चंडीगढ़ की हवा में जहर घोल रहे व्हीकल्स और सूखे पत्ते

Edited By pooja verma,Updated: 15 Apr, 2019 03:38 PM

the air of chandigarh s poisonous vibrations and dried leaves

114 स्क्वेयर किलोमीटर के चंडीगढ़ के लिए अब व्हीकल्स और यहां की ग्रीनरी एयर पॉल्यूशन को वेरी पुअर कैटेगरी तक लाने में मददगार साबित हो रहे हैं। यह खुलासा चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा सैंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (सी.पी.सी.बी.) के पास सब्मिट करवाए गए...

चंडीगढ़ (विजय) : 114 स्क्वेयर किलोमीटर के चंडीगढ़ के लिए अब व्हीकल्स और यहां की ग्रीनरी एयर पॉल्यूशन को वेरी पुअर कैटेगरी तक लाने में मददगार साबित हो रहे हैं। यह खुलासा चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा सैंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (सी.पी.सी.बी.) के पास सब्मिट करवाए गए ‘एक्शन प्लान फॉर कंट्रोल ऑफ एयर पॉल्यूशन’ में किया गया है। 

 

इस प्लान में बताया गया है कि किस तरह शहर की आबो हवा साल दर साल खराब हो रही है और इससे बचने के लिए चंडीगढ़ प्रशासन आने वाले समय में एहतियातन क्या कदम उठाने जा रहा है। चंडीगढ़ के कुल 40.5 प्रतिशत हिस्से में केवल फॉरेस्ट एरिया है। शहर की कुल जनसंख्या लगभग 12 लाख है। जबकि यहां वाहनों की सख्या लगभग 11 लाख दर्ज की गई है। 

 

लगातार बढ़ रही जनसंख्या और व्हीकल्स की संख्या की वजह से एयर पॉल्यूशन लैवल भी तेजी से बढ़ रहा है। प्लान में बताया गया है कि व्हीकल्स, इंडस्ट्रीज, डोमेस्टिक और अन्य प्राकृतिक एयर पॉल्यूटेंट्स के मुख्य सोर्स हैं। चंडीगढ़ के पास सीमित जमीन है। इस वजह से शहर के भीतर सड़कें अब और लंबी नहीं हो सकती। 

 

एयर क्वालिटी संकटजनक
स्टडी का हवाला देते हुए बताया गया कि व्हीकल्स की वजह से चंडीगढ़ में एयर क्वालिटी की स्थिति संकटजनक बनी हुई है। व्हीकल्स की संख्या पर कैपिटा दो से अधिक है। यही नहीं, चंडीगढ़ में व्हीकल्स का घनत्व भी पूरे देश में सबसे अधिक है। जिसकी वजह से एयर पॉल्यूशन का ग्राफPunjabKesari तेजी से बढ़ रहा है। जिस पर कंट्रोल करना इस समय सबसे जरूरी है।

 

एयर पॉल्यूशन वजह
व्हीकल्स, रोडसाइड डस्ट, सूखे पत्तों का जलना, पेड़ों और पार्कों से निकलने वाला कूड़ा, चंडीगढ़ से सटे एरिया में चलने वाले जनरेटर सेट, कंस्ट्रक्शन और डेमोलिशन एक्टिविटी, पड़ौसी राज्यों में जलने वाली पराली।

 

व्हीकल्स
-चंडीगढ़ में वायु प्रदूषण की मुख्य वजह व्हीकल्स की बढ़ती संख्या है।
-पिछले 10 वर्षों में व्हीकल्स की संख्या 60 प्रतिशत तक अधिक हुई है, जबकि सड़कों की लंबाई में कोई बदलाव नहीं आया।
-पिछले 10 वर्षों में लाइट मोटर व्हीकल्स खासतौर पर कारों की संख्या 100 प्रतिशत तक बढ़ी है। वहीं, दूसरी ओर टू व्हीलर्स की संख्या में भी 48 प्रतिशत तक इजाफा हुआ है, जिसकी वजह से सड़कों में ट्रैफिक कंजेशन बढ़ा है और नतीजा यह हुआ कि एयर पॉल्यूशन में लगातार वृद्धि हो रही है।
-पूरे देश में चंडीगढ़ ऐसा शहर है जहां पर कैपिटा कारों की संख्या सबसे अधिक है।

