Edited By Punjab Kesari,Updated: 10 May, 2018 07:24 PM
शहर में चेन स्नैचिंग की वारदातें थमने का नाम ही नहीं ले रही है। सड़कों पर हो रही इस तरह की वारदातों पर नकेल कसने में पुलिस पूरी तरह से नाकाम साबित हो रही है।
चंडीगढ़ (रिशु) : शहर में चेन स्नैचिंग की वारदातें थमने का नाम ही नहीं ले रही है। सड़कों पर हो रही इस तरह की वारदातों पर नकेल कसने में पुलिस पूरी तरह से नाकाम साबित हो रही है। वहीं दूसरी ओर स्नैचिंग को लेकर पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में चल रही सुनवाई पर भी चंडीगढ़ पुलिस की तरफ से गोलमोल जवाब दिया जा रहा है।
पिछली सुनवाई पर कोर्ट ने चंडीगढ़ पुलिस से पूछा था कि 2015 से लेकर अभी तक प्रतिवर्ष कितने सी.सी.टी.वी कैमरे चंडीगढ़ में लगाए गए। जिसपर जवाब देते हुए पुलिस की तरफ से कहा गया कि साल 2016-17 में हुए एक सर्वे में कहा गया था कि चंडीगढ़ में 15,000 सी.सी.टी.वी कैमरों की जरूरत है। जिसमें पुलिस ने बताया कि 14,000 सी.सी.टी.वी कैमरे शहर से प्राइवेट पर्सन्स की तरफ से लगाए गए हैं।
इसके अलावा कोर्ट में बताया गया कि चंडीगढ़ पुलिस ने बताया कि 660 सी.सी.टी.वी लगाने के प्रोजेक्ट को स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के साथ जोड़ दिया गया है, जिसका काम इंजनियरिंग डिपार्टमेंट देख रहा है। दायर किए गए एफिडडेविट में यह कहा गया है कि इस केस में यूटी के चीफ इंजिनियर को भी पार्टी बनाया जाए ताकि शहरभर में लगाए जा रहे सी.सी.टी.वी कैमरों के बारे में ज्यादा जानकारी मिल सके।
इसके साथ ही हो रही चेन स्नैचिंग की वारदातों को रोकने के लिए कुछ सुझाव भी दिए गए। अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल सत्यपाल जैन ने कोर्ट में बताया कि 13 मार्च को केंद्र सरकार ने यूटी से कुछ जानकारियां मांगी थी जो उन्हे आजतक नहीं दी गई हैं। जिसकी वजह से चेन स्नैचिंग में मिलने वाली सजाओं पर सख्त रूल्स बनाने में असुविधा हो रही है।
बता दें यह जनहित याचिका हाइकोर्ट के सीनियर वकील एचसी अरोड़ा की तरफ से डाली गई है। याचिका के जरिए यह बात भी ध्यान में लाई गई कि शहर में सी.सी.टी.वी कैमरे भी सही तरीके से इस्तेमाल में नहीं लाए जा रहे हैं।
शहर में चेन स्नैचिंग की कई वारदात हो गई लेकिन, कोई भी घटना सी.सी.टी.वी में कैद नहीं हुई। इससे साफ है कि पुलिस का यह सिस्टम भी दिखावे वाला है। बरहाल, मामले की अगली सुनवाई 18 अगस्त को होगी।