PGI ने खरीदी ऐसी मशीन, जो ट्रांसप्लांट से पहले चैक करेगी ऑर्गन काम का है या नहीं

Edited By pooja verma,Updated: 27 Feb, 2020 12:29 PM

the new machine that will check whether the organ is useful before transplant

पी.जी.आई. का ऑर्गन ट्रांसप्लांट प्रोग्राम कई साल से बेहतर काम कर रहा है। ब्रेन डैड मरीजों के ऑर्गन के साथ ही यहां कॉर्डियक अरैस्ट के बाद भी कई मरीजों के ऑर्गन जरूरतमंद लोगों को ट्रांसप्लांट किए जा चुके हैं।

चंडीगढ़ (पाल) : पी.जी.आई. का ऑर्गन ट्रांसप्लांट प्रोग्राम कई साल से बेहतर काम कर रहा है। ब्रेन डैड मरीजों के ऑर्गन के साथ ही यहां कॉर्डियक अरैस्ट के बाद भी कई मरीजों के ऑर्गन जरूरतमंद लोगों को ट्रांसप्लांट किए जा चुके हैं। ऑर्गन ट्रांसप्लांट को और बढ़ावा देने के लिए पी.जी.आई. ने एक नई नोरमोथर्मिक ऑर्गन परफ्यूजन मशीन खरीदी है, जिसकी बदौलत ऑर्गन को ट्रांसप्लांट से पहले इस मशीन में रखकर चैक किया जा सकेगा कि वह ट्रांसप्लांट करने के लायक है भी की नहीं।


एशिया का पहला अस्पताल, जहां यह मशीन इंस्टॉल
पी.जी.आई. रीनल ट्रांसप्लांट के हैड डॉ. आशीष शर्मा ने बताया कि पी.जी.आई. एशिया का पहला अस्पताल बन गया है, जहां इसे इंस्टॉल किया गया है। किसी प्राइवेट अस्पताल में भी इसकी सुविधा नहीं है। ब्रेन डैड हो या कॉर्डियक अरैस्ट से मरने वाला पेशैंट हो। सभी ऑर्गन को एक तय वक्त तक ही सुरक्षित रखा जा सकता है। हर ऑर्गन का इस्तेमाल एक तय वक्त तक ही किया जा सकता है। 

 

आमतौर पर ऑर्गन को बॉडी से निकालना ट्रांसप्लांट करने के मुकाबले थोड़ा आसान होता है, लेकिन यह जरूरी भी नहीं। सही वक्त ओ.टी. टेबल पर ही पता लगता है। कई बार 20 मिनट या कई बार 1 घंटा भी लग जाता है। 

 

पहले ऑर्गन को आइस बॉक्स में सुरक्षित रखा जाता था। मशीन का फायदा यह है कि ऑर्गन निकालने के बाद उसे इस बॉडी टैम्परेचर वाली मशीन में रखकर चैक किया जा सकता है कि वह ऑर्गन काम कर रहा है या नहीं। ट्रांसप्लांट का ऑपरेशन बड़ा व रिस्की होता है। ऐसे में ट्रांसप्लांट के वक्त पता लगे कि ऑर्गन काम का नहीं रहा तो इससे इस तरह की सर्जरी को रोका जा सकता है। 

 

रिजल्ट बहुत अच्छे आए हैं
पी.जी.आई. ने यूरोप से इस मशीन को परेचज किया है जिसकी कीमत 1.25 करोड़ रुपए है। फिलहाल किडनी के लिए इसका इस्तेमाल किया जा रहा है, लेकिन किडनी के साथ ही इस मशीन में दूसरे ऑर्गन जैसे हार्ट, कॉर्निया, लंग्स को भी टैस्ट किया जा सकता है। अभी तक तीने केस में इस मशीन का इस्तेमाल किया गया है जिसके रिजल्ट बहुत अच्छे आए हैं। 

 

ऑर्गन को 24 घंटे तक इसमें सेव किया जा सकता है, लेकिन मशीन का मकसद ऑर्गन की क्वालिटी को ट्रांसप्लांट से पहले जज करना है, ताकि मरीजों को अच्छे ऑर्गन ट्रांसप्लांट किए जा सकें। ऑर्गन्स को ट्रांसप्लांट करना एक बड़ी चुनौती होती है, क्योंकि ब्रेन डैड की बजाय कॉर्डियक अरैस्ट में ऑर्गन को मैंनेट करने के लिए वक्त बहुत थोड़ा रहता है। ऐसे में ऑर्गन किसी काम के नहीं रहते। 

 

अब तक 26 के किए ऑर्गन ट्रांसप्लांट  
बाहर के देशों में कॉर्डियक डैथ के बाद ऑर्गन ट्रांसप्लांट का रेशो बहुत ज्यादा है। पी.जी.आई. इकलौता अस्पताल है जो इन मरीजों के भी ऑर्गन निकालकर जरूरतमंद मरीजों में ट्रांसप्लांट कर रहा है। अब तक पी.जी.आई. में 26 कॉडिर्यक डैथ से जरुरतमंद मरीजों को नई जिंदगी दी जा चुकी है। 

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