Edited By pooja verma,Updated: 03 Dec, 2019 10:49 AM
सुखना कैचमैंट एरिया में हुए निर्माण कार्यों को लेकर चल रहे मामले की सुनवाई के दौरान सोमवार को कांसल में कैचमैंट एरिया में निर्माण कर चुके लोगों के पक्ष में बहस करने पहुंचे ।
चंडीगढ़ (रमेश): सुखना कैचमैंट एरिया में हुए निर्माण कार्यों को लेकर चल रहे मामले की सुनवाई के दौरान सोमवार को कांसल में कैचमैंट एरिया में निर्माण कर चुके लोगों के पक्ष में बहस करने पहुंचे एडवोकेट संजय कौशल ने एक जजमैंट का हवाला देते हुए कहा कि जजमैंट में साफ है कि कैचमैंट एरिया को छोड़ फोरैस्ट और वाइल्ड लाइफ एरिया में निर्माण हो सकता है, लेकिन कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट की जजमैंट का हवाला देते हुए कहा कि जजमैंट में बिलकुल साफ है कि कैचमैंट एरिया जिसमें फारैस्ट या वाइल्ड लाइफ एरिया आता है, वहां भी किसी किस्म का निर्माण नहीं होगा।
कौंसिल ने कोर्ट के जवाब के बाद कहा कि ऐसे तो हाईकोर्ट भी कैचमैंट एरिया में आता है। कौंसिल की बात सुनते ही चीफ जस्टिस रवि शंकर झा व जस्टिस राजीव शर्मा ने कौंसिल संजय कौशल को फटकार लगाते हुए कहा कि आप नैगेटिव सोच से इस मामले में हाईकोर्ट का जिक्र कर रहे हैं। तो क्या आप चाहते हैं कि हाईकोर्ट को शिफ्ट कर दें। जस्टिस राजीव शर्मा ने कहा कि कैचमैंट व सैंसिटिव जोन के चलते ही हाईकोर्ट में कई निर्माण रोके हैं।
फिर कौंसिल ने कोर्ट से माफी मांगी
एडवोकेट संजय कौशल ने कोर्ट से माफी मांगते हुए मांग रखी कि कांसल में घर बना चुके सैंकड़ों लोगों को निर्माण गिराने के नोटिस जारी किए गए हैं, लेकिन उन्हें वहां से हटाने का कोई विकल्प देना चाहिए क्योंकि लोग जीवनभर की पूंजी घर बनाने में लगा चुके हैं। कोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए कहा कि कैचमैंट, फारैस्ट और वाइल्ड लाइफ एरिया में किसी भी निर्माण को अनुमति नहीं दी जा सकती।
जब बताया कि चंडीगढ़ की ओर से भी पैरवी की थी तो एडवोकेट ने मामले से नाम वापस ले लिया
कोर्ट मित्र सीनियर एडवोकेट एम. एल. सरीन ने कोर्ट को अवगत करवाया कि एडवोकेट संजय कौशल इसी केस में पहले चंडीगढ़ प्रशासन के सीनियर स्टैंडिंग कौंसिल की हैसियत से पैरवी करते रहे हैं और अब प्राइवेट पार्टी की ओर से पैरवी कर रहे हैं। कोर्ट ने एडवोकेट संजय कौशल को बार-बार याद दिलाया कि वह इस केस में यू.टी. के वकील रहे हैं, जिस पर कौशल ने कहा कि वह सिर्फ प्रतिवादी पक्ष की ओर से पेश हुए हैं और उनका पक्ष रखना चाहते हैं। कोर्ट का रवैया देख एडवोकेट संजय कौशल ने इस मामले से अपना नाम वापस ले लिया।
सर्वे में पंजाब-हरियाणा की जमीन को कैचमैंट का हिस्सा बताया है
इससे पहले पंजाब सरकार की और से पेश हुए अधिवक्ता ने फिर कहा कि पंजाब सरकार के नयागांव मास्टर प्लान में सुखना कैचमैंट एरिया का जिक्र नहीं है और कोर्ट वहां हुए निर्माणों को गिराने पर स्टे लगा चुकी है। कोर्ट ने यूटी द्वारा जारी नोटिफिकेशन का जिक्र करते कहा कि उसमें पैरा 17 व 18 में स्पष्ट लिखा है कि पंजाब व हरियाणा का भी कुछ हिस्सा कैचमेंट एरिया में शामिल है।
जिसकी सुचना दोनों राज्यों को दी गई है। यही नहीं यू.टी. के स्टैंडिंग कौंसिल पंकज जैन ने कोर्ट को बताया कि अधिसूचना से पहले 240 दिन का समय आपतियां और सुझाव लेने के लिए आम पब्लिक को दिया गया था उसके बाद फाइनल नोटिफिकेशन जारी की गई थी।
विधायकों व राजनीतिज्ञों की पैरवी न करें
कोर्ट मित्र एडवोकेट एम.एल. सरीन ने कोर्ट को सुप्रीम कोर्ट की जजमैंट पढ़कर सुनाई, जिसमें सर्वे ऑफ इंडिया द्वारा किए सर्वे में भी पंजाब व हरियाणा के एरिया को सुखना कैचमैंट का हिस्सा बताया गया है और सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट ने कंसीडर किया हुआ है। जस्टिस राजीव शर्मा ने पंजाब सरकार के अधिवक्ता को कहा कि आप उन विधायकों और राजनीतिज्ञों की पैरवी कर रहे हैं जिनके वहां अवैध निर्माण हुए हैं या सरकार का पक्ष रख रहे हैं।
चंडीगढ़ को राजधानी की तरह प्रयोग करते हैं, विकास में योगदान नहीं देते
जस्टिस राजीव शर्मा का कहना था कि पंजाब व हरियाणा चंडीगढ़ को राजधानी के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं, लेकिन यहां के विकास में योगदान नहीं देते अगर कैचमैंट एरिया की नोटिफिकेशन हुई है तो उसमें पंजाब-हरियाणा भी बराबर शामिल हैं। बता दें कि कांसल में बनी एम.एल.ए. कालोनी में करीब 100 राजनीतिज्ञों के आवास बने हुए हैं।
आज भी जारी है निर्माण
कोर्ट मित्र एम.एल. सरीन ने कोर्ट को कुछ तस्वीरें दिखाई और बताया कि कोर्ट के आदेशों की अवहेलना करते हुए आज भी कैचमैंट एरिया में निर्माण कार्य हो रहे हैं। कोर्ट ने पंजाब के अधिवक्ता से इस संबंध में पूछा कि कौन है जो निर्माण से पहले नक्शे पास कर रहा है जिस पर पंजाब सरकार के अधिवक्ता ने बताया कि निर्माण बिना नक्शा पास करवाए किए जा रहे हैं, जिन्हें समय समय पर नोटिस जारी किए जाते रहे हैं। कोर्ट मित्र का कहना था कि सरकार के सरंक्षण में निर्माण हो रहे हैं जिन्हें बिजली व पानी के कनैक्शन भी दिए जा रहे हैं।
नया कौंसिल चुनने को दिए 3 दिन
कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद बचाव पक्ष को नया कौंसिल चुनने के लिए तीन दिन का समय देते हुए सुनवाई वीरवार तक स्थगित कर दी। चीफ जस्टिस ने कहा कि अगली सुनवाई पर केवल वही अधिवक्ता कोर्ट में खड़ा हो जो सुझाव देना चाहते हैं, बाकी बैठकर सुन सकते हैं।