 

इंडस्ट्रीयलाइजेशन
-चंडीगढ़ में एयर पॉल्यूशन करने वाली यूनिट्स की संख्या काफी कम है।
-शहर में केवल दो बायो-मैडीकल वेस्ट इंसिनेटर्स ही मौजूद हैं।
-स्माल स्केल की यहां 32 फाऊंड्रीज मौजूद हैं।
-पंजाब की तरफ चंडीगढ़ के बॉर्डर पर कुछ ईंट के भट्टे मौजूद हैं।
-चंडीगढ़ के नजदीक होने से पंजाब और मोहाली के इंडस्ट्रीयल एरिया का भी असर पड़ता है।

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फ्यूल क्वालिटी पर फोकस
स्टेट लेवल कॉर्डिनेटर (ऑयल इंडस्ट्री), यू.टी. की ओर से तेल में मिलावट की जांच के लिए चंडीगढ़ के रिटेल आऊटलेट्स की सरप्राइज इंस्पैक्शन किए जाएंगे। इसके साथ ही फ्यूल की क्वालिटी भी चैक होगी। जिसके लिए ऑफिसर्स की टीम मौके पर जाएगी, इसके अतिरिक्त मोबाइल लैब की भी मदद ली जा रही है।

 

नॉन मोटराइज्ड व्हीकल्स के लिए बेहतर होगा इंफ्रास्ट्रक्चर
चंडीगढ़ मास्टर प्लान-2031 के तहत डिपार्टमैंट ऑफ अर्बन प्लानिंग ने नॉन मोटराइज्ड व्हीकल्स के इंफ्रास्ट्रक्चर पर जोर दिया है। विकास मार्ग सहित अन्य रूट्स पर साइकिलिस्ट और पेडेस्ट्रीयन की क्रॉसिंग के लिए इंपू्रवमैंट का सुझाव दिया है। मुख्य सड़कों के साथ साइकिल ट्रैक और फुटपाथ बनाने का काम भी तेजी से चलाने की सिफारिश की गई है।

 

एक साल में काटे पी.यू.सी. के 392 चालान
स्टेट ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी (एस.टी.ए.) द्वारा चंडीगढ़ पुलिस की मदद से समय-समय पर पब्लिक अवेयरनैस कैंप लगाए जा रहे हैं। चंडीगढ़ ट्रैफिक पुलिस की ओर से पॉल्यूशन फैलाने वाले व्हीकल्स के खिलाफ सख्त कार्रवाई किए जाने का दावा किया जा रहा है। 

 

पिछले साल नवम्बर तक ट्रैफिक पुलिस द्वारा पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल (पी.यू.सी.) सर्टिफिकेट के बिना चल रहे 392 वाहनों के चालान काटे। इसके अतिरिक्त ऐसी ही वॉयलेशन करवाने वालों पर शिकंजा कसने के लिए 4009 नोटिस भी जारी किए गए।

 

 

ध्वनि प्रदूषण के लिए भी चलाई मुहिम
एयर पॉल्यूशन के साथ-साथ ध्वनि प्रदूषण के लिए भी इस प्लान के तहत काम किया जा रहा है, जिसके लिए ‘मेक चंडीगढ़ होंक फ्री’ कैंपेन चलाकर शहर को वायु के साथ-साथ ध्वनि प्रदूषण से भी बचाने की कवायद चल रही है। चंडीगढ़ पुलिस ने दावा किया है कि नो पार्किंग एरिया में पार्क हुए वाहनों के खिलाफ अभियान चलाते हुए नव बर 2018 तक 33781 व्हीकल्स के चालान काटे गए।

 

