण बेनीवाल और नगर निगम आयुत के.के. यादव को फोन करके आपाि जताई। उन्होंने इन अधिकारियों को 7 डे मार्कीट्स ओपन की नोटिफिकेशन की कॉपी भी उपलब्ध  कराई। 

 

कटारिया का कहना है कि हैरानी की बात है कि यह नोटिफिकेशन खुद चंडीगढ़ प्रशासन की वेबसाइट पर उपलब्ध होने के बावजूद लेबर डिपार्टमैंट को इसकी जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा कि अधिकारियों से बातचीत के बाद फिलहाल तो राहत मिल गई है लेकिन यदि चेतावनी के मुताबिक किसी दुकानदार का संडे को चालान किया गया तो सेक्टर-17 ट्रेडर्स एसोसिएशन अदालत का दरवाजा खटखटाएगी और संबंधित व्यापारी के मुकद्दमे का पूरा खर्चा एसोसिएशन उठाएगी।

 

सेक्टर -22 मार्कीट भी करवाई बंद, बाद में खुली
बाजारों में खुद को लेबर इंस्पैटर बताते घूम रहे कुछ लोग संडे को सेक्टर-22 मार्कीट में भी पहुंच गए और चालान करने की चेतावनी देते हुए दुकानें बंद करने को कहा। इससे मार्कीट के दुकानदारों में हड़कंप मच गया। एक के बाद एक दुकानों के शटर गिरा दिए गए। हालांकि खुद को लेबर इंस्पैटर बता रहे लोगों के जाने के बाद दुकानें खोल ली गईं लेकिन यहां के व्यापारियों का कहना है कि अब यह हर संडे की कहानी हो गई है। 

 

कभी पुलिस वाले तो कभी लेबर डिपार्टमैंट के लोग शनिवार को आकर चेतावनी दे जाते हैं कि संडे को दुकानें मत खोलना। संडे को दुकान खोलते हैं तो चालान की धमकी दी जाती है। दुकानदारों का कहना है कि अब यदि साप्ताहिक बंदी जबरन थोपने का प्रयास किया गया तो इसका कड़ा विरोध किया जाएगा।


 

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