180 किलोमीटर के बनेंगे साइकिल ट्रैक
इंजीनियरिंग विभाग द्वारा जंक्शन नंबर-63 से लेकर यू.टी. की बाऊंड्री तक की मौजूदा सड़क को जल्द ही और चौड़ा किया जाएगा। ट्रैफिक लो से नॉन मोटराइज्ड व्हीकल्स को दूर रखने के लिए शहर में 180 किलोमीटर के साइकिल ट्रैक बनाए जाने हैं। 

 

जिनमें से 136 किलोमीटर की सड़क को कवर किया जा चुका है। इंजीनियरिंग और अर्बन प्लानिंग डिपार्टमैंट द्वारा पूर्व मार्ग और विकास मार्ग जैसी आउटर रोड्स में बाए पास पर काम किया जा रहा है। जिसके लिए आगामी रोड से टी काऊंसिल की मीटिंग में इसको लेकर एजैंडा लाया जाएगा।

 

पी.आर.-4 और पी.आर.-5 रोड्स बनेंगी
वी.-2 रोड्स के साथ ही एंबुलैंस की अलग से लेन बनाई जाएगी। इंजीनियरिंग विभाग द्वारा दक्षिण मार्ग और विकास को कनेक्ट करने वाली पी.आर.-4 और पी.आर.-5 रोड्स बनाई जाएगी। ये रोड्स पंजाब की बाऊंड्री में मुल्लांपुर की तरफ बनेगी। जिसके लिए इंजीनियरिंग विभाग की ओर से भूमि अधिग्रहण का काम चल रहा है। भूमि अधिग्रहण के बाद ही रोड्स बनाने का काम शुरू होगा।

 

बैटरी ऑपरेटिड व्हीकल्स होंगे प्रोमोट
एयर पॉल्यूशन को कम करने के लिए बैटरी ऑपरेटिड व्हीकल्स को प्रोमोट किया जा रहा है। चंडीगढ़ प्रशासन की ओर से ऐसे व्हीकल्स को वैल्यू एडिड टैक्स से राहत दी गई है। इसके अतिरिक्त रोड टैक्स भी इन व्हीकल्स से वसूल नहीं किया जा रहा है। प्रशासन की ओर से पहले ही ई-रिक्शा पॉलिसी को नोटिफाई कर दिया गया है।

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कंस्ट्रक्शन और डेमोलीशन प्लांट बनेगा
इंडस्ट्रीयल एरिया फेज-1 में कंस्ट्रक्शन और डेमोलीशन वेस्ट प्लांट की कंस्ट्रक्शन की जाएगी। इसके अतिरिक्त यहीं पर बल्क डिसपोजल साइट भी चिन्हित की गई है। प्लांट की कंस्ट्रक्शन का काम चल रहा है, जिसे जल्द ही कंप्लीट कर लिया जाएगा। इस प्लांट में प्रोसेसिंग, स्प्रिंकलिंग, स्क्रीनिंग और रीसाइकिलिंग की सुविधा दी जाएगी। गौरतलब है कि शहर में तेजी से हो रहे कंस्ट्रक्शन वर्क की वजह से भी वायु प्रदूषण हो रहा है।


 

1800 पार्क मैंटेन कर रहा निगम
यू.टी. और नगर निगम के हॉर्टिकल्चर डिपार्टमेंट की ओर से ओपन एरिया गार्डन/स्कूलों को मैंटेन किया जा रहा है। नगर निगम पर 1800 छोटे और बड़े गार्डन/ग्रीन बैल्ट और नेबरहुड पाक्र्स को मैंटेन करने की जि मेदारी है। निगम के अंतर्गत आने वाले क यूनिटी सेंटर्स और प्राइमरी स्कूल्स के लॉन एरिया में भी हरी घांस लगाई गई है। बाकी के बचे हुए एरिया को तीन वर्षों के भीतर डेवलप किया जाएगा।

 

जल्द मिलेगा रियल टाइम डाटा
शहर में छह लोकेशंस में डिस्प्ले बोड्र्स लगाए जा चुके हैं। जहां पर एयर क्वालिटी इंडैक्स की जानकारी दी जाती है। सी.पी.सी.सी. जल्द ही रियल टाईम मॉनिटरिंग इंस्ट्रूमैंट भी खरीदने जा रहा है। जिसका डाटा रियल टाइम के आधार पर पब्लिश किया जा सकेगा। 

 

स्टेट लैवल कॉर्डिनेटर (ऑयल इंडस्ट्री) की ओर से जानकारी दी गई है कि सैक्टर-48, 49, 50, 51 में पी.एन.जी. सप्लाई नेटवर्क शुरू किया गया है। 12000 ड्वेलिंग यूनिट्स में से 1350 ने पी.एन.जी. के लिए रजिस्टर्ड कर लिया है। इसके साथ ही धनास में भी एक अन्य डी.आर.एस. इंस्टॉल किया गया है।
 
 

सॉलिड वेस्ट के लिए स्पैशल टास्क फोर्स
नगर निगम द्वारा सॉलिड वेस्ट को जलने से रोकने के लिए स्पैशल टास्क फोर्स गठित की जाएगी। यह सब मौजूदा इंफ्रास्ट्रक्चर से ही मैनेज किया जाएगा। इसके साथ ही विशेष आई.ई.सी. एक्टिविटीज और स्पैशल ड्राइव भी शुरू की जाएगी। 

 

रोड ब र्स से नगर निगम द्वारा हॉर्टिकल्चर वेस्ट एकत्रित किया जाएगा, जिसे बाद में हॉर्टिकल्चर डिवीजन को खाद बनाने के लिए सौंप दिया जाएगा। पतझड़ के दौरान जरूरत के अनुसार अतिरिक्त वाहनों को भी किराए पर लिया जाएगा।

 

तीन एकड़ में बनेगा एम.आर.एफ.
नगर निगम तीन एकड़ में मैटीरियल रिकवरी फैसेलिटी (एम.आर.एफ.) बनाने की तैयारी कर रहा है। जिसमें से एक एकड़ के एरिया में बिल्डिंग बनेगी, जबकि दो एकड़ में वाहनों की आवाजाही के लिए सी.सी. लोरिंग तैयार की जाएगी। 

 

नगर निगम शहर में पांच जगहों पर ट्रांसफर स्टेशन बनाने जा रहा है। हरेक ट्रांसफर स्टेशन में सॉलिड वेस्ट एकत्रित किया जाएगा, जिसे बाद में कंपेक्टर्स की मदद से डंपिंग ग्राऊंड में भेजा जाएगा।

 

बेहतर होगा सड़कों का डिजाइन
जरूरत के अनुसार सड़कों में स्लिप रोड्स, ए.टी.सी. सिग्नल्स, रोड साइनेज, रोड मार्किंग और रोड फर्नीचर लगाकर सड़कों के डिजाइन को और बेहतर बनाया जाएगा। नगर निगम के अंतर्गत आने वाली सभी सड़कों को बिटुमिनस मैटीरियल से कार्पेट किया जाएगा। सैक्टर-31 की रोड्स के साथ ही नगर निगम की ओर से वाटर स्प्रिंकलिंग सिस्टम इंस्टॉल किया गया है।

 

आई.ई.एस.एक्टिविटी होंगी शुरू
नगर निगम की ओर से ऑफिस आर्डर के जरिए यह सूचना दी जा चुकी है कि ओपन एरिया में कहीं पर भी कूड़ा या सूखे पत्ते नहीं जलाए जाएंगे। सफाई कर्मचारी/रेजिडेंट्स को एजुकेट करने के लिए सैनिटेरी इंस्पैक्टर्स को निर्देश दिए गए हैं कि वे आई.ई.एस. एक्टिविटीज शुरू करे, जिससे लोगों को इन्हें जलाने के दुष्परिणामों और एयर प्रिवेंशन एक्ट के तहत पैनल्टी के बारे में जानकारी दी जा सके।
 

क्लीन फ्यूल की तरफ शिफ्ट होंगी इंडस्ट्री
चंडीगढ़ पॉल्यूशन कंट्रोल कमेटी (सी.पी.सी.सी.) नियमों का पालन न करने वाली यूनिट्स के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगी। इंडस्ट्रीज को निर्देश दिए गए हैं कि उत्सर्जन के स्तर को कम करने के लिए अधिक क्लीन फ्यूल की तरफ शिफ्ट होने के लिए कहा गया है।

 

इंडस्ट्रीयलाइजेशन
-चंडीगढ़ में एयर पॉल्यूशन करने वाली यूनिट्स की संख्या काफी कम है।
- शहर में केवल दो बायो-मैडीकल वेस्ट इंसिनेटर्स ही मौजूद हैं।
-स्माल स्केल की यहां 32 फाऊंड्रीज मौजूद हैं।
-पंजाब की तरफ चंडीगढ़ के बॉर्डर पर कुछ ईंट के भट्टे मौजूद हैं।
-चंडीगढ़ के नजदीक होने से पंजाब और मोहाली के इंडस्ट्रीयल एरिया का भी असर पड़ता है।

 

हॉर्टीकल्चर वेस्ट
-एयर पॉल्यूशन बढ़ाने में पराग (पोलंस) मददगार साबित हो रहे हैं।
-गिरे हुए पत्ते जिनकी ओर किसी का ध्यान नहीं जाता। सूखने के बाद सड़कों में गिरे रहते हैं। व्हीकल्स के टायरों के नीचे दबने से ये पत्ते छोटे कणों में तबदील हो जाते हैं। इसके अतिरिक्त लोगों के पैरों के नीचे आने से भी ये पत्ते कणों में बदलकर हवा में घुल रहे हैं।

 

बायोमास बर्निंग
-उत्तरी भारत में फसलों के  जलने से धुंआ हवा में घुल रहा है। जिसकी वजह से आर.एस.पी.एम. की संख्या बढ़ रही है। जो कि स्वास्थ्य के लिए काफी हानिकारक है।
-पंजाब और हरियाणा में मुख्यत: फसलों के दो सीजन होते हैं। फसल कटने के बाद अधिकतर किसान खेत को साफ करने के लिए बचे हुए कूड़े में आग लगा देते हैं।
-चंडीगढ़ में भी कुछ स्वीपर्स पतझड़ सीजन में पत्तों को आग के हवाले कर देते हैं।

 

मौजूदा मशीनों से मिली जानकारी
-एस.ओ.2 की मात्रा काफी कम होने से चिंता का विषय नहीं है।
-एन.ओ.एक्स. निर्धारित सीमा से कम है ट्रेंडलाइन बता रही है कि अब यह मात्रा बढ़ रही है।
-पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज और इंडस्ट्रीयल एरिया की मशीनें बता रही हैं कि पिछले 10 वर्षों में इस एरिया में आर.एस.पी.एम. की मात्रा कम हो रही है।
-कैंबवाला, सैक्टर-17 और इमटेक की मशीनें उस एरिया में आर.एस.पी.एम. की मात्रा में इजाफा दिखा रही हैं।
-मॉनसून सीजन में भी अब आर.एस.पी.एम. की मात्रा स्टैंडर्ड से अधिक आ रही है।
-सबसे अधिक एयर पॉल्यूशन नवम्बर, दिसम्बर और जनवरी के महीने में होता है।

 

रोड डस्ट कम करने के लिए पौधों का सहारा
सड़कों में रोड डस्ट भी एयर पॉल्यूशन का एक मुख्य कारण बताया गया है। जिससे निपटने के लिए सड़कों के किनारों पर नगर निगम की जमीन पर हर साल पौधारोपण किया जाता है। 2018-19 में ऐसे खाली स्पेस में 5508 पौधे लगाने का टारगेट फिक्स किया गया था। इनमें से 5100 पौधे लगाए जा चुके हैं। 

 

इंजीनियरिंग विभाग की ओर से वी.-1, वी.-2 और वी.-3 रोड्स और नेशनल हाईवे की सड़कों को निरंतर अंतराल में मैंटेन किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त नगर निगम द्वारा समय-समय पर सड़कां की रूटीन मैंटेनेंस भी की जाएगी।


 

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